उपसरपंच ने वृद्ध पर प्राणघातक हमला, अस्पताल में भर्ती


उमरिया

गांव के उपसरपंच ने गांव के 56 वर्षीय वृद्ध पर प्राणघातक हमला किया है, इस घटना में पीड़ित गम्भीर रूप से घायल बताया जा रहा है, जिसे 108 की मदद से जिला अस्पताल लाया जा रहा है, इस मामले में बताया जाता है कि नोरोजाबाद थाना अंतर्गत ग्राम मरदरी निवासी गनपत सिंह पिता स्व मोहन सिंह उम्र 56 वर्ष गम्भीर रूप से जख्मी है, जिसे लहूलुहान हालत में 108 की मदद से जिला अस्पताल लाया जा रहा है।

सूत्रों की माने तो उपसरपंच प्रेम सिंह ने पीड़ित गनपत सिंह पर डंडे-लाठी से प्राण घातक हमला किया है, जिससे पीड़ित घटना स्थल पर ही लहूलुहान हालत में गिर गया था, और बाद में अचेतन अवस्था मे चला गया था। खबर है कि आरोपी उपसरपंच मानसिक रूप से कमज़ोर है, अकारण किसी बात पर घटना स्थल पर ज़ोर ज़ोर से चिल्ला रहा था, पीड़ित मौके पर जाकर उसे मना किया, इसी बात से नाराज़ उपसरपंच ने पीड़ित वृद्ध पर हमला कर लहूलुहान किया है, बाद में परिजनों की मदद से मौके पर 100 डायल और 108 पहुंची, तब जाकर पीड़ित को जिला अस्पताल लाया गया।

नेशनल पार्क के जंगल कोर जोन में जेसीबी मशीने लगवा कर मिट्टी और मुरूम की कर रहे खुदाई 

*वन मार्ग बनाने के नाम पर जमकर गड़बड़झाला*


उमरिया 

जिले के विश्व विख्यात बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व नेशनल पार्क के जिम्मेदार इन दिनो जंगल सीमा क्षेत्र के कोर जोन में बेहिचक और मनमानी तरीके से भारी भरकम जेसीबी मशीने लगवा कर मिट्टी और मुरूम की खुदाई कराने में मदमस्त हैं। विश्वस्त सूत्रो से मिली जानकारी अनुसार पनपथा रेंज अंतर्गत सेहरा चौकी (सोन नदी तट) से पतौर तक करीब 16 किलोमीटर की सड़क (वनमार्ग) अभी हाल ही में वन विभाग द्वारा जेसीबी मशीने लगा कर निर्मित कराया गया है, जिसमे मुरूम का छिड़काव कराने के लिए जंगल सीमा क्षेत्र कोर एरिया के अंदर से ही भारी मात्रा में मुरूम की खुदाई कराये जाने की सूचना है।

बांधवगढ़ में जंगल के कोर एरिया में उत्खनन करना आम तौर पर नहीं किया जा सकता है, जो कानूनन अपराध है, क्यों कि यह वन्यजीवों के आवास और पारिस्थितिक तंत्र के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है। उत्खनन से वन्यजीवों के आवास, जैसे पेड़, पौधे मिट्टी और पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान हो सकता है।

आरोप है कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के जिम्मेदार द्वारा वन मार्ग बनाने के नाम पर जमकर गड़बड़ियां की जा रही है, कोर जोन प्रबंधित क्षेत्र होने के कारण कोई भी आमजन वहां प्रवेश नही कर सकता। जिस कारण वहां निर्माण कार्य के नाम पर जिम्मेदार मलाई छान रहे हैं। अगर मामले की निष्पक्ष जांच हो जाये तो भ्रष्टाचार परत दर परत खुलते नजर आएंगे वहीं सूत्रों की माने तो टाइगर रिजर्व के जिम्मेदारों को रेंजरों द्वारा क्षेत्र में नियमों को दरकिनार करते हुए मनमानी तरीके से कराए जा रहे अवैध उत्खनन वा निर्माण कार्य की जानकारी होने के बावजूद भी कार्यवाही की बात तो दूर मौका निरीक्षण कर जांच ना करपाने में मजबूर हैं, क्यों की कहीं न कहीं होने वाली अवैध कमाई में नीचे से ऊपर तक बैठे जिम्मेदारों तक ईमानदारी से हिस्सेदारी का नजराना मिलने की जान चर्चा क्षेत्र में जोर पकड़ा हुआ है, जिला कलेक्टर से जनापेक्षा है की समय रहते संबंधित मामले को गंभीरता से लेते हुए मौका निरीक्षण किया जाए और जंगल के अंदर तानासाही करने वाले जिम्मेदारों के प्रति शक्त कार्यवाही की जाए ताकि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की धरोहर रुरक्षित रह सके।

बांधवगढ़ मे ग्रामीणों के दबाव से परेशान प्रबंधन, मनमानी से हो रहे हादसे

*महिला पर हमला करने वाली बाघिन को खोजने निकली टीम, तभी वहां एक और बाघिन* 


उमरिया   

जिले के बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व तथा आसपास के क्षेत्रों मे समझाईश के बावजूद ग्रामीणो द्वारा मनमाने तौर पर अकेले जंगलों मे जाने की वजह से आये दिन हिंसक जानवरों के हमलों की घटनायें सामने आ रही हैं। इससे जहां जान-माल का नुकसान हो रहा है, वन्य जीवन को भी तरह-तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। सूत्रों ने बताया है कि विभाग द्वारा इस तरह के हादसे रोकने के मकसद से लगातार ट्रेनिंग कैम्प आयोजित किये जा रहे हैं। जिनमे तेंदूपत्ता, महुआ संग्राहकों के अलावा चरवाहों को बाघ, तेंदुआ, भालू, हांथी इत्यादि जानवरों से बचाव की ट्रेनिंग देने के सांथ उन्हे जंगलों मे नहीं जाने के प्रति जागरूक किया जाता है। इसके बावजूद उनके द्वारा अधिकारियों की सलाह नहीं मानी जा रही है। इतना ही नहीं अंदर घुसने के लिये जगह-जगह से सुरक्षा के लगी बाड़ को तोड़ा जा रहा है। जब कोई अप्रिय घटना होती है, तो प्रबंधन पर बाघ का रेस्क्यू करने का दबाव बनाया जाता है।

*अचानक आ गई दूसरी टाईगर*

पतौर रेंज मे जब रेस्क्यू टीम महिला पर हमला करने वाली बाघिन को खोजने निकली, तभी वहां एक और बाघिन आ धमकी। इस बाघिन के सांथ बच्चे नहीं थे। जबकि कोठिया हादसे को अंजाम देने वाली बाघिन के 2 बच्चे होने की बात कही जा रही थी। ऐसे मे प्रबंधन भी कन्फ्यूज हो गया कि आखिर इन दोनो मे से महिला को मारने वाली बाघिन कौन सी है। वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि पनपथा और पतौर मे इससे पहले कई बार एक के बजाय दूसरे बाघों को उठा लिया गया है। बिना किसी सटीक जानकारी मे बाघों का रेस्क्यू वन्यजीवन के लिये अच्छा नहीं है। किसी बेगुनाह जानवर को उठा कर उसे इन्क्लोजर मे कैद करने से उसका जीवन खराब हो जाता है।

*ग्रामीणों के सांथ प्रबंधन ने ली राहत की सांस*

दरअसल बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान के पतौर रेंज मे बीते दिनो महुआ बीनने गई महिला को मौत के घाट उतारने वाली बाघिन के वापस लौटने इलाके मे हडक़ंप मच गया था। हलांकि प्रबंधन की तत्परता से भारी मशक्कत के बाद उसे वापस जंगल मे खदेड़ दिया गया जिससे ग्रामीणों के सांथ प्रबंधन ने भी राहत की सांस ली है। बीटीआर के उप संचालक पीके वर्मा ने बताया कि इस बाघिन के ग्राम कोठिया के पास देखे जाने की सूचना मिलते ही अमले को हांथियों सहित रवाना किया गया। जहां पहुंच कर उसे वापस धकेलने की कार्यवाही सफलता पूर्वक कर ली गई। गौरतलब है कि गत 2 अप्रेल को बाघिन के हमले मे रानी पति ओमप्रकाश 27 निवासी कोठिया की मृत्यु हो गई थी।

*बढ़ाई गई गश्त*

जानकारी के अनुसार ग्राम कोठिया के समीप पहुंची बाघिन ने एक मवेशी का शिकार किया था। बाघिन को खदेडऩे के बाद उक्त शिकार को भी गांव से दूर जंगल की ओर कर दिया गया है ताकि वह फिर से लौट कर न आ जाय। प्रबंधन ने बताया है कि एहतियात के तौर पर इस इलाके मे गश्त बढ़ा दी गई है। सांथ ही बाघिन पर नजर रखी जा रही है। इसके लिये पतौर से लगे अन्य परिक्षेत्र अधिकारियों को विशेष दिशा-निर्देश दिये गये है।

MKRdezign

,

संपर्क फ़ॉर्म

Name

Email *

Message *

Powered by Blogger.
Javascript DisablePlease Enable Javascript To See All Widget