भारतीय ज्ञान परंपरा और लोक साहित्य विषय पर राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का आयोजन सम्पन्न 

*प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेन्स में एक दिवसीय सेमिनार का हुआ आयोजन*


अनूपपुर

प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेन्स, शासकीय तुलसी महाविद्यालय के सेमिनॉर हाल में भारतीय ज्ञान परंपरा और लोक साहित्य विषय पर केन्द्रित एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन (हाईब्रिड मोड में)  अग्रणी प्राचार्य डॉ. अनिल कुमार सक्सेना की अध्यक्षता में गरिमामय एवं सफलता पूर्वक सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि सुधा शर्मा, सदस्य जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोशण आयोग रही । राष्ट्रीय संगोष्ठी में डॉ. रामकिंकर पाण्डेय मनेन्द्रगढ़ (छत्तीसगढ़ राज्य), डॉ. प्रदीप विश्वकर्मा ठाकुर रणमतसिंह महाविद्यालय रीवा, से डॉ. सरफराज अहमद, बेगुसराय बिहार से गिरीश पटेल, प्रगतिशील लेखक संध इकाई अनूपपुर, डॉ. डी. के. तिवारी प्राचार्य, केन्द्रीय विद्यालय अनूपपुर, डॉ.गंगाधर ढ़ोके, शंभूनाथ विश्वविद्यालय शहडोल, ख्यातिलब्ध ग़ज़लकार दीपक अग्रवाल अनूपपुर, पवन छिब्बर प्रख्यात हास्य व्यंग्य कलाकार, डॉ. दीपक पटेल, शासकीय नेहरु महाविद्यालय बुढ़ार तथा देश के विभिन्न प्रांतों से 54 प्रतिभागियों ने ऑन लाईन मोड के माध्यम से राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी में शिरकत किया ।

कार्यक्रम का प्रारंभ मॉ सरस्वती जी के सम्मुख दीप प्रज्जवलन और नन्ही कलाकार कुमारी नुति अग्रवाल द्वारा प्रस्तुत संगीतमय सरस्वती वंदना से हुआ । कार्यक्रम के संरक्षक एवं प्राचार्य डॉ. अनिल सक्सेना ने अपने स्वागत भाषण में कार्यक्रम में पधारे सभी अतिथियों का स्वागत किया । सेमिनार के संयोजक डॉ. नीरज श्रीवास्तव विभागाध्यक्ष हिन्दी, प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेन्स शासकीय तुलसी महाविद्यालय ने अतिथियों का स्वागत माल्यार्पण एवं शाल-श्रीफल भेंट कर किया । डॉ. नीरज श्रीवास्तव ने अतिथियों का परिचय देते हुए संगोष्ठी का विषय प्रर्वतन किया और लोकभाषा तथा भारतीय ज्ञान परंपरा के अन्तर्सम्बंध के तत्व को व्याख्यायित कर भारतीय ज्ञान परंपरा - गीत प्रस्तुत किया । आमंत्रित विद्वान डॉ. रामकिंकर पाण्डेय ने अपने विद्वतापूर्ण बीज वक्तव्य में भारतीय ज्ञान परंपरा और लोक साहित्य के महत्व को रेखांकित करते हुए संयुक्त परिवार और पर्यावरण संरक्षण पर प्रकाश डाला । डॉ.सरफराज अहमद ने लोक साहित्य में भाषाओं के वैशिष्ठ को निरुपित किया । डॉ. प्रदीप विश्वकर्मा, टी.आर.एस. कॉलेज रीवा ने भारतीय ज्ञान परंपरा में भारतीय दर्शन और आध्यात्म का विवेचन प्रस्तुत करते हुए अपना विद्वतापूर्ण व्याख्यान प्रस्तुत किया, डॉ. डी.के.तिवारी, प्राचार्य केन्द्रीय विद्यालय अनूपपुर नें वैदिक, लौकिक साहित्य एवं भारतीय ज्ञान परंपरा की उपादेयता पर अपना सुरुचि पूर्ण व्याख्यान दिया । ख्यातिलब्ध ग़ज़लकार दीपक अग्रवाल ने लोक साहित्य में भारतीय दर्शन की सांस्कृतिक व्याख्या करते हुए अपने ग़ज़लों के माध्यम से खूब वाहवाही लूटी । श्री गिरीश पटेल ने भारतीय ज्ञान परंपरा और लोक साहित्य में फिल्मों के योगदान के वैशिष्ठ को निरुपित किया । कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. नीरज श्रीवास्तव और आभार प्रदर्शन डॉ. विनोद सिंह ने किया । इस अवसर पर डॉ. आई.के.बेग (बुढ़ार) डॉ. दिनेश वर्मा (बुढ़ार),डॉ. दीपा सिंह (बुढ़ार) डॉ. दीपक पटेल, (बुढ़ार) डॉ. विनोद कोल, डॉ. ज्ञानप्रकाश,डॉ. आकांक्षा राठौर, डॉ. पूनम धांड़े, डॉ. अनिता पाण्डेय, डॉ. राधवेन्द्र सिंह, डॉ. रमा नायडू, डॉ. राजेश्वरी तिवारी, डॉ.इन्द्ररायण काछी, डॉ. विनोद सिंह,डॉ.तरन्नुम सरबत, डॉ. दीपक गुप्ता, डॉ. योगेश तिवारी, डॉ. सत्येन्द्र सिंह, डॉ. दुर्गेश द्विवेदी सहित, षोध छात्रो, छात्र-छात्राओ की उपस्थिति उउल्लेखनीय रही ।

अखिल भारतीय किसान सभा का सम्मेलन संपन्न, किसान अब सरकार को मांग पत्र नहीं अधिकार पत्र सौंपेंगे 

*जब तक किसान मजदूर का श्रम इस धरती पर रहेगा तभी तक पृथ्वी पर जीवन व खुशियां रहेगी*


अनूपपुर

अखिल भारतीय किसान सभा जिला परिषद अनूपपुर का सम्मेलन कामरेड अतुल कुमार अंजन सभागार में राष्ट्रीय सचिव कामरेड के .डी. सिंह के मुख्य आतिथ्य में संपन्न हुआ।

सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य परिषद सदस्य व पूर्व छात्र नेता कामरेड राहुल भाई ने हिंदुस्तान के अंदर किसानों के समस्याओं की ओर इशारा करते हुए कहा कि मौजूदा परिस्थितियों में मेहनतकश अवाम का एक तबका जो किसानों के शक्ल में इस देश में कार्यरत है ,उनके श्रम का उचित मूल्य आजादी के 75 वर्षों के बाद भी प्राप्त नहीं हो रहा है ,यह अलग बात है कि वह अपने जमीनों के मालिक हैं लेकिन उसके ऊपर उगने वाली फसलों का मूल्य तय करने का अधिकार उन किसानों के पास नहीं है उन्हें मालिक होने के इस भ्रमजाल से मुक्त होना पड़ेगा। और अपने और अपने बच्चों के स्थाई रोजगार के अधिकार को सरकार से लड़ के लेना होगा सम्मेलन में मुख्य अथिति के तौर पर राष्ट्रीय नेतृत्व के वरिष्ठ साथी अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय सचिव कामरेड के.डी सिंह ने किसानों के अतीत में हुए आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा कि किसान सभा अपने स्थापना काल 1936 से लेकर आज तक किसानो की बुनियादी समस्याओं को लेकर इस मुल्क के अंदर मुशलशल लड़ाई लड़ रही है उन्होंने तेभागा आंदोलन, तेलंगाना आंदोलन, पुनप्रराबॉयलार आन्दोलन का जिक्र करते हुए कहा कि देश के अंदर अखिल भारतीय किसान सभा ने सामंतवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ते हुए लाखों लाख एकड़ जमीन सामंतो से छुड़ाकर भूमिहीनों को बांटने का काम किया इस आंदोलन में 40 हजार से ज्यादा किसानों ने अपनी शहादत दी है मौजूदा समय में मोदी सरकार के खिलाफ जिसके बारे में कहा जाता है की एक अकेला सब पर भारी उसे भी दिल्ली के चारों इलाके से किसानों ने  जमकर विरोध कर तीन कानून के खिलाफ घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया ।

यह किसानों के संगठित आंदोलन का परिणाम है लेकिन दुर्भाग्य है कि देश के बहुत से हिस्से में किसान अपने वाजिव हक के लिए लड़ाई नहीं लड़ रहे हैं हमारी जिंदगी की खूबसूरती को बदलने में संघर्ष एक रास्ता है जिस पर चलकर के हम अपना और अपने बच्चों का भविष्य को खूबसूरत बना सकते हैं सम्मेलन में अनूपपुर जिले के किसान संगठन का रिपोर्ट किसान सभा के प्रांतीय अध्यक्ष कामरेड जनक राठौर ने प्रस्तुत किया जिस पर आए हुए प्रतिनिधियों ने अपनी बात की किसानों से संबंधित कई प्रस्ताव सम्मेलन में पारित किए गए ,जिसमें महत्वपूर्ण प्रस्ताव के रूप में यह कहा गया कि जो कुछ भी दुनिया में बना है उसको बनाने वाला किसान और मजदूर है उसे महत्वपूर्ण नारे को भी रेखांकित करते हुए की।

कौन बनाता हिंदुस्तान -भारत का मजदूर किसान और वह किसान अपने अधिकारों के लिए जब संघर्ष के रास्ते पर होता है तो वह सरकार को एक मांग पत्र सौपता है यह मांग पत्र किसानों को याचक के रूप में खड़ा कर देता है जिसे बदला जाना चाहिए और यह सम्मेलन यह प्रस्ताव पारित करता है कि आने वाले दिनों में मांग पत्र के स्थान पर अधिकार पत्र का ज्ञापन सत्ता और सरकार को दिया जाएगा। साथ ही साथ आसपास के गांव के 2 से 4 एकड़ रकबे के 20 से 25 किसानों को सामूहिक खेती हेतु प्रेरित कर कृषि संसाधनों के मांग के साथ संघर्ष करना, कृषि मजदूरों के नियमित रोजगार हेतु लघु कृषकों को संगठित करना, जिले में सिंचाई की सुविधा के लिए सतत संघर्ष करना, धान रोपाई के समय मनरेगा के तहत किसानों के खेत में धान रोपाई हेतु सरकार से मजदूरी की मांग करना, 60 वर्ष से ऊपर के किसानों ,व दस्तकारो को ₹10000 मासिक  पेंशन सरकार से सुनिश्चित कराना, आवारा पशुओं के कारण नष्ट होते हुए फसलों को बचाने के लिए सरकारी स्तर पर समुचित व्यवस्था करना। नुकसानी की स्थिति में सरकार को मुआवजा देने के लिए बाध्य करना स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश लागू करने के लिए जन अभियान चलाना, नए कृषि बाजार पर राष्ट्रीय नीति का मसौदे का अध्ययन कर किसान हित में निर्णायक आंदोलन करना। साथ ही साथ सम्मेलन में सामाजिक मुद्दों की तरफ भी ध्यान आकर्षित करते हुए यह प्रस्ताव पारित किया कि ग्रामीण अंचल में शादी विवाह में दहेज का निषेध तथा मृत्यु के उपरांत मृत्यु भोज जैसे आयोजन को समाप्त करने के लिए जन जागरण अभियान तेज करना। 

सम्मेलन के समापन भाषण में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी  मध्य प्रदेश कार्यकारिणी  के सदस्य कामरेड विजेंद्र सोनी ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे जैसे लोग जो सीधे किसानों से नहीं जुड़े हैं वह भी आपके संघर्ष में इसलिए साथ खड़े हैं क्योंकि उनकी यह समझ है की राष्ट्र का निर्माण किसान और मजदूरों के श्रम के कारण ही संभव है जब तक किसान मजदूर का श्रम इस धरती पर रहेगा तभी तक पृथ्वी पर जीवन और खुशियां रहेगी वह निर्माता है इसलिए उसके श्रम का शोषण जहां-जहां होगा और जिस जिसके द्वारा किया जाएगा उसके विरोध में खड़ा होना एक चिंतनशील मनुष्य का जरूरी कदम है कामरेड विजेंद्र सोनी ने किसानों से अपील की सिर्फ संघर्ष बस से ही नहीं ,एक राजनीतिक सोच के साथ अपने संघर्षों को नया आयाम देने की जरूरत है क्योंकि आजादी के बाद जो लड़ाइयां शेष बची हैं उसे संसदीय जनतंत्र में विधानसभा और संसद में ही लड़ी जा सकती हैं वहां जब तक हमारे प्रतिनिधि नहीं रहेंगे तो यह लड़ाई अधूरी लड़ाई रहेगी हमारी लड़ाई संसद से सड़कों तक जारी रखनी चाहिए तभी एक सुनहरा भविष्य का हम निर्माण कर सकते हैं सम्मेलन के अंत में 21 सदस्यीय  जिला परिषद का गठन किया गया जिसमें अध्यक्ष के रूप में कामरेड संतोष केवट जिला सचिव हीरालाल राठौर, उपाध्यक्ष संजय राठौर, सह सचिव सुरेश राठौर, कोषाध्यक्ष  प्रताप सिंह राऊत राय कार्यकारिणी सदस्य मोहन राठौर, गोविंद सिंह ,जनक राठौर , सुरेश सिंह ,जगदीश सिंह, लाल मणि राठौर , जुगल राठौर, शमरशाह सिंह गौड़ दरबारी सिंह ,बद्री राठौर। अन्य स्थान रिक्त रखे गए हैं जिस ब्रांच सम्मेलन के उपरांत तय किया जाएगा आगामी 8 मार्च को रीवा में आयोजित अखिल भारतीय किसान सभा के मध्य प्रदेश राज्य सम्मेलन के लिए भी प्रतिनिधियों का चुनाव किया जाएगा।

दुर्घटना में एक की मौत सात घायल, लापरवाही, रफ्तार बन रहे हैं हादसों का कारण


उमरिया

जिले के घुनघुटी सहित जिले के मुख्य मार्गो पर खड़े किसी भी ट्रक मे पार्किग लाईट तो दूर रेडियम की पट्टी तक नहीं देखी जा रही। जिससे चालक को अन्य वाहन का आभास ही नहीं होता। उल्लेखनीय है कि विगत दिनो जिला मुख्यालय के समीप हाईवे पर खड़े एक ट्रेलर से टकरा कर दो व्यापारियों की मौत हो गई थी। कहा जाता है कि ट्रेलर के पीछे कोई संकेत नहीं होने के कारण बाईक सवारों को धोखा हो गया और वे उससे जा टकराये। नागरिकों का मानना है कि बिना पार्किग लाईट चलने वाले वाहनो के विरूद्ध पुलिस को तत्काल कार्यवाही करनी चाहिये।

*दुर्घटनाओं मे एक की मौत सात घायल*

जिले मे कई दुर्घटनायें हुई हैं। इनमे एक युवक की मौत हो गई है, जबकि 7 लोग घायल हुए हैं। जानकारी के मुताबिक शहर के स्टेशन रोड पर ज्वालामुखी तिराहे के पास एक बाईक डिवाईडर से टकरा गई। जिससे गणेश चौधरी पिता द्वारका प्रसाद चौधरी 30 निवासी बम्हनी थाना भालूमाड़ा जिला अनूपपुर की मौत हो गई, जबकि सुभाष चौधरी जरहा और संजय चौधरी छोटी पाली जिला उमरिया बुरी तरह जख्मी हो गये। बताया गया है कि सुभाष और संजय चौधरी अपने बहनोई गणेश चौधरी को स्टेशन से उनके ससुराल जरहा लेकर जा रहे थे, तभी यह हादसा हो गया।

*अनियंत्रित हो कर पलटा आटो*

दूसरी घटना थाना कोतवाली क्षेत्र के ग्राम अगनहुड़ी मे हुई, जहां एक आटो पलटने से चालक सहित चार लोग घायल हो गये। जानकारी के अनुसार अशोक और श्यामदास पिता राजन यादव निवासी मरदरी तथा सेमाली पिता विश्राम यादव निवासी धनवाही आटो पर मरदरी से उमरिया आ रहे थे, तभी यात्री प्रतीक्षालय अगनहुड़ी के पास उनका वाहन पलट गया। जिससे चालक जगन्नाथ चौधरी सहित चारो को गंभीर चोटें आई हैं। घायलों को जिला चिकित्सालय मे भर्ती कराया गया है। तीसरी घटना कटनी रोड पर भरौला स्थित मंसूरी पेट्रोल पंप के पास हुई। जिसमे अज्ञात वाहन मंगलदीन पिता जागेश्वर यादव 35 निवासी भरौलो को जोरदार ठोकर मार कर फरार हो गया। हादसे के बाद मंगलदीन को गंभीर हालत मे जिला अस्पताल पहुंचाया गया है।

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