जहरीला पानी बना जी का जंजाल ओपीएम छोड़ रहा केमिलक युक्त पानी, नही हो रही है कार्यवाही


शहड़ोल

प्रबंधन की बड़ी लापरवाही सामने आई है. पेपर मिल से केमिलक युक्त पानी छोड़ा जा रहा है, ऐसे में क्षेत्र के लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा रहा है, केमिकल युक्त पानी से किसानों की खेती भी प्रभावित हो रही है, कुएं और अन्य जल स्रोत में भी यह पानी एकत्रित हो रहा है, जिसके उपयोग से लोग बीमार पड़ रहे हैं, इतनी ही नहीं दूषित पानी पीने से एक मवेशी की मौत हो गई, जिससे आहत लोग ओपीएम के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठ गए हैं।

यह मामला बकहो नगर परिषद का है, ओरिएंट पेपर मिल प्रबंधन वार्ड नंबर- 3 भूतहा नाला के पास से कैमिकल युक्त दूषित छोड़ रहा है. ऐसे में सभी वार्ड प्रभावित हो रहे हैं, खासकर वार्ड नंबर- 1, 2, 3 और इंद्रा नगर के लोग दूषित पानी से परेशान हैं, किसानों की खेती प्रभावित हो रही है, साथ ही आसपास के किसानों के खेत बंजर भी हो गए हैं।

केमिकल युक्त पानी का इस्तेमाल करने से लोगों को स्किन, हार्ट संबंधी, और पीलिया जैसे बीमारी का समाना करना पड़ रहा है, जबकि दूषित पानी पीने से बकहो के रहने वाले पशुपालक भोला नाथ केवट का एक मवेशी मर गया, जिसकी लिखित शिकायत उन्होंने अमलाई थाने में की है, इन्हीं सभी कारणों से आहत नगर के लोग नगर परिषद बकहो की अध्यक्ष मौसमी केवट के साथ अनिश्चित कालीन हड़ताल पर बैठ गए हैं।

उनका कहना है कि उन्होंने कई बार संबंधित विभाग के अधिकारियों से इस मामले की शिकायत के चुके हैं, बावजूद इसके आज तक उनकी सुनवाई नहीं हुई और न ही ओरियंट पेपर मिल प्रबंधन उनकी एक सुन रहा है, इसी से आहत होकर उन्होंने आंदोलन का सहारा लिया है।

पंचायत में सरकारी धन की लूट, पूर्व सचिव और सरपंच पर लगे गंभीर आरोप, पंचायत के दस्तावेज गायब

*जनपद पंचायत की चुप्पी पर सवाल, दोषियों पर हो कार्यवाही*


अनूपपुर

जिले के कोतमा जनपद के ग्राम पंचायत सकोला में सरकारी धन के गबन और बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोपों ने हड़कंप मचा दिया है। ग्रामीणों का आरोप है कि पूर्व प्रभारी सचिव रमेश कुमार विश्वकर्मा और सरपंच ने मिलकर सरकारी राशि की जमकर बंदरबांट की है, जिसके चलते अब पंचायत प्रशासन वित्तीय जानकारी देने से बच रहा है। यह मामला तब सामने आया जब सूचना के अधिकार (RTI) के तहत पंचायत के 15वें और 5वें वित्त आयोग की राशि खर्च के सत्यापित बिलों, ब्याज की राशि के खर्च, खेत तालाब योजना में किए गए कार्यों का मास्टर रोल, प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना और बीपीएल सूची की प्रतियां मांगी गईं। जब वर्तमान पंचायत सचिव से इन दस्तावेजों की मांग की गई, तो उन्होंने जानकारी देने से साफ इनकार कर दिया। उनका कहना था कि उनके पास यह जानकारी उपलब्ध नहीं है। सवाल उठता है कि आखिर पंचायत प्रशासन को इस जानकारी को देने में इतनी परेशानी क्यों हो रही है? क्या पंचायत में विकास कार्यों की आड़ में सरकारी धन की खुली लूट हुई है?

*सरकारी पैसों का गोलमाल*

स्थानीय सूत्रों के अनुसार, पूर्व सचिव और सरपंच ने मिलकर सरकारी योजनाओं के नाम पर भारी भ्रष्टाचार किया पंचायत में विकास कार्यों के लिए आने वाली राशि का दुरुपयोग किया गया, फर्जी बिल बनाकर सरकारी खजाने को चूना लगाया गया, और जब इस घोटाले की पोल खुलने लगी तो स्थानीय निवासी लाल यादव ने RTI के तहत मांगी गई जानकारी देने से ही इनकार कर दिया गया ग्रामीणों का आरोप है कि पंचायत में बिना काम किए ही पैसा निकाला गया, और कई फर्जी योजनाओं को कागजों पर ही पूरा दिखाकर लाखों रुपये की हेराफेरी की गई। जनता अब इस भ्रष्टाचार को लेकर पंचायत प्रशासन और जनपद पंचायत से जवाब मांग रही है। उनका कहना है कि यदि पंचायत में कुछ भी गलत नहीं हुआ है, तो फिर सूचना क्यों छिपाई जा रही है? आखिर किसके इशारे पर यह खेल खेला जा रहा है?

*जनपद पंचायत की चुप्पी पर सवाल*

ग्राम पंचायत सकोला में सरकारी धन के लूट के इन गंभीर आरोपों पर अब तक जनपद पंचायत ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। यह भी एक बड़ा सवाल है कि जनपद पंचायत के अधिकारी इस पूरे मामले पर चुप क्यों हैं? क्या वे भी इस घोटाले को दबाने की कोशिश कर रहे हैं? यदि ऐसा है तो इसका मतलब साफ है कि भ्रष्टाचार की जड़ें सिर्फ ग्राम पंचायत तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ऊपर तक फैली हुई हैं।

*दोषियों पर हो कड़ी कार्रवाई*

सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत, सरकारी निकायों को जनता द्वारा मांगी गई जानकारी 30 दिनों के भीतर उपलब्ध करानी होती है। यदि कोई अधिकारी इस सूचना को देने से इनकार करता है या जानबूझकर देरी करता है, तो उस पर कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है धारा 20 के तहत, दोषी अधिकारी पर आर्थिक दंड लगाया जा सकता है और यदि भ्रष्टाचार की पुष्टि होती है, तो लोकायुक्त जैसी एजेंसियां जांच कर सकती हैं। ग्रामीणों ने इस मामले को लेकर उच्च अधिकारियों और सूचना आयोग से शिकायत करने की चेतावनी दी है। यदि पंचायत प्रशासन जल्द से जल्द मांगी गई जानकारी सार्वजनिक नहीं करता है, तो इस घोटाले की निष्पक्ष जांच के लिए आंदोलन शुरू किया जाएगा।

यह मामला केवल एक ग्राम पंचायत तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे प्रशासनिक तंत्र की पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल खड़े करता है। यदि इस घोटाले की जांच नहीं हुई, तो यह भ्रष्ट अधिकारियों को खुली छूट देने जैसा होगा। इसलिए प्रशासन को चाहिए कि वह तत्काल इस मामले में हस्तक्षेप करे, भ्रष्टाचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे और जनता को हक की जानकारी देने में पारदर्शिता सुनिश्चित करे।

बर्निग बनी इनोवा कार, बाल-बाल बचे विदेशी पर्यटक


उमरिया

जिले के बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व भ्रमण पर आये सैलानियों को ले जा रही एक कार मे अचानक आग भडक़ उठी। गनीमत यह रही कि घटना के तुरंत बाद दोनो पर्यटक वाहन का दरवाजा खोल कर बाहर आ गये, जिससे एक बड़ा हादसा टल गया। बताया गया है कि नीदरलैण्ड के दो पर्यटक पतौर स्थित तथास्तु रिसोर्ट मे ठहरे हुए थे। जो नाईट सफारी की ऑन लाईन बुकिंग के लिये होटल की इनोवा कार क्रमांक एमपी 18 डी 3354 पर ताला की ओर आ रहे थे। इसी दौरान ताला मोड़ पर शार्ट सर्किट की चिंगारी से कार मे आग फैल गई। खतरे को भांपते हुए दोनो पर्यटक बेहद होशियारी से बिना समय गंवाये दरवाजा खोल कर कार के बाहर हो गये। थोड़ी ही देर मे आग ने पूरी तरह इनोवा को अपनी लपेट मे ले लिया। इसी बीच नगर परिषद मानपुर की फायर बिग्रेड भी मौके पर पहुंच गई, परंतु तब तक कार जल कर कबाड़ बन चुकी थी।

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