मांगे नहीं मानी तो बृहद पदयात्रा कर किसान एवं मजदूर करेंगे कूच - सीटू

*जिला मुख्यालय में डेरा डालो घेरा डालो का चलेगा आंदोलन*


अनूपपुर

संयुक्त ठेकेदारी मजदूर यूनियन सीटू के बैनर तले से सोन नदी मैं बने बैराज पहुंच मार्ग महुदा एवं क्योंटार में अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन एवं आम सभा चल रहा है। आमसभा में वक्तागणों ने प्रबंधन एवं प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि समय रहते किसान एवं मजदूरों का जायज एवं कानूनी मांगे नहीं मानी गई तो 22 अक्टूबर 2024 से धरना प्रदर्शन स्थल से बृहद पद यात्रा निकालकर 23 अक्टूबर को जिला मुख्यालय अनूपपुर में डेरा डालो घेरा डालो आंदोलन चलाए जाने के लिए दिवस होंगे । आंदोलनकारियों की मांग है कि श्रम कानून एवं पुनर्वास के शर्तों का पालन करवाते हुए प्रभावित किसान एवं मजदूरों को लाभ दिलाए जाए । उनका मांग है कि काम से हटाए गए मजदूरों को काम पर वापसी, समान कार्य का समान वेतन भुगतान अधिनियम  1976 का पालन करवाया जाकर वेतन , ग्राम अमगवा के रिक्त पड़े भूमि को किसानों को वापस,‌ श्रमिकों को चिकित्सा का समुचित इंतजाम एवं चिकित्सा कार्ड ,श्रमिकों के लिए आवागमन की सुविधा , मोटरसाइकिल वाहन के लिए सुरक्षित स्टैंड, श्रमिकों को वेतन पर्ची , डिग्नेशन प्रमाण एवं दुर्घटना से ग्रसित श्रमिकों को इलाज में आए संपूर्ण खर्च एवं मृत्यु होने पर 15 - 15 लाख रुपया क्षतिपूर्ति व पीड़ित परिवार के कम से कम एक सदस्य को स्थाई नौकरी आदि पुनर्वास एवं श्रम कानूनों से संबंधित सुविधाएं की मांग करते हुए 16 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन कर रही है ।

 सीटू जिला समिति अनूपपुर के अध्यक्ष रामू यादव महासचिव इंद्र पति सिंह मध्य प्रदेश किसान सभा के महासचिव दलवीर केवट माकपा जिला समिति अनूपपुर के सचिव रमेश सिंह राठौर , मोतीलाल रजक एवं संयुक्त ठेकेदारी मजदूर यूनियन के अध्यक्ष कामरेड जुगुल किशोर राठौर ने अपने उद्बोधन में कहा कि यदि प्रबंधन एवं प्रशासन समय रहते चर्चा वार्ता कर समस्याओं का निराकरण नहीं किया तो तो 23 अक्टूबर को आंदोलन के समर्थन में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका एकता यूनियन, कोल माइंस में संघर्षरत सीटू से सम्बद्ध यूनियन, मध्य प्रदेश किसान सभा एवं मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी जिला समिति अनूपपुर के कोने-कोने से किसान मजदूर छात्र नौजवान एवं महिलाएं पद यात्रा में शामिल होकर जिला मुख्यालय में डेरा - डालो, घेरा- डालो , आंदोलन चलाने के लिए विवश होंगे । सभा का सफ़ल संचालन साथी राजकुमार राठौर ने किया एवं आमसभा की अध्यक्षता साथी चमेली सिंह गोड़ ने किया। उक्त आशय की जानकारी संयुक्त ठेकेदारी मजदूर यूनियन सीटू के महासचिव साथी सहसराम चौधरी ने दी है ।

जबलपुर- अमरकंटक मार्ग चौड़ीकरण की भेंट चढ रहे सदियों पुराने जंगल- मनोज द्विवेदी

*जब जंगल ही नहीं रहेंगे तो लोग अमरकंटक क्यों आएगें*


अनूपपुर

नर्मदा की उद्गम नगरी अमरकंटक का धार्मिक, आध्यात्मिक, पर्यावरणीय और पर्यटन की दृष्टि से बड़ा महत्व है। प्रतिवर्ष यहाँ महाराष्ट्र, छग, प बंगाल ,मप्र , उप्र,राजस्थान सहित दक्षिण भारत के अन्य राज्यों से लाखों श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं। प्राकृतिक रुप से यह पर्वतमालाओं से घिरी हरी - भरी वादियों के कारण लोगों को आकर्षित करता है। नर्मदा ,सोन, जोहिला के साथ बहुत सी अन्य नदियों का उद्गम होने से यह ऋषि  - मुनियों , नर्मदा परिक्रमा वासियों , नर्मदा भक्तों की आस्था का मुख्य केन्द्र है। वर्तमान में यहाँ के लोग विकास के नाम पर तेजी से कटते जंगलों और पक्के निर्माणों से डरे हुए हैं। यहाँ से साधू ,संतों और ग्रामीणों ने समय - समय पर चिंता जाहिर करते हुए प्रशासन को आगाह किया है।

*जबलपुर - अमरकंटक मार्ग निर्माण*

इन दिनों जबलपुर - अमरकंटक मार्ग का निर्माण बहुत तेजी से चल रहा है। फोर लेन सड़क के लिये सड़क के दोनों ओर हजारों की संख्या में छोटे - बड़े पेड़ काटे जा रहे हैं। मिट्टी और मुरुम के लिये टीले, छोटी पहाडियों, सरकारी भूमि को खोदा जा रहा है। यह बहुत चिंता जनक है । लोग यह समझते हैं कि बढते ट्रैफिक के हिसाब से सड़कों की चौड़ाई बढना चाहिये । सुगम ,  सुरक्षित यात्रा के लिये यह सभी की आवश्यकता है। सड़कें चौड़ी होंगी तो यात्रा में लगने वाले समय , धन, शक्ति की भी बचत होगी।

*करंजिया से कबीर तक कटेंगे हजारों वृक्ष*

पर्यावरणीय दृष्टि से इसका दूसरा पक्ष अधिक डरावना और ज्यादा चिंताजनक है। डिण्डोरी जिले के करंजिया से कबीर तक लगभग 22 किमी सड़क के दोनों ओर फोर लेन के लिये जंगल के अंदर 300 फिट तक हजारों वृक्षों को काटने के लिये चिंन्हांकन किये जाने की पुष्ट सूचना है। अब कबीर से करंजिया के बीच 22 किमी सड़क को चौड़ा करने के लिये उन हजारों वन वृक्षों को काटा जाएगा जो सैकड़ों वर्ष पुराने हैं। इससे यहाँ का वन रकबा सिकुडेगा। जिसके कारण यहाँ के जीव जन्तुओं , वानस्पतिक प्रजातियों के नष्ट होने की प्रबल आशंका है।

*साल बोरर के कारण कटे वृक्षों की भरपाई नहीं*

इस क्षेत्र में दो दशक पहले साल बोरर के प्रकोप के वक्त लाखों साल / सरई  ( शोरिया रोबुस्टा ) वृक्षों का कत्लेआम दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में किया गया था। उसकी भरपाई आज तीन दशक बाद भी नहीं हो पाई है।

अब एक बार फिर फोर लेन सड़क निर्माण के लिये इस सघन वन क्षेत्र के हजारों वृक्षों के कटने से  यहाँ के इकोसिस्टम पर , वनस्पतियों , जीव जन्तुओं के अस्तित्व पर खतरा है। ऐसा कहें कि मैकल की इन तराईयों की जिस पर्यावरणीय सुन्दरता को देखने लोग यहाँ आते हैं, उसका नष्टीकरण सुनिश्चित किया जा चुका है। इस क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि बिना वृक्षों को काटे हुए, आसानी से सुलभ जमीनों पर ही मार्ग चौड़ीकरण करके काम को आगे बढाया जा सकता है। इसके लिये सडक के दोनों ओर लगभग 300 फीट तक सदियों पुराने वृक्षों को काटना बिल्कुल जरुरी नहीं है। जब यहाँ जंगल और उसकी प्राकृतिक सुन्दरता ही नहीं बचेगी तो यहाँ का मूल अस्तित्व ही नष्ट हो जाएगा। जिला प्रशासन के माध्यम से राज्य और केन्द्र सरकार का ध्यानाकर्षण करने की कोशिश की जा रही है। क्षेत्र के जन प्रतिनिधियों को भी इस हेतु आवश्यक पहल करने की जरूरत है।

दुकान मे घुसकर की तोड़फोड़ व गाली गलौच, सरपंच व सहायक सचिव के खिलाफ हुई शिकायत

*15 हजार का हुआ नुकसान, पीड़ित ने न्याय की लगाई गुहार*


अनूपपुर

थाना क्षेत्रांतर्गत ग्राम पंचायत रेउला के सरपंच एवं सहायक सचिव द्वारा शराब के नशे में धुत्त होकर एक दुकान में घुसकर गाली-गलौज करते हुए समानों को तोड़-फोड़ कर, दुकानदार को आर्थिक क्षति पहुंचाई गयी। जिससे आहत होकर दुकान संचालक द्वारा कोतमा थाना में पहुंचकर सरपंच एवं सहायक सचिव के विरुद्ध लिखित शिकायत करते हुए मामले पर न्यायोचित कार्यवाही की मांग की गयी है।

शिकायत में उल्लेख किया गया है कि ननका ढीमर पिता मानिकबाल ढीमर ग्राम रेउला थाना कोतमा द्वारा गांव में ही क्योंटा बांधा सड़क पुल समीप बिरयानी होटल का दुकान संचालित कर, अपना व परिवार का भरण पोषण करता है। जहां 13 अक्टूबर कि रात्रि लगभग 01 बजे ग्राम-रेउला का सरपंच शुकुल सिंह, एवं सहायक सचिव ओमप्रकाश गोड़ द्वारा शराब के नशे में धुत्त होकर कोतमा से रेउला आते समय मेरे दुकान में रुककर मुझे मां बहन की भद्दी-भद्दी गाली देते हुए दुकान के अंदर घुसकर मेरा काॅलर पकड़कर, दोनों व्यक्तियों द्वारा मेरे साथ लात-घूं‌सों से मारपीट भी किया गया। साथ ही दुकान का काऊंटर जिसमें किराना व बिरयानी का समान था उन सभी को भी फेंकते हुए, अंदर आलमारी में तोड़फोड़ किया गया। जिससे लगभग 15 हजार रुपए का मुझे आर्थिक नुकसान हुआ है। घटना से मैं व मेरा परिवार आहत हैं। वहीं सरपंच एवं सहायक सचिव द्वारा मुझे जान से मारने कि योजना भी बनाया जा रहा है।

*थाना क्षेत्र में बढ़ रहा अपराधों का ग्राफ*

गौरतलब है कि कोतमा थाना क्षेत्र में अपराधों का ग्राफ दिन-प्रतिदिन तीव्र गति से बढ़ता जा रहा है, एक तरफ जहां पुलिस प्रशासन द्वारा क्षेत्र में अपराधों पर नकेल कसने कि बात करते हुए खुद कि पीठ खुद ही थपथपाया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ ध्यानाकर्षित करने पर मालुमात होता है कि कोतमा पुलिस कि अपराधों पर नियंत्रण व्यवस्था महज खोखली ही साबित होता जा रहा है। क्षेत्र कि वास्तविक यथास्थिति तो कुछ और ही कहानी बयां करती हैं जहां भिन्न-भिन्न तरह के पनपते अवैध कारोबारों के साथ ही दिन-प्रतिदिन अपराधों के ग्राफ में भी वृध्दी दर्ज हो रही है। जो चिंतनीय है। एवं उच्च प्रशासनिक स्तर पर क्षेत्र कि कानून-व्यवस्था पर ध्यानाकर्षित कर, संज्ञानता दिखाने कि आवश्यक्ता है। जिससे कोतमा पुलिस अपनी खोखली दावों से बाहर निकलकर अपेक्षाकृत वास्तविक यथास्थिति से अवगत हो सके।

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