सिन्धी समाज का थदिड़ी पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा, घरों में नहीं जलेंगे चूल्हे
सिन्धी समाज का थदिड़ी पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा, घरों में नहीं जलेंगे चूल्हे
अनूपपुर
सिन्धी समाज का पारम्परिक थदिड़ी पर्व सर्वसमभाव के साथ 25 अगस्त को संपूर्ण भारतवर्ष में मनाया जाएगा। सामाजिक कार्यकर्ता अमित कुमार आहूजा ने बताया कि थदिड़ी त्यौहार के दिन सिन्धी समाज के लोग अपने घरों में चूल्हा नहीं जलाते हैं तथा मां शीतला देवी की पूजा करते हैं। इसलिए 24 अगस्त को ही तरह तरह के स्वादिष्ट व्यंजन बनाकर उसे 25 अगस्त को गृहण किया जाएगा। "थदिड़ी" शब्द का सिन्धी भाषा में अर्थ है कि ठंडी या शीतल। प्रतिवर्ष रक्षाबंधन पर्व के सातवें दिन समूचा सिन्धी समुदाय इस पर्व को हर्षोल्लास से मनाता है ।
*माता शीतला की होगी पूजा*
थदिड़ी पर्व के दिन शीतला माता की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति शीतलाजनित रोगों से पीड़ित हो तो मां शीतला उन्हें दूर कर आशीष प्रदान करती हैं। अतः गृहस्थों के लिए शीतला माता की आराधना दैहिक तापों, ज्वर, संक्रमण तथा अन्य विषाणुओं के दुष्प्रभावों से मुक्ति दिलाती है। इस दिन प्रत्येक सिन्धी परिवारों द्वारा मां शीतला देवी की आराधना करके रोगमुक्त होने की कामना की जाती है। आज से हजारों वर्ष पूर्व मुंहीजो दड़ो (मोहनजोदड़ो) की खुदाई में मां शीतला देवी की प्रतिमा निकली थी। ऐसी मान्यता है कि उन्हीं की आराधना में यह पर्व मनाया जाता है।
*एक दिन पहले बनाए जाएंगे विविध व्यंजन*
इस त्यौहार के एक दिन पहले सिन्धी समुदाय के हर परिवार में तरह तरह के व्यंजन बनाए जाएंगे, जैसे मीठी कोकी, चेहरी कोकी, बेसन की कोकी, सूखी तली हुई सब्जियां, रायता, दहीबड़े, मक्खन इत्यादि। सिन्धी परिवारों में थदिड़ी पर्व के एक दिन पूर्व संध्या को आटे में मोयन डालकर गुड़ या शक्कर की चाशनी से आटा गूंथकर बहुत ही स्वादिष्ट मीठी कोकी बनाई जाती है, जिसे आम हिन्दी भाषा में कूपड़ भी कहा जाता है।