जिला चिकित्सालय में एम्बुलेंस सेवा न मिलने से मासूम की तड़प-तड़प कर हुई मौत

*प्रबंधन की बड़ी लापरवाही, रात में परिजन कर्मचारियों से मदद की लगाते रहे गुहार*


अनूपपुर

जिला चिकित्सालय में 108 एंबुलेंस सुविधा नहीं मिलने से 8 साल के मासूम ने तडप-तड़प कर दम तोड़ दिया। जबकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी 9 से अधिक एंबुलेंस होने का दावा तो कर रहे, लेकिन मासूम को समय पर इलाज के लिए एंबुलेंस उपलब्ध न करा पाए तो उनके सब दावे खोखले नजर आ रहे है।

जिले के स्वास्थ्य व्यवस्थाएं की खबरे लगातार चल रहीं हैं। जिला चिकित्सालय में मरीजों को समय पर सुविधाएं उपलब्ध नहीं होने से उनकी मौत भी हो रही हैं। ऐसा ही मामला रात में सामने आया जहां एम्बुलेंस की कमी की वजह से 8 वर्ष के मासूम बच्चे की मौत हो गई। परिजन लगातार 108 एंबुलेंस की मांग करते रहे, लेकिन एंबुलेंस समय पर उपलब्ध नहीं हो पाई। जिससे मासूम बच्चे की मौत हो गई। अनूपपुर जिले के कोतमा क्षेत्र के रहने वाले 9 साल का मासूम अखिल बीमारी से ग्रसित था, जिसकी हालत ज्यादा बिगड़ने पर उसे उपचार के लिए पहले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कोतमा ले जाया गया, जहां बेहतर उपचार के लिए जिला चिकित्सालय रेफर कर दिया। जहां कुछ देर चले इलाज के बाद भी बच्चे की स्थिति में सुधार नहीं होने पर शहडोल मेडिकल कालेज रेफर कर दिया। लेकिन लगभग 2 घंटे तक परिजनों को एंबुलेंस की सुविधा नहीं मिल पाई, पीड़ित दर्द से जिला चिकित्सालय के मैंन गेट के सामने तड़पता रहा। परिजन चिकित्सालय के कर्मचारियों से मदद की गुहार लगाते रहे, लेकिन किसी ने भी परिजनों की मदद नहीं की। लगभग जब रात 10 बजे एम्बुलेंस जिला चिकित्सालय पहुंची। तब तक 8 वर्षीय अखिल चौधरी की मृत्यु हो चुकी थी। जबकि जिला चिकित्सालय प्रबंधन ने बताया कि यहां 9 एंबुलेंस मौजूद है। इसके बाद भी परिजनों को सही समय पर एंबुलेंस की सुविधा नहीं मिल पा रही है। रात में जिला चिकित्सालय में डॉक्टर के अलावा कोई भी स्पेशलिस्ट डॉक्टर मौजूद नहीं होते हैं। ड्यूटी डॉक्टर भी अपनी जिम्मेदारियां से पल्ला झाड़ते हुए अधिकांश मरीजों को शहडोल मेडिकल कॉलेज रेफर कर देते हैं। इस मौत के बाद भी जिला प्रशासन स्वास्थ्य सुविधाओं में कितना सुधार करते हैं।

ब्रज छोड़कर मत जइयो, सावन का ये मौसम है, मोहि और न तरसइयो, सावन का ये मौसम है



*सावन का ये मौसम है*

 

ब्रज छोड़कर मत जइयो,

सावन का ये मौसम है।

मोहि और न तरसइयो,

सावन का ये मौसम है।


मैं जानती हूं जमुना तीर काहे तू आए,

हम गोपियों के मन को कान्हा काहे चुराए,


जा लौट के घर जाइयो,

माखन चुराके खाइयो,

पर चीर ना चुरइयो,

सावन का ये मौसम है।


इस प्यार भरे गीत के छंदों की कसम है,

तोहि नाचते मयूर के पंखों की कसम है।


घुंघटा मेरो उठाइयो,

पर नजर ना लगइयो,

फिर बांसुरी बजइयो,

सावन का ये मौसम है।


नयनों की ज्योति तुझको बुलाने चली गई,

मिलने की आस,अर्थी सजाने चली गई,


अब के बरस जो अइयो 

सारी उमर न जइयो,

कांधा मोहे लगाइयो,

सावन का ये मौसम है।

 

ब्रज छोड़कर मत जइयो,

सावन का ये मौसम है।

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 'गीतकार'-अनिल भारद्वाज एडवोकेट हाईकोर्ट, ग्वालियर,

समाज कल्याण हेतु श्रद्धा महिला मंडल ने कार्यक्रम का किया आयोजन, हर्बल वाटिका का किया शुभारंभ

*महिला मंडल  चलाती है नि:शुल्क कम्प्यूटर एवं सिलाई प्रशिक्षण केन्द्र*


अनूपपुर

हसदेव क्षेत्र में श्रद्धा महिला मंडल, एस ई सी एल द्वारा अपनी गौरवशाली परंपरा के अनुसार समाज कल्याण हेतु कार्यक्रम का आयोजन किया गया। ज्ञातव्य हो कि श्रद्धा महिला मंडल द्वारा वर्ष पर्यंत एस ई सी एल संचालन क्षेत्रों और निकटवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न लोक कल्याणकारी कार्य किए जाते हैं ।इसी कड़ी में हसदेव क्षेत्र में आयोजित इस कार्यक्रम में श्रद्धा महिला मंडल की अध्यक्षा पूनम मिश्रा, उपाध्यक्ष संगीता कापरी, अनिता फ़्रैंकलिन एवं इप्शिता दास, क्षेत्रीय महिला समितियों की अध्यक्ष एवं समिति सदस्य बबीता गुप्ता, सविता अग्रवाल, पूनम सिंह उपस्थित हुए। निःशुल्क कंप्यूटर व सिलाई प्रशिक्षण से लग रहे सपनों को पंख: कार्यक्रम का शुभारंभ एस ई सी एल बिजुरी कालोनी में श्रद्धा महिला मंडल द्वारा संचालित निःशुल्क कम्प्यूटर एवं सिलाई प्रशिक्षण केन्द्र से हुआ जहाँ पर कोयलांचल एवं आस पास के ग्रामीण क्षेत्र की लगभग तीन दर्जन से अधिक महिलायें एवं कन्याएँ कंप्यूटर तथा सिलाई का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहीं हैं। अतिथियों द्वारा प्रशिक्षणार्थियों से उनके द्वारा प्राप्त किये प्रशिक्षण के बारे में बातचीत की गयी तदोपरांत 31 प्रशिक्षणार्थियों को आवश्यक सामग्री के बहुउपयोगी किट, बैग व लंच पैकेट वितरित किए गये। श्रीमती पूनम मिश्रा ने अपने प्रेरक उद्बोधन में कौशल विकास को आत्मनिर्भरता का पथ बताते हुए उन्हें स्वास्थ्य व पर्यावरण के प्रति अपने महती कर्तव्य को भी पूरा करने का संदेश दिया। 

समाज के कमजोर वर्ग के सहायतार्थ बढ़ाये हाथ: श्रद्धा महिला मंडल द्वारा निकटवर्तीं ग्रामीण क्षेत्र के चार हितग्राहियों को स्वच्छ सब्ज़ियों से भरे हाथठेले वितरित किए। सभी लाभार्थियों को नये वस्त्र व गमछे भी भेंट किए गये। हितग्राहियों ने मुक्तकंठ से मण्डल का हार्दिक आभार प्रदर्शित करते हुये कहा कि वे अब अपने परिवार के भरणपोषण के लिये आत्मनिर्भर हो गये हैं। श्रीमती पूनम मिश्रा ने उन्हें शुभकामनाएँ देते हुए कहा की आप अच्छी सामग्री का अधिक से अधिक विक्रय कर अपने परिवार को आगे बढ़ाएँ एवं विकसित भारत के सहयोगी बनें। ग्रामीण कन्याओं को साइकिल वितरण: श्रद्धा महिला मंडल द्वारा चार कन्याओं को प्रशिक्षण व शिक्षा के साथ अपने कार्य को सुगमता से करने की लिए सुसाज्जित साइकिलें प्रदान की। मण्डल अध्यक्षा ने उन्हे शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि आपका कौशल आपकी आत्मनिर्भरता की साथ साथ आपके सम्मान का भी माध्यम बनेगा। अध्यक्षा का स्नेह पाकर लाभार्थी भाव बिहल हो गये, कन्याओं को हृदय से लगाकर मज़बूत बनने का संदेश दिया। सभी प्रशिक्षणार्थियों को पौधे किये भेंट: हरित कोयलांचल के संकल्प के साथ सभी प्रशिक्षणार्थियों को फलदार व औषधीय पौधे वितरित कर अधिकाधिक वृक्षारोपण के लिए संदेश दिया गया। प्रशिक्षण स्थल के पास ही सभी गणमान्य अतिथियों द्वारा “ एक पेड़ माँ के नाम”  कार्यक्रम के तहत औषधीय पौधों का वृक्षारोपण किया गया।  पूनम मिश्रा ने कार्यक्रम में उपस्थित पत्रकारों को मण्डल एवं ज़रूरतमंद लोगों के मध्य की एक आवश्यक कड़ी बताया तथा कहा कि आपके सहयोग से हम अधिकाधिक लोगों की सेवा का अपना ध्येय पूरा कर सकते हैं।

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