वॉटर टेस्टिंग के दौरान निकले हानिकारक अपशिष्ट को मिट्टी में दफन कर किया गया खत्म
वॉटर टेस्टिंग के दौरान निकले हानिकारक अपशिष्ट को मिट्टी में दफन कर किया गया खत्म
*मामला पीएचई कार्यालय अनूपपुर के पीछे दबायें गये अपशिष्ट का फैलाया भ्रम*
अनूपपुर।
सोशल मीडिया में पानी की जांच में उपयोग किए जाने वाले कैमिकल एवं दवाईयों को लोक स्वास्थ्य एवं यांत्रिकी विभाग खंड अनूपपुर कार्यालय के पीछे फिल्ड टेस्ट कीट एवं क्लोरिनेशन दफन किए जाने एवं जनपद पुष्पराजगढ़ के ग्राम सालरगोंदी में एक ही परिवार के चार लोगो की मौत दूषित पानी के कारण संबंधी पोस्ट पर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग कार्यालय की पड़ताल के दौरान ज्ञात हुआ कि लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के वाटर प्रयोगशाला में पानी जांच के दौरान बचे हानिकारक रासायनिक अपशिष्ट को मिट्टी में दबाकर खत्म किया गया है। जिससे मानव व पशुओं की पहुंच से दूर हो। इसके साथ ही पूर्व में जिला प्रशासन ने ग्राम सालरगोंदी हुई चार मौत उल्टी-दस्त से नही बल्कि अलग- अलग कारणों से होना बताया था, जहां सीएमएचओं ने भी अवगत कराया था कि 31 जुलाई की शाम 7 बजे माखन पिता किर्रा बैगा की मृत्यु पूर्व के एक दो साल से बीमार होने के कारण, झिंघिया बाई पति जेठयू लाल उम्र 75 वर्ष सरई पटेरा की मृत्यु बुखार एवं उल्टी और बच्चे की मृत्यु का कारण उसका सुस्त व बवासीर, खून की कमी तथा अल्कोहलिक के कारण 1 अगस्त की सुबह 8 बजे होने तथा लीलाबाई पति नरेन्द्र उम्र 25 वर्ष के अचानक बेहोश हो जाने पर अस्पताल पहुंचने के पूर्व होना बताया गया था।
*यह है मामला*
लोगों को स्वच्छ पानी उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से पीएचई विभाग द्वारा जिले भर के वॉटर सोर्स जिनमें हैण्डपंप, कुआं, नलजल योजना सहित प्राकृति स्त्रोत के पानी की टेस्टिंग के लिए साइड सैम्पल एवं लैब में टेस्टिंग की जाती है। टेस्टिंग के दौरान उक्त जन स्त्रोत के लिए गए सैम्पल से पानी का धुंधलापन परखने से अलावा बैक्टीरिया टेस्ट, पीएच वैल्यू टेस्ट, पानी की टर्बोडिटी, टीडीएस, टोटल अलकानिटी, टोटल हार्डनेस, कैल्शियम, मैग्नीशियम, निटरेट, सल्फेट, आयरन, क्लोराइन, फ्लोराइड सहित अन्य टेस्ट किए जाते हैं। जहां टेस्ट के दौरान लैब से निकलने वाले हानिकारक रसायन जिसे खुले स्थानों में नहीं फेंका जा सकता है, इसे सिर्फ मिट्टी में दबाकर ही नष्ट किया जाना होता है की जानकारी लगी थी जहां उक्त हानिकारक रसायन को ही सुरक्षित तरीके से डिस्पोज किया गया था, लेकिन सोशल मीडिया में पानी को स्वच्छ करने वाली दवाईयों एवं केमिकल को दबाया जाना भ्रम फैला दिया गया।
*जांच किए गए वाटर सोर्स के आंकड़े*
लोक स्वास्थ्य लोक स्वास्थ्य एवं यांत्रिकी विभाग कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार बारिश के पूर्व जिले के वॉटर सोर्स जिसमें हैण्डपंप, कुएं, नलजल योजना सहित प्राकृतिक स्त्रोतों के पानी की जांच की गई। आंकड़ों के अनुसार जिले के चारों विकासखंडो में 9 हजार 537 हैण्डपंप के पानी की जांच की गई है, जिसमें अनूपपुर विकासखंड में 2 हजार 72, कोतमा में 1584, जैतहरी में 3 हजार 11 एवं पुष्पराजगढ़ में 2870 हैण्डपंपो के पानी की जांच लैब में की गई है। इसके साथ ही 176 नलजल योजना एवं पुष्पराजगढ़ के 39 झीरिया (प्राकृतिक स्त्रोत) के पानी की जांच कर पानी में मिलने वाली भारी धातु अरसैनिक, एल्युमीनियम, सिक्का, बैक्टीरिया का पता लगाकर उक्त पानी को स्वच्छ कर पानी से होने वाली गंभीर बीमारियों से बचा जा सके।
*जल स्त्रोतो में डाला गया 20 हजार लीटर क्लोरीन*
जिले के लोगो को स्वच्छ पानी उपलब्ध कराकर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग अनूपपुर कार्यालय द्वारा अब तक 2 हजार 760 पानी के सैंपलो की जांच लैब में की जा चुकी है, जिसके बाद जिले के 9 हजार 537 हैण्डपंप, 176 नलजल योजना सहित अन्य प्राकृतिक स्त्रोतो के पानी में बैक्टीरिया मिलने पर माह मार्च 2024 से माह जुलाई तक 20 हजार क्लोरीन (सोडियम हाइपो क्लोराइड) डाला जा चुका है। इसके साथ कई हैण्डपंप से निकलने वाले पानी में ऑयरन की मात्रा अधिक मिलने पर हैण्डंप के राइजर पाईप को बदला गया है। एच. एस. धुर्वे, कार्यपालन यंत्रीलोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग अनूपपुर ने बताया कि प्रयोगशाला में पानी की जांच के बाद निकलने वाले अपशिष्ट (वेस्ट मटेरियल को) जो हानिकारक होता है को डिस्पोज किया गया था।