एमपी, सीजी जाने वाले तीन मार्ग बंद, प्रशासन और पुलिस एलर्ट, सावधानी बरतने की अपील

*कई पुल के ऊपर से बह रहा है पानी, पानी के बहाव से पुलिया टूटी*


शहडोल 

जिले में लगातार हो रही तेज बारिश की वजह से नदियां उफान पर हैं। इसका असर न केवल जनजीवन पर पड़ता नजर आ रहा है। बल्कि लगातार बारिश के कारण कई मार्ग में आवाजाही बंद हो गई है। इसमें मुख्य रूप से मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ को जोड़ने वाले कई भीतरी मार्ग बंद भी हो गए हैं। तेज बारिश की वजह से बीते दिनों ब्यौहारी सूखा मार्ग में पुलिया टूट गई, जिस कारण वह मार्ग बंद हो गया था। मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ को जोड़ने वाला तीन अंदरूनी मार्ग बंद हो गए हैं, जिसमें जिले के सीधी थाना क्षेत्र के ओदारी नदी पुल के ऊपर से बह रही है, जिससे यह मार्ग बाधित हो गया है।

जानकारी लगने के बाद पुलिस मौके पर पहुंची है और आवागमन बंद कर दिया गया है। बताया गया कि यह मार्ग जयसिंहनगर से सीधी होते हुए छत्तीसगढ़ के जनकपुर को जोड़ता है। इस मार्ग में कई यात्री बसें चलती हैं, जो अब प्रभावित है। नदी पुल के ऊपर से बह रही है, जिसकी वजह से यह मार्ग को पुलिस ने बंद कर दिया है। आने व जाने वाले लोगों को रोका जा रहा है।

*यहां भी नदी उफान पर*

इसी प्रकार बुढार थाना क्षेत्र के चौकी केशवाही अंतर्गत तराई ढोल गांव के समीप एक छोटी नदी उफान में है। पुल के ऊपर से पानी बह रहा है, जिसकी वजह से मार्ग को बंद कर दिया गया है। यह मार्ग छत्तीसगढ़ को जोड़ने वाला एक भीतरी मार्ग है। वहीं, चौकी केशवाही के सेमर पानी गांव के समीप छोटी पुलिया उफान में है। यह छत्तीसगढ़ को जोड़ने वाला एक भीतरी मार्ग है, जहां से छत्तीसगढ़ से एमपी और एमपी के लोग छत्तीसगढ़ आने-जाने में इस मार्ग का इस्तेमाल करते हैं।लेकिन शनिवार की दोपहर से पुलिया के ऊपर से पानी बहने की वजह से मार्ग अवरुद्ध है।

*आधा सैकड़ा गांव का टूटा संपर्क*

इस तरह ब्यौहारी के सूखा गांव के समीप तेज बारिश की वजह से पुल के ऊपर से बह रहे पानी से पुलिया टूट गई, जिसकी वजह से 50 गांव का संपर्क टूटा हुआ है। वहीं नोढिया गांव में समधीन नदी उफान में है। पुल से चार फीट ऊपर पानी चल रहा है। यह मार्ग पपौंध जाने का मुख्य मार्ग है। नदी के ऊपर से पानी चलने के कारण मार्ग पूरी तरीके से अवरुद्ध हो गया है, पुलिस बल लगाया गया है और आने व जाने वाले लोगों को पहले ही रोक लिया जा रहा है। जिले की अधिकांश नदियां उफान पर है तथा इन नदी के ऊपर बने पुल डूब चुके हैं। आमजन से ऐसे मार्ग में आवाजाही न करने की अपील की गई है।

कल्याणिका केन्द्रीय शिक्षा निकेतन विद्यालय 26वां  स्थापना दिवस समारोह धूमधाम से मनाया

*विद्यालय को ऊंचाइयों पर पहुंचाने के लिए विद्यालय परिवार काफी बड़ा योगदान - स्वामी हिमाद्री मुनि


अनूपपुर

कल्याणी का केंद्रीय शिक्षा निकेतन अमरकंटक में बड़े ही धूमधाम एवं उल्लास के साथ 26 वां स्थापना दिवस कार्यक्रम संपन्न हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में जवाहर नवोदय विद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर स्कराय एवं विशिष्ट अतिथि में स्वामी हिमाद्री मुनि महाराज प्रबंध निवासी श्री कल्याण सेवा आश्रम अमरकंटक एवं स्वामी हर स्वरूप महाराज स्वामी जगदीश आनंद महाराज स्वामी धर्मानंद महाराज स्वामी लवलीन महाराज धारकुंडी आश्रम अमरकंटक स्वामी हनुमान दास महाराज महंत शिव गोपाल आश्रम अमरकंटक की उपस्थिति में गरिमापूर्ण ढंग से  स्थापना दिवस मनाया गया कार्यक्रम में अतिथियों के द्वारा अपने-अपने संबोधन प्रस्तुत किए गए एवं विद्यालय के छात्र-छात्राओं के द्वारा मनमोहक नृत्य गीत एवं ड्रामा प्रस्तुत कर अतिथियों का मन मोह लिया कल्याण का केंद्रीय शिक्षा निकेतन विद्यालय अमरकंटक अपना 26 वर्ष पूर्ण कर 27वीं वर्ष में प्रवेश किया विद्यालय के संबंध में जब विद्यालय 3 अगस्त 1998 को शुरुआत हुआ तब चार कमरों और 40 विद्यार्थियों से विद्यालय की शुरुआत हुई थी आज यह विद्यालय करीब 800 बच्चों के साथ अग्रसर है एवं विद्यालय के अंग के रूप में एक विद्यालय मां कल्याणी का पब्लिक स्कूल पेंड्रा रोड में स्थापित है एवं एक विद्यालय कल्याणी का केंद्रीय शिक्षा निकेतन विद्यालय पटना राजेंद्र ग्राम में स्थापित है एवं कल्याणी का महाविद्यालय के रूप में बी एड कॉलेज भी विद्यालय के द्वारा संचालित है विद्यालय के छात्र-छात्राएं प्रतिवर्ष अच्छे अंकों से परीक्षा पास करते हैं तथा अन्य परीक्षाओं में भी विद्यालय एवं परिवार का नाम रोशन करते हैं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉक्टर एस के राय ने बताया कि नई शिक्षा नीति के अनुसार विद्यार्थियों को ऐसा बनाना है कि वह विद्यार्थी अध्ययन के पश्चात बेरोजगार ना रह सके स्वयं अपने बल पर रोजगार उत्पन्न कर सकें कार्यक्रम में बच्चों के द्वारा राजस्थानी उड़िया पंजाबी गुजराती मराठी एवं शास्त्रीय नृत्य के साथ बहुत ही मनमोहक प्रस्तुति की गई जिसके परिणाम स्वरुप अतिथियों के द्वारा छात्र-छात्राओं को उत्साह वर्धन के लिए धनराशि भी दी गई एवं कार्यक्रम के अंत में परीक्षा नियंत्रक शुक्ला सर ने सभी का आभार व्यक्त किया एवं कार्यक्रम का मंच संचालन विद्यालय के ऊप प्राचार्य त्रिपाठी सर ने किया एवं विद्यालय के अन्य विषयों को लेकर अतिथियों के सामने विद्यालय के प्राचार्य कमलेश मिश्रा ने विद्यालय के विषय में बताया उक्त कार्यक्रम में विद्यालय परिवार के समस्त शिक्षक गण कर्मचारी गण एवं अन्य तिथियां में रणजीत सिंह दिनेश साहू शिव खरवार आनंद मनी एवं पत्रकार उमाशंकर पांडेय उपस्थित रहे।

बंद पड़ी डूमरकछार भूमिगत खदान पुनः प्रारंभ किया जाए-सुनील चौरसिया

*राष्ट्र को कोयला और क्षेत्रीय लोगों को रोजगार मिल सके*


अनूपपुर

कोयला ऊर्जा का एक अच्छा और बड़ा स्त्रोत है साथ ही देश में कोयले की आवश्यकता भी है,कई दशक पहले कोयला उत्पादन के लिए तकनीकी का विस्तार एवं विकास उतना नहीं हो पाया था जितना आज है, इसी वजह से कई ऐसी कोयला खदाने है जो उस वक्त खुली तो लेकिन मानव संसाधन के बल पर कोयला खदाने जितनी चल सकती थी उतनी चली,यंत्रों और मशीनरी का उपयोग उस जमाने में ना हो पाने के कारण उन खदानों से कोयले की सम्पूर्ण निकासी नहीं की जा सकी,फलस्वरूप आज भी उन क्षेत्रों में कोयले का भंडार रिजर्व है, ऐसा ही एक कोयला खदान एसईसीएल उपक्रम के हसदेव क्षेत्र के राजनगर उपक्षेत्र के डूमर कछार में है जहां 1960 से 1964 के बीच में कोयले का उत्पादन किया गया, लेकिनअत्याधुनिक तकनीकी के मशीनों के उस वक्त ना हो पाने के कारण कोयले का पूरी तरीके से उत्पादन नहीं किया जा सका था।

 डूमरकछार खदान में पानी भर जाने के कारण पानी निकासी की उतनी व्यवस्था नहीं थी इसलिए प्रबंधन ने खदान को बंद करके मानव श्रम शक्ति को दो नंबर खदान में श्रमिकों को स्थानांतरित कर दिया, तकनीकी कारणों से कोयला तो नहीं निकल गया परंतु श्रम शक्ति का स्थानांतरण दूसरे खदान में कर लिया गया परंतु ऐसा अंदेशा है कि आज भी डूमरकछार खदान से लाखों टन कोयला संधारित है जिसका उत्पादन किया जा सकता है। इसी विषय को लेकर कोयलांचल क्षेत्र के समाजसेवी,नगर परिषद डूमर कछार के अध्यक्ष एवं जिला योजना समिति के सदस्य डॉ. सुनील कुमार चौरसिया ने एसईसीएल के अध्यक्ष  सहप्रबंध निदेशक और हसदेव क्षेत्र के महाप्रबंधक को पत्र लिखकर डूमरकछार बंद पड़ी माइंस को पुनः प्रारंभ किए जाने का आग्रह किया है ताकि जहां एक ओर राष्ट्र को कोयला मिल सके वहीं दूसरी तरफ क्षेत्र के स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिल सके।

श्री चौरसिया ने अपने पत्र में प्रबंधन का ध्यान आकर्षित कराते हुए उल्लेख किया है कि उस वक्त खदान में पानी की मात्रा अधिक होने के कारण पानी की निकासी की समुचित व्यवस्था न होने के कारण डूमर कछार खदान को बंद कर दिया गया था,डूमरकछार भूमिगत खदान में आज भी करोड़ों की राष्ट्रीय संपदा है,राष्ट्र को कोयले की आवश्यकता और क्षेत्र में बेरोजगारी को दूर करने के लिए बन्द पड़ी डूमरकछार खदान को पुनः प्रारंभ करके जनहित/राष्ट्रहित में कोयले का उत्पादन किये जाने का आग्रह किया है।

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