आखिर क्यू हुआ नगर विकास मंच का नाम फ्लाईओवर संघर्ष समिति, ऊंट की चोरी निहुरे-निहुरे नही होत- जिवेंद्र सिंह

ओवरब्रिज ब्रिज के लेट - लतीफी के लिए ब्रिज का विरोध करने वाले जिम्मेदार हैं !


अनूपपुर

नगर विकास मंच ने फ्लाईओवर ब्रिज के संबध मे नगरपालिका के पार्क में बैठक आयोजित किया। दुसरी बैठक मे 04 दिनों बाद ही नगर विकास मंच का नाम परिवर्तित कर फ्लाईओवर संघर्ष समिति कर दिया गया। आखिर क्यों...? फ्लाईओवर ब्रिज अनूपपुर के लिए विगत 7-8 वर्षों से 02 प्रकार का संघर्ष चल रहा है जिसमे एक समूह नही चाहता था कि ओवरब्रिज ब्रिज बने और दुसरा समूह चाहता था कि ओवरब्रिज बने। एक समूह लगातार बैठक आयोजित कर विरोध में अभियान चलाया, चंदा करके कोर्ट कचहरी का रास्ता अख्तियार किया दुसरा समूह इंदिरा तिराहा मे अनशन कर ओवरब्रिज का शिलान्यास कराया।

एक समूह ने 90 फिट चौडाई के ब्रिज को 70 फिट कराया और शिलान्यास का शिलालेख तक उखाड़ फेंका दुसरा समूह भरी गर्मी में सैकड़ों युवाओं के साथ कलेक्ट्रेट का घेराव किया और ओवरब्रिज का काम प्रारंभ कराया। एक समूह मुख्यमंत्री से लेकर रेलवे के अधिकारियों से मिलता रहा कि ओवरब्रिज ब्रिज जल्द बने और दुसरा समूह ब्रिज न बनाने के लिए लिखा पढी किया। जनता के समक्ष दोनों समूहों का संघर्ष सामूहिक रूप से जाना पहचाना है। आज गठन किए गए फ्लाईओवर संघर्ष समिति के सम्मानित पदाधिकारियों का ओवरब्रिज निर्माण के लिए क्या योगदान दिया है या कि क्या भूमिका रही है, हरेक पदाधिकारी को अपनी - अपनी भूमिका सार्वजनिक करना चाहिए या फिर संघर्ष समिति को बताना चाहिए।

ओवरब्रिज संघर्ष समिति का गठन किए बगैर ओवरब्रिज बन रहा है इसके लेट लतीफी के जिम्मेदार कौन है इसे सार्वजनिक करना चाहिए। बाजार बंद आखिरी ऊपाय जरूर हो सकता है लेकिन पहले आवश्यक ऊपाय करना चाहिए । जिन लोगों ने ओवरब्रिज का विरोध पूर्व में किया है उन्हें और उनके परिजनों को नगर की जनता से सार्वजनिक रूप से क्षमा मांगकर प्रायश्चित करना चाहिए।

*विलंब का यह भी है कारण*

नगर के गणमान्य लोगों के विरोध के वजहों से ओवरब्रिज का मामला उलझ गया और विरोध करने वालों ने स्थानीय प्रशासन और रेलवे प्रशासन को गुमराह करते हुए अन्य स्थल चयन का अथवा अंडरब्रिज बनाने का दबाव बनाया लेकिन सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन है कि जहां पर रेलवे फाटक है उसी स्थान पर ओवरब्रिज बनेगा। तत्कालीन कलेक्टर अजय शर्मा ने स्वयं मौका निरीक्षण किया और राज्य सरकार को गोपनीय रिपोर्ट भेजा।इसकी भनक जैसे ही अनूपपुर के युवाओं को लगी तो कलेक्ट्रेट परिसर का घेराव किया साथ ही तत्कालीन अनूपपुर विधायक इंदिरा तिराहे पर धरना दिया जिसके परिणाम स्वरूप तत्कालीन प्रभारी मंत्री अनूपपुर ने धरना स्थल पर आकर घोषणा किया कि इसी स्थान पर ओवरब्रिज बनेगा और शिलान्यास भी हुआ। लेकिन विरोधियों ने शिलान्यास पट्टी को ही रात के अंधेरे में तोड़ दिया। लेकिन ओवरब्रिज 90 फिट  चौडाई के स्थान पर 70 फिट चौडा कर दिया गया जिसके कारण पूरा नक्शा, स्टीमेट बदल गया।नये सिरे से मृदा परीक्षण, स्टीमेट, तकनीकी स्वीकृति और प्रशासकीय स्वीकृति लेना पडा।नये सिरे से टेंडर प्रक्रिया अपनाई गई। सेतु निगम और रेलवे प्रशासन को नई निविदाएं बुलाना पड़ा जिसके कारण कम से कम 03 साल की देरी हुई है, इस देरी के लिए जिम्मेदार लोग आम जनता के बीच चिन्हित हैं। मुआवजा राशि पाने के बाद भी कब्जा हटवाने के लिए स्थानीय प्रशासन को काफी जद्दोजहद करना पडा तत्कालीन एसडीएम कमलेश पुरी ने जेसीबी लगाकर अतिक्रमण हटवाया तब कहीं जाकर ओवरब्रिज का निर्माण शुरू हो सका लेकिन तब तक लगभग 04 वर्ष के करीब लेट हो चुका था।बइस तरह से ओवरब्रिज को लेट कराने वाले कुछ लोग अब जल्दी से ओवरब्रिज बनाने की बात कर रहे हैं और प्रशासन पर दोष मढ रहे हैं जो कि हास्यास्पद है।

*कर रहे हैं गुमराह*

ओवरब्रिज का विरोध करने वाले अब अकारण नाखून काटकर शहीद होने का प्रपंच रच रहे हैं। वर्षा ऋतु मे सभी निर्माण कार्य की गति धीमी हो जाती है तो निर्माण कार्य तेज करने का प्रोपेगेंडा रचा जा रहा है। नवगठित ओवरब्रिज संघर्ष समिति के पदाधिकारियों का पूर्व में ओवरब्रिज को लेकर क्या स्टैंड रहा है समिति को सार्वजनिक करना चाहिए। अनूपपुर की आम जनता को बताना चाहिए कि ओवरब्रिज का विरोध करने के पीछे क्या मंशा थी....? ओवरब्रिज के विरोध करने वालों को अब पश्चाताप है या नहीं.....? रेलवे स्टेशन के भीतर प्लेटफार्म नंबर 01 से प्लेटफार्म नंबर 04 को जोडने वाली सीढी को ब्लाक कर दिया गया है किसी ने आवाज उठाने की जहमत नहीं उठाई और समिति के माध्यम से जनमानस को गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं। जिन भी लोगों ने ओवरब्रिज का विरोध किया है उनकी वजह से ही ब्रिज के निर्माण में देरी हो रही है वर्ना ओवरब्रिज 2020 -21 मे ही बन जाता जैसे बिजुरी और बुढार मे बन गया और चालू भी है।

गोल्ड, सिल्वर, ब्रांज मेडल जीतकर बालिकाएं गर्व से राष्‍ट्रीय चैम्यिनशिप ट्रॉफी लेकर लौटीं

*ऑल इंडिया चैंपियनशिप नेशनल फाइनल सपोर्ट फॉर चेंज प्रतियोगिता में नाम किया रोशन*


शहड़ोल

ऑल इंडिया चैंपियनशिप नेशनल फाइनल सपोर्ट फॉर चेंज प्रतियोगिता में मध्‍यप्रदेश की ओर से जिला शहडोल के विजेता फुटबाल खिलाडि़यों ने मेडल एवं चैम्पियंस ट्रॉफी को साथ लेकर अपने कोच के साथ एडीजीपी शहडोल ज़ोन डीसी सागर से मुलाकात किए। उन्‍होंने अपनी विजय यात्रा के संस्‍मरण को याद करते हुए बताया कि रामचरित मानस की चौपाई : ''सौरज धीरज तेहि रथ चाका। सत्‍य शील दृढ़ ध्‍वजा पताका।। बल बिबेक दम परहित घोरे। छमा कृपा समता रजु जोरे।।''  की प्रेरणा से हमारे खेल में गुणात्‍मक सुधार हुआ और जोश, होश एवं ताकत के साथ टीम भावना से खेलकर प्रतिद्वंदी पर विजय हासिल किया है। इसके साथ ही खिलाडि़यों ने एक बार पुन: चौपाई सुनाने के लिए आग्रह करने पर एडीजीपी डीसी सागर के साथ चौपाई सुनाई जिसे सभी खिलाडि़यों ने सामूहिक रूप से दोहराया गया। उन्‍होंने इस चौपाई के माध्‍यम से विजय रथ का तात्‍पर्य बताकर चैम्पियनशिप को जीतने की कुशल रणनीति बनाकर खेलने के लिए प्रेरित किया। इसके साथ ही शहडोल में फुटबाल क्रांति के जनक पूर्व कमिश्‍नर शहडोल राजीव शर्मा के योगदान को याद किया गया। 

खिलाडि़यों ने एडीजीपी डीसी सागर से किट सामग्री और अन्‍य आवश्‍यक खेल सामग्री उपलब्‍ध कराने के लिए आग्रह किया। एडीजीपी डीसी सागर द्वारा बेहतर खेल सामग्री उपलब्‍ध कराने के लिए कहा गया है ताकि खिलाडि़यों को उत्‍कृष्‍ट खेल के प्रदर्शन में सुविधा हो सके। रिलायंस फाउंडेशन के  उपस्थित अधिकारियों ने जरूरी खेल सामग्री उपलब्‍ध कराने के लिए आश्‍वत किया गया। 

यह उल्‍लेखनीय है कि ऑल इंडिया चैंपियनशिप नेशनल फाइनल सपोर्ट फॉर चेंज प्रतियोगिता में मध्‍यप्रदेश की ओर से जिला शहडोल के फुटबाल खिलाडि़यों ने अण्‍डर-16 बालिका आयु वर्ग में गोल्‍ड मेडल, अण्‍डर-14 आयु वर्ग में शतरंज में पूर्वी गुप्‍ता ने गोल्‍ड मेडल, टेबल टेनिस में रिमझिम केवट ने सिल्‍वर मेडल, एथलेटिक्‍स में रागिनी सेन ने ब्रांज मेडल जीतकर शहडोल एवं मध्‍य प्रदेश को गौरवान्वित किया है। इस अवसर पर एडीजीपी डीसी सागर ने सभी खिलाडि़यों को और उनके कोच को हार्दिक बधाई दिए एवं उज्‍ज्‍वल भविष्‍य के लिए शुभकामनाएं दिए। 

इस अवसर पर जिला शहडोल के फुटबाल खिलाड़ी : रेलवे स्कूल शहडोल से सुहानी कोल, गरिमा चौधरी, कृषिका यादव, मान्यता गुप्ता, रागनी सेन ,राहत परवीन, आयशा खान, एमएलबी स्कूल शहडोल से एकता केवट, सपना गुप्ता, सृष्टि सोंधिया, सादिया अंजुम, विचारपुर फ्रीडर  सेंटर से सानिया कुंडे, दिव्या सिंह ,काजल सिंह, संगीता बैगा, गीता बैगा, रिलायंस फाऊंडेशन स्कूल शहडोल से , मोनिका सिंह, शीतल सिंह, सोनू बैगा, चांदनी सिंह उपस्थित रहे।  साथ ही रईश अहमद खान सहायक संचालक खेल एनआईएस कोच फुटबाल शहडोल, सहायक कोच अनिल सिंह, रिलायंस फाउण्‍डेशन से राजीव श्रीवास्‍तव, शमीम खान, एचसीएल (आई हेड) विनोद कुमार यादव, उमेश श्रीवास्‍तव प्राचार्य एमएलबी स्‍कूल शहडोल, अनीता मिश्री पीटीआई, राजेश श्रीवास्‍तव, सफदर हुसैन संचालक वेल वेदर स्‍कूल विचारपुर उपस्थित होकर खिलाडि़यों का उत्‍साहवर्धन किये। 


----

अनुपमा सब की सहेली पुस्तक मानसून विशेषांक का प्रकाशन, कहानी आलेख, लघूकथा, संस्मरण व कविताएं 


पुस्तक समीक्षा

पुस्तक - अनुपमा ( सब की सहेली )

तृतीय अंक - मानसून विशेषांक

विषय - बारिश

समीक्षक - सुशी सक्सेना


अनुपमा एक ऐसी पत्रिका है जिसमें नये पुराने छोटे बड़े सभी तरह के कलाकारों को अपनी लेखनी चलाने का अवसर प्रदान किया जाता है और उन्हें सम्मान पत्र से सम्मानित किया जाता है। अनुपमा पत्रिका का तृतीय अंक जो कि मानसून विशेषांक विषय बारिश पर आधारित था। उसका सफल प्रकाशन किया गया। उसमें बहुत से देश विदेश के रचनाकारों ने अपनी रचनाएं प्रकाशित करवाई। और जैसा की तृतीय अंक के विषय मानसून विशेषांक का उद्देश्य था उसी के अनुरूप अपने सृजन के माध्यम से बारिश के मौसम में स्वास्थ्य, सौंदर्य और फैशन एवं योगा से संबंधित सलाह दी गई हैं। और अनुपमा के इस अंक में बरसात में संगीत का आनंद, और दिल को छू लेने वाली कहानी आलेख लघूकथा संस्मरण कविताएं आदि प्रकाशित हैं।

विभिन्न लेखकों द्वारा लिखित रचनाओं यह संग्रह, जो बारिश ऋतु के सौंदर्य और भावनाओं को दर्शाता है। अनुपमा के इस अंक में लेखकों ने बारिश की बूंदों, धरती की खुशबू, हरे-भरे पेड़ों और खिलते हुए फूलों का मनोरम चित्रण किया है। लेखकों ने अपनी बचपन की यादों को साझा किया है, कुछ लेखकों ने मानसून के कारण होने वाली बाढ़ और सूखे जैसी सामाजिक समस्याओं पर भी प्रकाश डाला है। कुछ रचनाएं प्रेम और रोमांस के भावों को व्यक्त करती हैं, जो बारिश के मौसम में अक्सर तीव्र हो जाते हैं। विभिन्न लेखकों का रोचक दृष्टिकोण और लेखन शैलियों का संग्रह इसे पढ़ने में दिलचस्प बनाता है। भाषा सरल और सहज है, जिससे इसे सभी उम्र के पाठक आसानी से समझ और पसंद कर सकते हैं। कुल मिलाकर अनुपमा सब की सहेली पत्रिका का मानसून विशेषांक बारिश ऋतु के प्रति प्रेम और प्रशंसा व्यक्त करने वाला एक सुंदर संग्रह है। यह उन लोगों के लिए एक मनोरंजक पुस्तक है जो बारिश के मौसम का आनंद विभिन्न लेखकों की रचनात्मकता को अनुभव करके लेना चाहते हैं।

इसके लिए सभी से अनुरोध है कि एक बार अनुपमा पत्रिका के इस अंक को अवश्य पढ़ें। इसकी शुरुआत करने वाली साहित्य के क्षेत्र की एक नवोदित लेखिका सुशी सक्सेना है। और इसके सहयोगी सलाहकार अनुपमा, डौली झा, प्रशान्त श्रीवास्तव और कनिका शर्मा जी हैं। जिनका सफलता के इस मुकाम तक पहुंचाने में इनका अमूल्य सहयोग शामिल है। जिन्होंने इसे बेहद लोकप्रिय बनाने का संकल्प लिया है।  पत्रिका के तृतीय अंक में सभी वर्ग के लोगों के लिए सभी तरह की आवश्यक जानकारी साहित्य के रूप में मिलेगी। साथ ही इसमें कहानी, गीत, कविता, कथा, लघुकथा, आत्मकथा, आलेख, संस्मरण,  गृहसज्जा, फैशन, खान पान, रिश्ते, ब्यूटी टिप्स, हेल्थकेयर, बुक समीक्षा, यात्रा, करियर, पैरेन्टिंग, परवाह आदि सभी तरह की रचनाएं पढ़ने को मिलेंगी। इसे यूनिक फील पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित किया गया है। 

अनुपमा (सब की सहेली)

MKRdezign

,

संपर्क फ़ॉर्म

Name

Email *

Message *

Powered by Blogger.
Javascript DisablePlease Enable Javascript To See All Widget