सीईओ के निरीक्षण से खुली पोल, प्रबंधक व प्रभारी इशारे में धान की चल रही हैं कालाबाजारी
सीईओ के निरीक्षण से खुली पोल, प्रबंधक व प्रभारी इशारे में धान की चल रही हैं कालाबाजारी
*जिम्मेदार मौन फूड इंस्पेक्टर की कार्यप्रणाली पर उठ रहे सवाल कब होगी कार्यवाही*
इन्ट्रो:- मध्य प्रदेश सहित अनूपपुर जिले में किसानों से धान की खरीदी का कार्य खरीदी केंद्र के माध्यम से किया जाने लगा है। अनूपपुर जिले के निगवानी खरीदी केंद्र अंतर्गत प्रबंधक और प्रभारी के इशारे में धान की कालाबाजारी शुरू हो गई है, धान की खरीदी प्रारंभ हुई अभी हफ्ते भर नहीं हुआ वहीं धान खरीदी में गड़बड़ झाला करने का कार्य प्रबंधक ने शुरू कर दिया है, जिसका खुलासा जिला पंचायत सीईओ के द्वारा अचानक निरीक्षण से हुआ, जिला पंचायत सीईओ ने मामला पंजीबद्ध करने के निर्देश दिए हैं।
अनूपपुर/कोतमा
अनूपपुर जिले के निगवानी लैंपस अंतर्गत बनाए गए धान खरीदी केंद्र निगवानी में धान की कालाबाजारी का खेल प्रबंधक नागेंद्र और प्रभारी सुरेंद्र शर्मा द्वारा धान खरीदी प्रारंभ होते ही शुरू कर दिया है। धान खरीदी के प्रारंभ होने में अभी 7 दिन नहीं बीते थे की निगवानी उपार्जन केंद्र में धान माफियाओं द्वारा प्रबंधक और खरीदी प्रभारी की मिली भगत से बाजार से किसानों के औने- पौने दाम पर धान खरीद कर उपार्जन केंद्र में बेचने की फिराक में थे, जिसे अचानक निरीक्षण करने पहुंचे जिला पंचायत सीईओ तन्मय विशिष्ट शर्मा और अपर कलेक्टर सीपी पटेल द्वारा उपार्जन केंद्र में अवैध तरीके से धन अपलोड करते पकड़े जाने पर कार्यवाही करते हुए कोतमा थाना में मामला पंजीबद्ध कराए जाने के निर्देश दिए हैं।
*प्रबंधक और प्रभारी पर कब होगा मामला दर्ज?*
निगवानी लैंपस प्रबंधक नागेंद्र जायसवाल और उपार्जन खरीदी प्रभारी सुरेंद्र शर्मा द्वारा धान के उपार्जन केंद्र में किसानों की मिलने वाली सुविधाओं से किसानों को वंचित रखा है, ना तो किसानों के ठहरने की व्यवस्था की गई है और ना ही त्रिपाल की व्यवस्थाएं हैं, उपयुक्त कांटे भी व्यवस्थित तरीके से केंद्र में नहीं रखे गए हैं वहीं किसानों से डेढ़ किलो ज्यादा वजन की बोरियां बढ़ा कर खरीदी की जा रही है जिससे किसान बेहद चिंतित हैं। वही प्रबंधक और प्रभारी के इशारे में किसानों से ज्यादा व्यापारियों का बोलबाला निगवानी उपार्जन केंद्र में है, जिसका जीता जागता सबूत जिला पंचायत और अपर कलेक्टर की संयुक्त कार्यवाही है। तानाशाही का आलम यह है कि फूड इंस्पेक्टर को प्रबंधक और प्रभारी के द्वारा की जा रही आ अनियमितता पर किसी प्रकार की कार्यवाही नही की जा रही है अब जब जिला पंचायत सीईओ ने कार्यवाही की है और मामला पंजीबद्ध करने के निर्देश की जिम्मेदारी फूड इंस्पेक्टर को दी है 2 दिन बीत जाने के बाद भी किसी प्रकार की मामले पंजीबद्ध की कार्यवाही प्रबंधक और प्रभारी के ऊपर नहीं की गई है। सवाल यह उठता है कि आखिर कब तक मामले पंजीबद्ध कर आगे की कार्यवाही पूर्ण की जाएगी।
*फूड इंस्पेक्टर की कार्यप्रणाली में उठ रहे सवाल*
कई वर्षों से कोतमा सेक्टर में पदस्थ फूड इंस्पेक्टर सीमा सिंह की कार्यप्रणाली पर सवाल उठना लाजिमी हो गया है। धान खरीदी केंद्रों के निरीक्षण के दौरान प्रबंधकों को दी गई छूट और लापरवाही पर कार्यवाही न करना फूड इंस्पेक्टर की कार्य प्रणाली पर सवाल खड़ा कर रहा है। निगवानी लैंपस अंतर्गत उपार्जन केंद्र में किसानों को मिलने वाली सुविधा से किसान अब तक वंचित है एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी किसानों के ठहरने की व्यवस्था पीने की पानी की व्यवस्था वही धान को सुरक्षित रखने के लिए त्रिपाल की व्यवस्था न होने के बाद भी किसी तरह की कार्यवाही नहीं की गई थी वहीं उपार्जन केंद्र के अंदर धान की कालाबाजारी कर प्रबंधक और प्रभारी द्वारा किए जा रहे कृत पर भी फूड इंस्पेक्टर की कार्यवाही ना किया जाना कहीं ना कहीं फूड इंस्पेक्टर को सवालों के कटघरे में खड़ा करता है। वही जिला पंचायत सीईओ और अपर कलेक्टर के अपराध पंजीबद्ध करने के आदेश के बाद 2 दिन के बाद भी फूड इंस्पेक्टर द्वारा कार्यवाही पूर्ण न किया जाना फूड इंस्पेक्टर की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़ा कर रहा है। कई वर्षों से एक बीट पर जमी हुई फूड इंस्पेक्टर ,प्रबंधक प्रभारी और राइस मिलर से तालमेल बैठाए हुए हैं, यह तालमेल कही न कही फूड इंस्पेक्टर को कार्रवाई करने से रोक रहा है, अगर जल्द ही धान की कालाबाजारी पर अंकुश नहीं लगाया जाता तो भविष्य में किसानों को और शासन को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
*प्रबंधक की कार्यप्रणाली पर उठ रहे सवाल*
निगरानी लैंपस अंतर्गत प्रबंधक नागेंद्र जायसवाल की कार्यपाली पर पहले भी उंगलियां उठ चुकी है। चुनाव के पूर्व किसान ब्याज माफी में किए गए गोलमाल की शिकायत पहले ही उच्च अधिकारियों से की जा चुकी है लेकिन उच्च अधिकारियों से अच्छे तालमेल और अच्छी पकड़ होने के कारण अब तक किसी प्रकार की कार्यवाही प्रबंधक के ऊपर नहीं हुई है। किसान ब्याज माफी में मृतक को और शासकीय कर्मचारी का किसान ब्याज माफ नियम विरुद्ध तरीके से किया गया है, जो की एक बड़े घोटाले की ओर इंगित कर रहा है। प्रबंधक की जिला पंचायत सीईओ के अचानक निरीक्षण करने से हो रही गड़बड़ी का खुलासा तो हो गया लेकिन उच्च अधिकारियों से सांठगांठ ने अब तक कार्यवाही से प्रबंधक को बचाकर रखा है।
*इनका कहना है*
कलेक्ट्रेट कोर्ट से प्रबंधक, खरीदी प्रभारी और वाहन मालिक के ऊपर मामला पंजीबद्ध होना है कार्यवाही जारी है।
*सीमा सिन्हा, खाद्य निरीक्षक*