स्वप्न हुआ साकार राम मंदिर में आए राम, तीनों लोकों सा मनमोहक बना अयोध्या धाम
*श्रीराम नवमी*
*राम मंदिर में आए राम*
स्वप्न हुआ साकार राम मंदिर में आए राम।
तीनों लोकों सा मनमोहक बना अयोध्या धाम
अयोध्या आए मेरे राम।
सरयू की लहरें लव कुश की तरह गुनगुनाती हैं।
बाग-बगीचों में खुशबू रामायण की आतीं हैं,
हनुमत लखन भरत शत्रु चारों प्रहरों के नाम,
सूर्योदय हैं राम यहां सीता जी जैसी शाम।
अयोध्या आए मेरे राम।
श्रुति मांडवी उर्मिला जैसा रूप अलौकिक लगता,
शीर्ष राम मंदिर दशरथ के राजमुकुट सा लगता।
कौशल्या कैकई सुमित्रा की ममता का धाम।
मनोकामना होगी पूरी चलो अयोध्या धाम।
अयोध्या आए मेरे राम।
दीवारों के चित्रों को नजरें छू कर आतीं हैं,
मन के कानों में तुलसी की चौपाई गातीं हैं।
घर लौटे पुष्पक से मर्यादा पुरुषोत्तम राम,
रामलला की जन्मभूमि भी बोले जय श्रीराम।
अयोध्या आए मेरे राम।
*गीतकार-अनिल भारद्वाज एडवोकेट हाईकोर्ट ग्वालियर*