प्रधानमंत्री आवास पर प्रशासन ने लगाई रोक, बैगा समाज के हक पर डाका, तहसीलदार, पटवारी की साजिश उजागर

बैगा समाज के हक पर डाका, तहसीलदार और पटवारी की साजिश उजागर

*16 एकड़ शासकीय भूमि पर दबंगों का कब्जा, लेकिन बैगा जनजाति को मकान बनाने से रोका गया*

* जनमन प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत स्वीकृत आवास पर प्रशासन ने जबरन लगाई रोक*


अनूपपुर

मध्य प्रदेश सरकार बैगा जनजाति को संरक्षित जनजाति का दर्जा देकर उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने के लिए कई योजनाएं चला रही है। इनमें प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY), मुफ्त शिक्षा, विशेष छात्रवृत्ति, स्वास्थ्य सुविधाएं और सरकारी भूमि पर आवास निर्माण की सुविधा शामिल हैं। लेकिन प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार के चलते जमीनी स्तर पर इन योजनाओं का लाभ पात्र हितग्राहियों तक नहीं पहुंच रहा है। ऐसा ही एक मामला उभर कर सामने आया है जिसमें जनपद पंचायत जैतहरी, के ग्राम पंचायत केलौरी (चचाईं )में सरकार ने 368 बैगा परिवारों के लिए जनमन पीएम आवास स्वीकृत किए, लेकिन स्थानीय तहसीलदार और पटवारी ने मनमानी करते हुए पात्र हितग्राहियों को मकान बनाने से रोक दिया।

*16 एकड़ सरकारी भूमि पर कब्जा, लेकिन बैगा समाज बेघर*

सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, ग्राम पंचायत केल्हौरी (चचाई) में 16 एकड़ भूमि का रकवा खसरा नंबर,1595 मध्य प्रदेश शासन का मौजूद  है इस भूमि पर जिस पात्र हितग्राही के  पास निजी जमीन नहीं है, उन्हें मकान बनाने की अनुमति थी, लेकिन प्रशासन की कथित मिलीभगत से बाहरी दबंगों ने इस 16 एकड़ भूमि पर कब्जा कर लिया और आलीशान मकान  निर्माणधीन है। तहसीलदार और पटवारी ने इन अतिक्रमणकारियों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की, सिर्फ ‘नोटिस’ देकर मामला दबा दिया। वहीं, जब बैगा परिवारों ने अपने आवास बनाना शुरू किया, तो प्रशासन ने तत्काल स्टे ऑर्डर जारी कर दिया। यह स्पष्ट करता है कि प्रशासन की नीति गरीब बैगा परिवारों को उनका अधिकार देने की नहीं, बल्कि दबंगों के पक्ष में काम करने की है।

*तहसीलदार-पटवारी की भूमिका संदिग्ध, भ्रष्टाचार का संकेत?*

जनमन प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पात्र हितग्राहियों को मकान बनाने से रोका गया। 16 एकड़ मध्य प्रदेश शासन की भूमि पर दबंगों का अवैध कब्जा, लेकिन कोई कठोर कार्रवाई नहीं। तहसीलदार और पटवारी बैगा परिवारों को सामान्य आबादी से अलग कहीं बसाने की और मुख्य धारा से अलग रखने की योजना बना रहे हैं। क्या प्रशासन दबंगों के साथ सांठगांठ कर चुका है? क्या भ्रष्टाचार का खेल चल रहा है?

*संविधान और कानून की अनदेखी*

संविधान के अनुच्छेद 46 में अनुसूचित जनजाति के सामाजिक और आर्थिक हितों की रक्षा का प्रावधान है। जनमन प्रधानमंत्री आवास योजना में पात्र हितग्राहियों को सरकारी भूमि पर मकान बनाने का कानूनी अधिकार है। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7 और 13 के तहत, किसी सरकारी अधिकारी द्वारा किसी योजना को बाधित करना अपराध है, जिसमें 7 साल तक की सजा हो सकती है।

*बैगा समाज का गुस्सा, न्याय की मांग*

पीड़ित बैगा परिवारों ने मुख्यमंत्री और कलेक्टर से उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। तहसीलदार और पटवारी को तत्काल निलंबित करने की अपील की गई है। सरकारी भूमि पर मकान बनाने के अधिकार की पुनः बहाली की मांग की गई है। दबंगों के अवैध कब्जे को हटाने और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की आवश्यकता है। बैगा समाज के लोगों ने चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन ने न्याय नहीं दिया, तो वे बड़े पैमाने पर आंदोलन करने को मजबूर होंगे।

*बैगा समाज के अधिकारों की हत्या?*

"एक तरफ सरकार बैगा समाज को मुख्यधारा में लाने के लिए योजनाएं बना रही है, तो दूसरी तरफ प्रशासन के भ्रष्ट अधिकारी उन्हीं योजनाओं को पतीला लगाने में लगे हैं।  आखिरकार मध्य प्रदेश शासन की भूमि जिन दबंगों के कब्जे में है में उन पर कार्रवाई पर इतनी नरमी क्योंक्या मुख्यमंत्री इस मामले में सख्त कार्रवाई करेंगे? क्या बैगा समाज को उनका संवैधानिक अधिकार मिलेगा? क्या प्रशासन में बैठे भ्रष्ट अधिकारी बेनकाब होंगे? सरकार गरीबों के या फिर भ्रष्टाचारियों के साथ? "अगर बैगा समाज को न्याय नहीं मिला, तो यह सरकार की नीतियों पर सबसे बड़ा प्रश्नचिह्न होगा!"                 

इनका कहना है।

जनमन प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पात्र हितग्राहियों के लिए मध्य प्रदेश शासन की 16 एकड़ भूमि छोड़कर अन्य स्थान पर भूमि आरक्षित की गई है 

*अनुपम पांडेय, तहसीलदार, अनूपपुर*

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