फसल पर भारी पड़ेगा मौसम का मिजाज, बढ़ते तापमान से चिंतित किसान, घट सकता है गेहूं का उत्पादन
उमरिया
इस बार भी मौसम के बदले मिजाज ने किसानो की चिंता बढ़ा दी है। उनकी परेशानी का सबसे बड़ा कारण ठंड तथा उसकी अवधि मे लगातार आ रही कमी और बढ़ रहा तापमान है। हलांकि बीते दो-तीन दिनो से दिन की गर्मी कम हुई है, वहीं रात मे भी ठंड का एहसास हो रहा है। इससे पहले दिन का तापमान अचानक बढ़ गया था। जबकि रात के समय भी पंखों की जरूरत पडऩे लगी थी। कृषि के जानकारों का मानना है कि मौसम विभाग के मुताबिक मार्च से मई तक इस वर्ष गर्मियों मे सामान्य से ज्यादा तापमान रहने की आशंका है। जिसका असर गेहूं की उपज पर पड़ सकता है। पिछले चार साल से गेहूं के दाम बढऩे का एक बड़ा कारण खराब मौसम भी है। उनका कहना है कि इस साल का फरवरी पिछले 125 साल मे सबसे गर्म रहा है। मार्च मे गर्म हवाओं का दौर बढने की उम्मीद है। ये हवायें गेहूं के दाने बनने के प्रोसेस के लिए महत्वपूर्ण है।
*ठण्ड बेहद जरूरी*
वहीं अनुभवी किसानो ने बताया कि रबी की फसलों मे विशेषकर गेहूं के लिये ठण्ड बेहद जरूरी है। दिसंबर और जनवरी की कड़कड़ाती सर्दी इस फसल को मजबूत शुरूआत देती है। वहीं फरवरी की गुलाबी ठण्ड बालियों मे तैयार हो रहे दानों को पुष्ट करती है, परंतु ऐसा नहीं हो पा रहा है। इस बार बारिश की वजह से धान की कटाई मे हुई देरी के कारण गेहूं की बोनी भी लेट हो गई। इस विलंब के चलते फसल को बेहद कम समय तक ठंडा मौसम मिल सका। ऊपर से अब तेजी से गर्म हो रहा वातावरण उपज को प्रभावित कर रहा है।
*खरीफ मे भी हुआ घाटा*
फसल के जानकारों का कहना है कि उच्च तापमान के कारण अनाज सिकुड़ सकता है। जिससे उसका वजन भी कम होगा। इतना ही नहीं गमी के कारण बालियों की लंबाई भी रूक जाती है। उल्लेखनीय है कि खरीफ के सीजन मे बेमौसम बारिश के सांथ फसलों को कीट-व्याधियों के हमले का सामना करना पड़ा था। जिससे किसानो को खासा नुकसान हुआ, अब यही हाल गेहूं की फसल मे भी दिख रहा है। जिससे उनकी बेचैनी बढ़ गई है।
*इनका कहना है।*
तापमान मे वृद्धि का असर गेहूं की फसल पर पड़ता है। जिसके लिये कुछ उपाय जरूरी हैं। विभाग के अधिकारी, विशेषज्ञ और जमीनी अमला किसानो के सांथ सतत संपर्क मे रह कर उन्हे आवश्यक सलाह दे रहा है।
*संग्राम सिंह,उप संचालक कृषि विभाग, उमरिया*