होली में सब रंग आएंगे, प्यासे तीर उमड़ आएंगे, पर ए रंगों की बरसात, मेरे सरताज ना आएंगे

होली में सब रंग आएंगे, प्यासे तीर उमड़ आएंगे, पर ए रंगों की बरसात, मेरे सरताज ना आएंगे


*रंगों की बरसात*


होली में सब रंग आएंगे,

प्यासे तीर उमड़ आएंगे।

    पर ए रंगों की बरसात,

    मेरे सरताज ना आएंगे।

 

 सपनों में रंग डाला तुमको,

   प्यासी अंखियों के काजल से,

 भिगो दिया भीगी पलकों ने,

    तन के सिंदूरी बादल से ।

    

इंद्रधनुष कांधों पर रखकर,

रंगों के कहार आएंगे ,

   पर ए फागुन की सौगात ,

   मेरे सरताज ना आएंगे।


सखियों के अधरों से रह-रह,

    मधुर मिलन के चित्र झरेंगे,   

विरह वेदना के क्षण प्रतिपल,

    विरहिन के आंसू पोंछेंगे।

         

पूनम की गागर सिर पर रख,

धरती गगन फाग गाएंगे ,

   मगर ऐ सूनी-सूनी रात ,

   मेरे सरताज ना आएंगे ।


होली में सब रंग आएंगे,

प्यासे तीर उमड़ आएंगे ,

  मगर ऐ सतरंगी सौगात,

  मेरे सरताज ना आएंगे।


गीतकार अनिल भारद्वाज एडवोकेट हाईकोर्ट ग्वालियर

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