आदिवासी विभाग मे करोड़ों की धांधली, वित्तीय कमेटी ने पकड़ा मामला, कलेक्टर ने एसडीएम को सौंपी जांच

आदिवासी विभाग मे करोड़ों की धांधली, वित्तीय कमेटी ने पकड़ा मामला, कलेक्टर ने एसडीएम को सौंपी जांच

*25 खाते संदिग्ध, दर्ज हो सकती है एफआईआर*


उमरिया

बीते कुछ दिनो से गरीबों के कल्याण की जिम्मेदारी संभालने वाले जनजातीय कार्य विभाग मे बड़े घोटाले की सुगबुगाहट सुनाई दे रही है। सूत्रों के मुताबिक विभाग की वित्तीय जांच कमेटी ने बिरसिंहपुर पाली ब्लाक के अधिकारियों द्वारा किये गये करोड़ों रूपये के भुगतान की जांच हेतु जिला प्रशासन को पत्र लिखा है। जिसके बाद कलेक्टर ने एसडीएम पाली अंबिकेश प्रताप सिंह को यह जिम्मेदारी सौंप दी है। समझा जाता है कि इस जांच के बाद और भी कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आ सकते हैं।  

*25 खाते संदिग्ध*

बताया गया है कि पाली ब्लाक के दफ्तर से करीब 25 खातों मे लगातार भुगतान किया गया है। विभाग की वित्तीय जांच कमेटी एफएफआईसी ने प्रथम दृष्तया खातों को संदेहास्पद बताते हुए इसकी सूक्ष्म पड़ताल करने को कहा है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि ये खाते विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों के रिश्तेदारों के हैं, जिनके जरिये फर्जी तरीके से अतिथि शिक्षकों का वेतन व श्रमिकों की मजदूरी के नाम कर दो करोड़ रूपये से अधिक का भुगतान किया गया है। आरोप है कि यह राशि आपस मे बांट ली गई है। जांच कमेटी ने 25 मे से 21 को पूरी तरह संदिग्ध माना है, जबकि 4 मे गड़बड़ी होने का अनुमान जताया गया है।      

*दर्ज हो सकती है एफआईआर*

कलेक्टर धरणेन्द्र कुमार जैन के निर्देश पर टीम ने गड़बड़ी की जांच प्रारंभ कर दी है। इस मामले मे खंड शिक्षा अधिकारी राणा प्रताप सिंह से पूछताछ की जा रही है। जांच अधिकारियों ने वर्ष 2018 से लेकर 2023 के बीच हुये भुगतान तथा आहरण संबंधी दस्तावेज अपने कब्जे मे ले लिये हैं। शुरूआती जांच मे फर्जी तरीके से लगभग ढाई करोड रूपये की राशि को खुर्द-बुर्द करने की जानकारी सामने आ रही है। समझा जाता है कि जांच उपरांत जिम्मेदार अधिकारियों, कर्मचारियों के अलावा खाताधारकों के विरूद्ध भी आपराधिक प्रकरण दर्ज कराये जायेंगे।

*बीईओ ने जमाया बचने का जुगाड़*

विभाग से जुड़े सूत्रों का दावा है कि पाली ब्लॉक मे पदस्थ माध्यमिक शिक्षक रामबिहारी पाण्डेय, लिपिक अशोक कुमार धनखड़ और कम्प्यूटर ऑपरेटर बालेंद्र द्विवेदी का इस घोटाले को अंजाम देने मे बड़ा योगदान है। वहीं कहानी मे लगभग एक दशक से पाली मे पदस्थ बीईओ राणा प्रताप सिंह की भी महत्वपूर्ण भूमिका बताई जाती है। इस बीच यह भी जानकारी सामने आई है कि मामले की भनक लगते ही बीईओ राणा प्रताप सिंह ने अपने स्तर पर जांच करा कर प्रतिवेदन तैयार कर लिया। इतना ही नहीं वे एफआईआर दर्ज कराने थाने भी पहुंच गये। ताकि इसका कानूनी लाभ उठाया जा सके। हलांकि पुलिस ने उनके कहने पर कोई कार्यवाही नहीं की।

*जांच के उपरांत कार्यवाही*

कलेक्टर धरणेन्द्र कुमार के निर्देश पर प्रकरण की सूक्ष्म जांच की जा रही है। विभाग मे हुए भुगतान से संबंधित डाटा मिलाया जा रहा है। पड़ताल के बाद अनियमितता पाये जाने पर संबंधितों के विरूद्ध विधि सम्मत कार्यवाही की जायेगी।

*अंबिकेश प्रताप सिंह, एसडीएम, पाली*

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