41 दिन बाद फिर जिले के धनगंवा के जंगल मे पहुँचा हाथी, वनविभाग ने दिए सतर्कता के निर्देश
अनूपपुर
जिले के जैतहरी क्षेत्र में स्थित धनगवां के जंगल में गुरुवार की देर रात छत्तीसगढ़ राज्य की सीमा को पार कर एक हाथी फिर से पहुंचकर शुक्रवार के दिन विश्राम कर रहा है, एक अकेले हाथी के फिर से आने पर वनविभाग के द्वारा आम जनों को सतर्क एवं सचेत रहने हेतु निर्देश जारी करते हुए निगरानी कर रहे हैं।
विदित है कि 41 दिन बाद फिर से एक दांत वाला एक नर हाथी 20 मार्च को पूरे दिन छत्तीसगढ़ राज्य के मरवाही वन मंडल एवं वन परिक्षेत्र अंतर्गत शिवनी बीट के जंगल क्रमांक 2039 जो घिनौची एवं डडि़या गांव के समीप है में पूरा दिन व्यतीत करने बाद, देर शाम जंगल के पहाड़ से उतरकर मालाडा़ड गांव के समीप कालीनाला के बांध में नहाने बाद पटौराटोला में स्थित विशंभर सिंह के खेत में लगे गेहूं की फसल एवं जोगी के बांडी में लगे केला को अपना आहार बनाते हुए, देर रात गूजरनाला पार कर मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिला अंतर्गत जैतहरी तहसील,थाना एवं वन परिक्षेत्र के ग्राम पंचायत चोलना के चोलना गांव में प्रवेश कर विचरण करता हुआ, बचहाटोला एवं कुकुरगोड़ा गांव के मध्य पूर्व पटवारी के खेत में लगे गेहूं की फसल को अपना आहार बनाते हुए पूरी रात चल कर शुक्रवार की सुबह वन परिक्षेत्र क्षेत्र जैतहरी के धनगवां बीट के जंगल में पहुंचकर विश्राम कर रहा है, एक बार फिर से एक हाथी के अनूपपुर जिले में प्रवेश कर विचरण करने पर वनविभाग के द्वारा ग्राम पंचायतो एवं ग्रामीणों को सतर्कता बरतने एवं सचेत रहने, दिन एवं रात के समय अकेले नहीं चलने,गांव से बाहर एवं जंगल के समीप अलग तरह से खेतों में घर बनाकर रह रहे ग्रामीणों से शाम होते ही सुरक्षित स्थान पर रहने, हाथी के साथ किसी भी तरह की छेड़खानी नहीं करने के निर्देश दिए गए हैं। इस दौरान शासन के निर्देशानुसार हाथी विचरण क्षेत्र से प्रभावित ग्रामों में हाथी की सुरक्षा को देखते हुए विद्युत लाइन बाधित रखी गई, हाथी के विचरण पर वन परिक्षेत्र अधिकारी जैतहरी विवेक मिश्रा परिक्षेत्र सहायक एवं वनरक्षकों,सुरक्षाश्रमिकों ग्राम पंचायत के पदाधिकारियों एवं ग्रामीणों के साथ हाथी के विचरण पर रात भर गस्ती कर नजर बनाए रखें हैं, कई दिनों से प्राय:यह देखा जा रहा है कि यह हाथी अपने एक अन्य साथी से मिलने के उद्देश्य में रात के समय तेज-तेज से आवाज कर पैरो को जमीन में पटक कर मिलने या बुलाने का संदेश देने का प्रयास कर रहा है, पूर्व में भी हाथियों द्वारा इस तरह के संदेश करते हुए एक दूसरे को बुलाकर एक साथ होकर मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ राज्य के ग्रामीण अंचलों में विचरण कर चुके हैं।