सरपंच की मनमानी, शिकायत पर बदली रोड की जगह, ग्रामवासियों में आक्रोश, बिना तकनीकी स्वीकृति के हो रहा निर्माण

सरपंच की मनमानी, शिकायत पर बदली रोड की जगह, ग्रामवासियों में आक्रोश, बिना तकनीकी स्वीकृति के हो रहा निर्माण

*सीएम हेल्पलाइन में हुई शिकायत, नही हो रही हैं कार्यवाही*


 शहडोल

जिले के ब्यौहारी जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत पपौंध में सरपंच द्वारा किया गया एक अजीबो गरीब फैसला चर्चा का विषय बन गया है। आम नागरिकों द्वारा गुणवत्ता संबंधी शिकायत पर सरपंच ने न केवल निर्माण कार्य को प्रभावित किया, बल्कि स्वीकृत सड़क को ही दूसरी जगह स्थानांतरित कर दिया। यह मामला प्रशासनिक लापरवाही और निर्माण कार्यों में मनमानी का एक बड़ा उदाहरण बन गया है। 

*गुणवत्ता पर सवाल उठते ही बदल दिया स्थान*

 सरपंच की इस मनमानी का मामला ग्राम पंचायत पपौंध के वार्ड क्रमांक 15 , 16 टगरा टोला से जुड़ा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, अशोक चतुर्वेदी के घर से विद्याधर के घर तक 200 मीटर की सड़क का निर्माण होना था, जिसके लिए जनपद पंचायत द्वारा ₹6,89,000 की स्वीकृति दी गई थी। इस परियोजना के तहत बेस निर्माण के लिए सूखी गिट्टी, रेत और मुरम का इस्तेमाल किया जा रहा था। लेकिन जैसे ही ग्रामीणों ने सड़क की गुणवत्ता पर सवाल उठाए, सरपंच ने एक चौंकाने वाला कदम उठाते हुए पूरी सड़क को दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया। स्थानीय लोगों का कहना है कि सरपंच को उनकी शिकायत इतनी नागवार गुजरी कि उन्होंने मौके पर पहले से डाली गई रेत, गिट्टी और मुरम को ऊटवाकर सड़क को किसी और स्थान पर बनवाने का निर्णय ले लिया। यह घटना पंचायत स्तर पर मनमानी और प्रशासनिक लापरवाही की गंभीर तस्वीर पेश करती है। 

*सीएम हेल्पलाइन में शिकायत*

 ग्रामवासियों ने इस मामले को लेकर सीएम हेल्पलाइन (30939577) पर शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में स्पष्ट किया गया कि स्वीकृत स्थान पर निर्माण न करके, सड़क को कंछेदी के घर से जहां तक संभव हो वहां तक बनाया जा रहा है। तकनीकी स्वीकृति के बिना इस तरह से परियोजना की जगह बदलना न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि भ्रष्टाचार की ओर भी इशारा करता है।

*बिना निरीक्षण के बदल दी परियोजना*

पंचायतों में निर्माण कार्यों को लेकर तकनीकी स्वीकृति और निरीक्षण की एक तय प्रक्रिया होती है। इस प्रक्रिया में ग्राम पंचायत के सचिव, एसडीओ (उपयंत्री), इंजीनियर और मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) की अहम भूमिका होती है। लेकिन इस मामले में इन सभी की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। एसडीओ और इंजीनियर ने निरीक्षण क्यों नहीं किया,बिना तकनीकी स्वीकृति के सड़क की जगह कैसे बदली गई,क्या सरपंच को अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर अधिकारियों की मिलीभगत न होती, तो बिना स्वीकृति के सड़क की जगह नहीं बदली जा सकती थी। लेकिन यहां तो सरपंच ने जैसे ही ग्रामीणों की शिकायत सुनी, तुरंत पूरी परियोजना को स्थानांतरित कर दिया। इससे स्पष्ट होता है कि पंचायत स्तर पर कोई निगरानी तंत्र काम नहीं कर रहा और सरकारी धन का उपयोग नियमों के विरुद्ध किया जा रहा है। 

 *कमीशन के खेल में चल रहा निर्माण*

यह पहली बार नहीं है जब पंचायतों में इस तरह की मनमानी और भ्रष्टाचार देखने को मिली हो। लेकिन इस मामले ने ग्राम पंचायतों में व्याप्त भ्रष्टाचार और अधिकारियों की भूमिका को बेनकाब कर दिया है। आमतौर पर पंचायतों में निर्माण कार्य स्थानीय मजदूरों से कराया जाना चाहिए, ताकि ग्रामीणों को रोजगार मिले। लेकिन यहां मशीनरी और फ्लोरी तकनीक का उपयोग किया जा रहा है, जिससे मजदूरों को रोजगार से वंचित किया जा रहा है। जिम्मेदारों का गोल-गोल जवाब स्वीकृत रोड को अन्यत्र बनाए जाने वाली जगह की तकनीकी स्वीकृति नहीं ली गई है। इस मामले पर जब ग्राम पंचायत के सचिव श्रीएवं इंजीनियर श्री दुबे से बात की गई तो दोनों का जवाब अलग आलग रहा है, एस्टीमेट और स्वीकृत रोड की छाया प्रति मांगने पर पास में नहीं होना का कर टालते दिखे ऊपर से रोड का स्टीमेट नहीं हैं लेकिन भुगतान जरूर दो लाख रुपए के लगभग हो चुके हैं मामले की जांच होने पर भ्रष्टाचार की लकीरें अपने आप दिखने लगेंगे। अगर इस मामले की जल्द जांच नहीं हुई, तो यह ग्राम पंचायतों में प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार का एक और उदाहरण बनकर रह जाएगा। ग्रामीणों ने मांग की है कि इस निर्माण कार्य को तुरंत रोका जाए और जांच कराई जाए।

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