पहले भूखे, प्यासे निर्धन, पुष्प सींच लेने दो, वैलेंटाइन डे पर तब कोई इजहार करूंगा
*वैलेंटाइनडे पर इजहार*
पहले भूखे,प्यासे निर्धन
पुष्प सींच लेने दो,
वैलेंटाइन डे पर तब
कोई इजहार करूंगा।
मेंहदी,मांग,महावर,बिछुओं
तक ने पलक भिगोई ।
डाल तिरंगा आंचल शव पर
जब भारत मां रोई,
उस शहीद की समाधि पर
कुछ अश्रु चढा देने दो,
वैलेंटाइन डे पर तब
कोई इजहार करूंगा।
मुरझाई पलकों मैं जिनके
आंसू सूख गए हैं,
ताजमहल सपनों के
दिल ही दिल में टूट गए हैं।
हर घर का चेहरा मुस्काए
हृदय खुशी से झूमे,
आंगन में वसंत ऋतु आकर
द्वार, झरोखे चूमे।
पतझड़ के सूखे पत्तों पर
नए गीत लिखने दो।
वैलेंटाइन डे पर तब
कोई इजहार करूंगा।
गीतकार अनिल भारद्वाज एडवोकेट, हाईकोर्ट ग्वालियर मध्य प्रदेश