महिला ने पत्रकार के सम्मान को किया तार-तार, पत्रकारों के साथ बदसलूकी पर उठे सवाल, पुलिस मौन

महिला ने पत्रकार के सम्मान को किया तार-तार, पत्रकारों के साथ बदसलूकी पर उठे सवाल, पुलिस मौन

दोषी महिला के खिलाफ़ कार्रवाई व कोतवाली पुलिस की निष्क्रियता की जांच हो*


अनूपपुर

जिले में पत्रकारों के सम्मान और सुरक्षा को लेकर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं। हाल ही में MKN न्यूज़ चैनल के जिला प्रतिनिधि ओंकार सिंह के साथ हुई घटना ने न केवल पत्रकारिता के मूल्यों को झकझोर कर रख दिया है, बल्कि प्रशासनिक संवेदनशीलता पर भी गंभीर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। यह कोई पहला मामला नहीं है जब जिले में किसी पत्रकार के साथ बदसलूकी की गई हो। भाजपा सरकार के शासन में पत्रकारों के खिलाफ ऐसे मामलों में तेजी से बढ़ोतरी देखी जा रही है। महाकुंभ जैसे बड़े आयोजनों में भी पत्रकारों को सच्चाई दिखाने से रोकने के प्रयास किए गए थे, जिसकी तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुए थे।

*यह है मामला*

घटना अनूपपुर जिले की है, जहां पत्रकार ओंकार सिंह का अपने पड़ोसी बसंती शर्मा, जो कि एक गृहिणी हैं, से किसी बात को लेकर विवाद हो गया। विवाद इतना बढ़ गया कि बसंती शर्मा ने ओंकार सिंह के साथ अभद्रता करनी शुरू कर दी। उन्होंने न केवल अपशब्दों का प्रयोग किया बल्कि उनकी पत्रकारिता पर भी अशोभनीय टिप्पणियां कीं। घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है, जिसमें साफ देखा जा सकता है कि बसंती शर्मा किस प्रकार सार्वजनिक रूप से एक पत्रकार के सम्मान को ठेस पहुँचा रही हैं। एक महिला होने के नाते जिस गरिमा और मर्यादा का पालन करना चाहिए था, वह इस घटना में पूरी तरह नदारद रहा।

क्या महिलाओं को पत्रकारों का अपमान करने का मिला है लाइसेंस? सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या अनूपपुर में महिलाओं को किसी भी पत्रकार का अपमान करने का खुला लाइसेंस मिल गया है? अगर ऐसा नहीं है तो आखिरकार पत्रकार के आवेदन और शिकायत के बावजूद अनूपपुर कोतवाली पुलिस अब तक कोई ठोस कार्रवाई क्यों नहीं कर पाई है? पत्रकार सुरक्षा कानून पर सवाल। प्रदेश के मुख्यमंत्री और अन्य जनप्रतिनिधि अक्सर पत्रकार सुरक्षा कानून और पत्रकारों के सम्मान की बात करते हैं। लेकिन इस घटना ने इन दावों की पोल खोल दी है। घटना के दो दिन बीत जाने के बाद भी अनूपपुर कोतवाली पुलिस द्वारा कोई सख्त कदम नहीं उठाया गया है।

कहाँ है पुलिस प्रशासन की गंभीरता? इस पूरे मामले में कोतवाली प्रभारी अरविंद जैन की निष्क्रियता पर भी सवाल उठ रहे हैं। आखिरकार पुलिस किस बात का इंतजार कर रही है? क्या कार्रवाई के लिए किसी और बड़े हादसे का इंतजार है? पत्रकारिता के सम्मान पर गहराता संकट पत्रकार समाज इस घटना की निंदा करता है और मांग करता है कि पुलिस प्रशासन दोषी के खिलाफ जल्द से जल्द कड़ी कार्रवाई करे। पत्रकार और पुलिस को समाज के दो मजबूत स्तंभ माना जाता है, लेकिन जब पुलिस ही पत्रकार के सम्मान की रक्षा करने में नाकाम रहती है तो यह लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है।

पत्रकारों की मांग है कि दोषी महिला के खिलाफ तत्काल कानूनी कार्रवाई की जाए। पत्रकारों की सुरक्षा के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएं। अनूपपुर कोतवाली पुलिस की निष्क्रियता की जांच हो। यदि अब भी प्रशासन और सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया तो यह लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के अस्तित्व के लिए खतरे का संकेत हो सकता है। पत्रकार केवल सवाल उठाते हैं, लेकिन जब उनके सवालों को ही दबाने की कोशिश की जाए, तो लोकतंत्र की जड़ें कमजोर होने लगती हैं।

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