अखिल भारतीय किसान सभा का सम्मेलन संपन्न, किसान अब सरकार को मांग पत्र नहीं अधिकार पत्र सौंपेंगे
*जब तक किसान मजदूर का श्रम इस धरती पर रहेगा तभी तक पृथ्वी पर जीवन व खुशियां रहेगी*
अनूपपुर
अखिल भारतीय किसान सभा जिला परिषद अनूपपुर का सम्मेलन कामरेड अतुल कुमार अंजन सभागार में राष्ट्रीय सचिव कामरेड के .डी. सिंह के मुख्य आतिथ्य में संपन्न हुआ।
सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य परिषद सदस्य व पूर्व छात्र नेता कामरेड राहुल भाई ने हिंदुस्तान के अंदर किसानों के समस्याओं की ओर इशारा करते हुए कहा कि मौजूदा परिस्थितियों में मेहनतकश अवाम का एक तबका जो किसानों के शक्ल में इस देश में कार्यरत है ,उनके श्रम का उचित मूल्य आजादी के 75 वर्षों के बाद भी प्राप्त नहीं हो रहा है ,यह अलग बात है कि वह अपने जमीनों के मालिक हैं लेकिन उसके ऊपर उगने वाली फसलों का मूल्य तय करने का अधिकार उन किसानों के पास नहीं है उन्हें मालिक होने के इस भ्रमजाल से मुक्त होना पड़ेगा। और अपने और अपने बच्चों के स्थाई रोजगार के अधिकार को सरकार से लड़ के लेना होगा सम्मेलन में मुख्य अथिति के तौर पर राष्ट्रीय नेतृत्व के वरिष्ठ साथी अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय सचिव कामरेड के.डी सिंह ने किसानों के अतीत में हुए आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा कि किसान सभा अपने स्थापना काल 1936 से लेकर आज तक किसानो की बुनियादी समस्याओं को लेकर इस मुल्क के अंदर मुशलशल लड़ाई लड़ रही है उन्होंने तेभागा आंदोलन, तेलंगाना आंदोलन, पुनप्रराबॉयलार आन्दोलन का जिक्र करते हुए कहा कि देश के अंदर अखिल भारतीय किसान सभा ने सामंतवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ते हुए लाखों लाख एकड़ जमीन सामंतो से छुड़ाकर भूमिहीनों को बांटने का काम किया इस आंदोलन में 40 हजार से ज्यादा किसानों ने अपनी शहादत दी है मौजूदा समय में मोदी सरकार के खिलाफ जिसके बारे में कहा जाता है की एक अकेला सब पर भारी उसे भी दिल्ली के चारों इलाके से किसानों ने जमकर विरोध कर तीन कानून के खिलाफ घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया ।
यह किसानों के संगठित आंदोलन का परिणाम है लेकिन दुर्भाग्य है कि देश के बहुत से हिस्से में किसान अपने वाजिव हक के लिए लड़ाई नहीं लड़ रहे हैं हमारी जिंदगी की खूबसूरती को बदलने में संघर्ष एक रास्ता है जिस पर चलकर के हम अपना और अपने बच्चों का भविष्य को खूबसूरत बना सकते हैं सम्मेलन में अनूपपुर जिले के किसान संगठन का रिपोर्ट किसान सभा के प्रांतीय अध्यक्ष कामरेड जनक राठौर ने प्रस्तुत किया जिस पर आए हुए प्रतिनिधियों ने अपनी बात की किसानों से संबंधित कई प्रस्ताव सम्मेलन में पारित किए गए ,जिसमें महत्वपूर्ण प्रस्ताव के रूप में यह कहा गया कि जो कुछ भी दुनिया में बना है उसको बनाने वाला किसान और मजदूर है उसे महत्वपूर्ण नारे को भी रेखांकित करते हुए की।
कौन बनाता हिंदुस्तान -भारत का मजदूर किसान और वह किसान अपने अधिकारों के लिए जब संघर्ष के रास्ते पर होता है तो वह सरकार को एक मांग पत्र सौपता है यह मांग पत्र किसानों को याचक के रूप में खड़ा कर देता है जिसे बदला जाना चाहिए और यह सम्मेलन यह प्रस्ताव पारित करता है कि आने वाले दिनों में मांग पत्र के स्थान पर अधिकार पत्र का ज्ञापन सत्ता और सरकार को दिया जाएगा। साथ ही साथ आसपास के गांव के 2 से 4 एकड़ रकबे के 20 से 25 किसानों को सामूहिक खेती हेतु प्रेरित कर कृषि संसाधनों के मांग के साथ संघर्ष करना, कृषि मजदूरों के नियमित रोजगार हेतु लघु कृषकों को संगठित करना, जिले में सिंचाई की सुविधा के लिए सतत संघर्ष करना, धान रोपाई के समय मनरेगा के तहत किसानों के खेत में धान रोपाई हेतु सरकार से मजदूरी की मांग करना, 60 वर्ष से ऊपर के किसानों ,व दस्तकारो को ₹10000 मासिक पेंशन सरकार से सुनिश्चित कराना, आवारा पशुओं के कारण नष्ट होते हुए फसलों को बचाने के लिए सरकारी स्तर पर समुचित व्यवस्था करना। नुकसानी की स्थिति में सरकार को मुआवजा देने के लिए बाध्य करना स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश लागू करने के लिए जन अभियान चलाना, नए कृषि बाजार पर राष्ट्रीय नीति का मसौदे का अध्ययन कर किसान हित में निर्णायक आंदोलन करना। साथ ही साथ सम्मेलन में सामाजिक मुद्दों की तरफ भी ध्यान आकर्षित करते हुए यह प्रस्ताव पारित किया कि ग्रामीण अंचल में शादी विवाह में दहेज का निषेध तथा मृत्यु के उपरांत मृत्यु भोज जैसे आयोजन को समाप्त करने के लिए जन जागरण अभियान तेज करना।
सम्मेलन के समापन भाषण में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मध्य प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य कामरेड विजेंद्र सोनी ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे जैसे लोग जो सीधे किसानों से नहीं जुड़े हैं वह भी आपके संघर्ष में इसलिए साथ खड़े हैं क्योंकि उनकी यह समझ है की राष्ट्र का निर्माण किसान और मजदूरों के श्रम के कारण ही संभव है जब तक किसान मजदूर का श्रम इस धरती पर रहेगा तभी तक पृथ्वी पर जीवन और खुशियां रहेगी वह निर्माता है इसलिए उसके श्रम का शोषण जहां-जहां होगा और जिस जिसके द्वारा किया जाएगा उसके विरोध में खड़ा होना एक चिंतनशील मनुष्य का जरूरी कदम है कामरेड विजेंद्र सोनी ने किसानों से अपील की सिर्फ संघर्ष बस से ही नहीं ,एक राजनीतिक सोच के साथ अपने संघर्षों को नया आयाम देने की जरूरत है क्योंकि आजादी के बाद जो लड़ाइयां शेष बची हैं उसे संसदीय जनतंत्र में विधानसभा और संसद में ही लड़ी जा सकती हैं वहां जब तक हमारे प्रतिनिधि नहीं रहेंगे तो यह लड़ाई अधूरी लड़ाई रहेगी हमारी लड़ाई संसद से सड़कों तक जारी रखनी चाहिए तभी एक सुनहरा भविष्य का हम निर्माण कर सकते हैं सम्मेलन के अंत में 21 सदस्यीय जिला परिषद का गठन किया गया जिसमें अध्यक्ष के रूप में कामरेड संतोष केवट जिला सचिव हीरालाल राठौर, उपाध्यक्ष संजय राठौर, सह सचिव सुरेश राठौर, कोषाध्यक्ष प्रताप सिंह राऊत राय कार्यकारिणी सदस्य मोहन राठौर, गोविंद सिंह ,जनक राठौर , सुरेश सिंह ,जगदीश सिंह, लाल मणि राठौर , जुगल राठौर, शमरशाह सिंह गौड़ दरबारी सिंह ,बद्री राठौर। अन्य स्थान रिक्त रखे गए हैं जिस ब्रांच सम्मेलन के उपरांत तय किया जाएगा आगामी 8 मार्च को रीवा में आयोजित अखिल भारतीय किसान सभा के मध्य प्रदेश राज्य सम्मेलन के लिए भी प्रतिनिधियों का चुनाव किया जाएगा।