बेटे के नाम काट दिया चेक, स्वास्थ्य विभाग मे हुए घोटाले पर जिम्मेदारों ने साधा मौन, उठ रहे हैं सवाल
*लाखो का घोटाला, नही हुई जांच, चौधरी बचा रहे हैं जैन को*
उमरिया
वैसे तो जिले का स्वास्थ्य विभाग लंबे समय से भारी भ्रष्टाचार और धांधलियों के कारण चर्चाओं मे रहा है। हलांकि कभी-कभार गड़बडिय़ां उजागर होने पर दिखावे के लिये ही सही छोटी-मोटी कार्यवाहियां कर अधिकारी अपने जिंदा होने का सबूत तो दे ही दिया करते थे, पर लगता है कि अब शर्मा-शर्मी की वो सीमा भी विलोपित कर दी गई है। इसका उदाहरण साल 2015 मे बिरसिंहपुर के बीएमओ द्वारा किया गया लाखों रूपये का घोटाला है, जिसके सारे सबूत सामने आने के बाद भी महकमे के बडक़े अधिकारी धृतराष्ट्र सरीखे आंखों पर पट्टी बांध कर तमाशा देख रहे हैं।
*बेटे के नाम काट दिया चेक*
सूत्रों के मुताबिक ममता रथ द्वारा शासन की योजनाओं के प्रचार-प्रसार हेतु ब्लाक मेडिकल ऑफिसर डॉ. विमल कुमार जैन द्वारा बैट्री, जनरेटर, माईक किराये पर लेने सहित अन्य कार्य दिखा कर दिनंाक 01 फरवरी 2015 को अपने बेटे आदर्श जैन की फर्म के नाम 66 हजार 825 रूपये तथा 31 मार्च 2025 को अलंकार इलेक्ट्रानिक्स के पक्ष मे 29 हजार 799 रूपये का भुगतान चेक द्वारा किया गया। आरोप है कि उक्त फर्म के पास सप्लाई या भुगतान दिनांक तक कोई जीएसटी नंबर तक नहीं था। सांथ ही देयकों पर अंकित जीएसटी नंबर दूसरी फर्मो के पाये गये हैं। इस मामले की शिकायत बसंत तिवारी निवासी पाली द्वारा किये जाने पर तत्कालीन एडीजीपी डीसी सागर द्वारा दिनांक 12 सितंबर 2023 को पुलिस अधीक्षक उमरिया को जांच हेतु निर्देशित किया गया था।
*विभाग की ओर से कोई जांच नहीं*
पुलिस की प्रारंभिक पड़ताल मे खुलासा हुआ है कि 11 साल से पदस्थ बीएमओ डॉ. वीके जैन द्वारा ममता रथ अभियान मे लाखों रूपये का घोटाला किया गया है। जिसमे एसडीओपी ने थाना प्रभारी को जांच करने के निर्देश भी दे दिये हैं परंतु जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने इस पर मौन साधा हुआ है। बताया गया है कि विभाग द्वारा अभी तक अपनी तरफ से किसी भी तरह की कार्यवाही या जांच कराने जैसी जहमत नहीं उठाई है। इससे साफ है कि लुका-छिपी के खेल मे माहिर सीएमएचओ डॉ. एसबी चौधरी अपने सहयोगी डॉ. बीके जैन को बचाने मे जुटे हुए हैं।
*टीआई को दिये हैं निर्देश*
ममता रथ योजना मे हुई वित्तीय अनियमितताओं की शिकायत पुलिस को प्राप्त हुई है। चूंकि आवेदक द्वारा दस्तावेजों की छायाप्रतियां प्रस्तुत की गई हैं, जो स्पष्ट नहीं हैं। अत: थाना प्रभारी पाली को मूल कागजात प्राप्त कर जांच हेतु निर्देशित किया गया है।
*शिवचरण बोहित, एसडीओपी, पाली*
मांगे गये मूल दस्तावेज फोटोकॉपी के आधार पर कैसे एफआईआर कर दें। जब मूल दस्तावेज मिलेंगे, तभी तो जांच होगी। विभाग को इसके लिये लेख किया गया है।
*मदनलाल मरावी, थाना प्रभारी, पाली*