प्रशासन की तानाशाही, भ्रष्टाचार के खिलाफ बगावत, कलेक्ट्रेट का होगा घेराव

प्रशासन की तानाशाही, भ्रष्टाचार के खिलाफ बगावत, कलेक्ट्रेट का होगा घेराव

*रमेश सिंह राठौर के नेतृत्व में जनांदोलन, हज़ारों की संख्या में जुटेंगे किसान-मजदूर*


अनूपपुर 

जिले में प्रशासनिक मनमानी और भ्रष्टाचार के खिलाफ अब जनता खुलकर विरोध करने के लिए मजबूर हो गई है। 30 जनवरी को जब मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPM) के युवा नेता और पुष्पराजगढ़ इकाई के सचिव रमेश सिंह राठौर के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल कलेक्टर कार्यालय में अपनी समस्याओं को लेकर ज्ञापन सौंपने पहुँचा, तो कलेक्टर ने न केवल उनकी बातें सुनने से इनकार कर दिया बल्कि अभद्र भाषा में बात करते हुए उन्हें गिरफ्तार कराने की धमकी दी और पुलिस बुलवाकर उन्हें पकड़वा भी दिया।

गणतंत्र दिवस के सप्ताह में जनता के साथ ऐसा तानाशाही व्यवहार प्रशासन की निरंकुशता और अहंकार को दर्शाता है। इसका विरोध करने के लिए जिले के विभिन्न संगठनों ने 18 फरवरी को अनूपपुर कलेक्टर कार्यालय के घेराव का ऐलान किया है, जिसकी अगुवाई स्वयं रमेश सिंह राठौर कर रहे हैं।

जनसंघर्ष के प्रतीक हैं रमेश*

जिले में जब भी किसानों, मजदूरों, आदिवासियों और शोषित वर्ग की बात होती है, तो रमेश सिंह राठौर का नाम सबसे पहले लिया जाता है। वे केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि जनता के बीच से निकले एक सशक्त संघर्षशील नेता हैं, जिनका पूरा जीवन अन्याय और अत्याचार के खिलाफ आवाज़ उठाने में बीता है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPM) की पुष्पराजगढ़ इकाई के सचिव के रूप में वे वर्षों से वनाधिकार कानून, आदिवासी अधिकार, किसानों की समस्याओं और मजदूरों की बेहतरी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। 2023 के विधानसभा चुनाव में CPM प्रत्याशी के रूप में उन्होंने मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई और गरीब तबके की आवाज़ को बुलंद किया। राठौर अपने स्पष्ट विचारों, संघर्षशील नेतृत्व और सामाजिक न्याय के प्रति समर्पण के लिए जाने जाते हैं। वे केवल मंचों पर भाषण नहीं देते, बल्कि खुद आंदोलन की अगुवाई करते हैं, जेल जाने से नहीं डरते, और जनता के हक की लड़ाई में हमेशा सबसे आगे रहते हैं। उनकी अगुवाई में ही 18 फरवरी को अनूपपुर कलेक्टर कार्यालय का घेराव किया जा रहा है, जो इस बात का संकेत है कि जिले की जनता अब प्रशासन की मनमानी और भ्रष्टाचार के खिलाफ पूरी ताकत से खड़ी हो रही है।

*यह नेता होंगे शामिल*

इस आंदोलन के जरिए जनता प्रशासन को यह बताना चाहती है कि लोकतंत्र में जनता की आवाज़ को दबाया नहीं जा सकता। प्रदर्शन में CPM के राज्य सचिव जसविंदर सिंह, सीटू के प्रदेश अध्यक्ष रामविलास गोस्वामी, मध्यप्रदेश किसान सभा के महासचिव अखिलेश यादव, जनवादी महिला समिति की प्रदेश अध्यक्ष नीना शर्मा, आदिवासी एकता महासभा के अध्यक्ष बुद्धसेन सिंह गोंड समेत कई बड़े नेता शामिल होंगे।

*प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांगें*

कलेक्टर को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी होगी और आदिवासी प्रतिनिधियों के साथ किए गए अभद्र व्यवहार के लिए खेद व्यक्त करना होगा। वनाधिकार कानून के तहत सभी योग्य आदिवासियों को तत्काल अधिकार पत्र दिए जाएं। वन विभाग द्वारा आदिवासी किसानों की जमीन पर कब्जे की कार्रवाई पर रोक लगे। मनरेगा में हुए घोटालों की निष्पक्ष जांच हो और सभी मजदूरों को 600 रुपये प्रतिदिन की मजदूरी मिले। नल-जल योजना के घोटाले की जांच हो और इसे जल्द से जल्द पूरा किया जाए। किसानों की धान खरीदी का भुगतान ब्याज सहित किया जाए और पीएम किसान योजना के लाभ से वंचित किसानों को जोड़ा जाए। बिजली के निजीकरण और स्मार्ट मीटर की योजना को तत्काल रद्द किया जाए। लाडली बहना योजना में अपात्र घोषित की गई महिलाओं को फिर से पात्रता दी जाए। कोयला खदानों और मोजरबेयर से प्रभावित परिवारों को उचित मुआवजा और रोजगार दिया जाए।आंगनबाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं को स्थायी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए और उनका वेतन बढ़ाया जाए। अनूपपुर जिले की सड़कों, पुलों और सिंचाई परियोजनाओं को प्राथमिकता दी जाए।

*ऐतिहासिक जनप्रदर्शन की तैयारी*

जिले में प्रशासनिक भ्रष्टाचार चरम पर है। आम जनता और मजदूर वर्ग की समस्याओं की अनदेखी की जा रही है। यह प्रदर्शन सिर्फ एक विरोध नहीं, बल्कि जनता के हक और अधिकारों की लड़ाई है। 18 फरवरी को अनूपपुर रैन बसेरा से दोपहर 12 बजे कलेक्टर कार्यालय के लिए रैली निकलेगी, जहां हजारों किसान, मजदूर, छात्र, महिला और आदिवासी इस तानाशाही के खिलाफ आवाज़ उठाएंगे। क्या प्रशासन झुकेगा या फिर दमनकारी नीतियों को और आगे बढ़ाएगा? यह देखने के लिए 18 फरवरी का इंतजार करना होगा।

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