कलेक्टर ने जिले को जल अभावग्रस्त किया घोषित, बोरिंग खनन हेतु एसडीएम से लेना होगा अनुमति

कलेक्टर ने जिले को जल अभावग्रस्त किया घोषित, बोरिंग खनन हेतु एसडीएम से लेना होगा अनुमति

*आदेश का उल्लंघन पर 2 वर्ष के कारावास व 2 हजार का जुर्माना*


अनूपपुर

कलेक्टर हर्षल पंचोली ने आदेश जारी कर कहा है कि वर्तमान में एवं आगामी ग्रीष्म ऋतु में जनता के लिए पीने के पानी एवं निस्तार की आवश्यकता पूर्ति के लिए जल की उपलब्धता सुनिश्चित की जाना है। जिले की चारो तहसीलों अनूपपुर, कोतमा, जैतहरी, पुष्पराजगढ़ के कुओं एवं नलकूपों का जल स्तर अत्यधिक नीचे चले जाने के कारण पेयजल एवं निस्तार हेतु जल आरक्षित रखने के कारण नलकूप खनन का प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया जाना आवश्यक हो गया है। उन्होंने कहा कि जिले में उपरोक्त स्थिति में यह उचित होगा कि सम्पूर्ण अनूपपुर जिले को मध्यप्रदेश पेयजल परिरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 3 के अंतर्गत जल अभाव ग्रस्त घोषित किया जाये। अतः कलेक्टर हर्षल पंचोली ने सम्पूर्ण अनूपपुर जिले को जल अभावग्रस्त घोषित किया है। 

सम्पूर्ण अनूपपुर जिले को जल अभावग्रस्त घोषित किये जाने का आशय यह होगा कि इस कार्यालय की अनुमति के बिना कोई भी व्यक्ति किसी जलस्त्रोत यथा नदी, बंधान जलधारा, जलाशय बंधान आदि से सिंचाई या अन्य औद्योगिक प्रयोजन हेतु उपयोग नहीं कर सकेगा। जिले को जल अभावग्रस्त घोषित किये जाने का आशय यह भी होगा कि कलेक्टर या इस संबंध में प्राधिकृत अन्य अधिकारी की अनुज्ञा के बिना कोई भी निजी नलकूप खनन नहीं किया जायेगा।

कलेक्टर ने जारी आदेश में कहा‌ है कि जिले के सतही जल स्त्रोत नदी/नाले के डाऊन स्टीम में सतह के नीचे भूमिगत बहाव रोकने, कलेक्टिंग पाईप / रेडियल कलेक्टर बेल का उपयोग कर जल का उपयोग नहीं किया जावेगा। जिले के पेयजल स्त्रोतों में कुल आवश्यक जल क्षमता के विरुद्ध उपलब्ध जल क्षमता कम है। अतः जिले के पेयजल स्रोतों से सिंचाई के प्रयोजन के लिए जल के उपयोग पर प्रतिबन्ध लागू होगा। उन्होंने जिले में नदी नालों पर संचालित उद्‌वहन योजनाओं में पानी की उपलब्धता के आधार पर संबंधित ग्राम पंचायत व जल उपभोक्ता संस्था की अनुशंसा और जल संसाधन विभाग के प्रतिवेदन के आधार पर इस कार्यालय द्वारा सिंचाई की अनुमति दी जावेगी। जिन नदी, नालो में पानी नहीं बह रहा है, वहीं नदी/नालों में रुके हुए पानी  के लिए कोई अनुमति नहीं दी जावेगी।

जारी आदेश में कलेक्टर ने कहा है कि केंद्रीय शासन एवं उनके उपक्रमों और राज्य शासन के विभागों व उनके उपक्रमों को नलकूप खनन की छूट इस शर्त पर दी जाती है कि जिस स्थान पर नलकूप खनन किया जा रहा है मध्यप्रदेश पेयजल परिरक्षण अधिनियम 1906 की धारा के अनुसार व्यक्तिकरण परिक्षेत्र में नही आता हो, अर्थात उस स्थल के 100 मीटर के भीतर कोई ऐसा नलकूप न हो जिस पर सार्वजनिक जल प्रदाय व्यवस्था आधारित हो। उक्त शर्त के पालन की जिम्मेदारी संबंधित विभाग की होगी। उपरोक्त उपवादों के अतिरिक्त अनूपपुर जिले को जल आभावग्रस्त घोषित किया जाता है।

उक्तानुसार निर्धारित क्षेत्रों में नदी, बांधों, नहरों, जलाशयों एवं बंधानों से घरेलू प्रयोजन के अतिरिक्त किसी अन्य प्रयोजन के लिए पानी का उपयोग नहीं किया जा सकेगा। यदि कोई व्यक्ति  आदेश का उल्लंघन कर नलकूप खनन करता है तो यह अधिनियम की धारा 9 के अन्तर्गत 2 वर्ष के कारावास या जुर्माने से जो दो हजार रूपये तक का हो सकेगा या दोनों से दण्डनीय होगा। यदि कोई भी व्यक्ति प्रतिबंधित क्षेत्र में सिंचाई अथवा औद्योगिक प्रयोजन के लिए पानी के उपयोग की अनुमति चाहता है तब वह अधिनियम की धारा 4 व संबंधित नियमों के अन्तर्गत आवेदन संबंधित अनुविभागीय दण्डाधिकारी को प्रस्तुत करें। इसी प्रकार कोई व्यक्ति नलकूप खनन की अनुमति चाहता है तो अधिनियम की धारा 6 के अन्तर्गत आवेदन उक्त प्राधिकृत अधिकारी के कार्यालय में प्रस्तुत कर सकता है।

उन्होंने कहा है कि उक्त अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत नवीन बोरिंग खनन एवं बोरिंग सफाई के विशेष परिस्थितियों में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग से भौतिक सत्यापित ड्रिलिंग मशीन से नल कूप खनन की अनुमति देने संबंधित अधिकार निम्न अनुसार अधिकारियों को प्रत्यायोजित किया जाता है। यह आदेश 31 जुलाई 2025 तक प्रभावशील रहेगा तथा आदेश का कड़ाई से पालन किया जाए। उन्होंने कहा कि तहसील अनूपपुर हेतु अनुविभागीय दंडाधिकारी अनूपपुर, तहसील कोतमा हेतु अनुविभागीय दंडाधिकारी कोतमा, तहसील पुष्पराजगढ़ हेतु अनुविभागीय दंडाधिकारी पुष्पराजगढ़ तथा तहसील जैतहरी हेतु अनुविभागीय अधिकारी जैतहरी से नवीन बोरिंग खनन एवं बोरिंग सफाई हेतु अनुमति लेना होगा।

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