जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली के खिलाफ कलेक्टर कार्यालय के सामने किया धरना प्रदर्शन

जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली के खिलाफ कलेक्टर कार्यालय के सामने किया धरना प्रदर्शन

*आदिवासी नेता रमेश परस्ते के साथ किया गया दुर्व्यवहार*


अनूपपुर

जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली के खिलाफ कलेक्टर कार्यालय के सामने धरना प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शन के दौरान सीपीआई (एम) पार्टी ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते हुए प्रशासन की नीतियों और आदिवासियों से जुड़े मुद्दों पर आपत्ति जताई।

प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि कलेक्टर द्वारा पार्टी के आदिवासी नेता रमेश परस्ते के साथ दुर्व्यवहार किया गया। प्रशासन को गंभीर समस्याओं और आदिवासी समुदाय की परेशानियों को लेकर संवेदनशील होना चाहिए था, लेकिन कलेक्टर ने धमकाने जैसा व्यवहार किया। वनाधिकार और भूमि विवाद: जिन आदिवासियों को अब तक वनाधिकार पट्टे नहीं मिले, उन्हें तुरंत पट्टे दिए जाएं। वर्षों से खेती कर रहे आदिवासियों की जमीन पर वन विभाग द्वारा अतिक्रमण कर गड्ढे खोदने और पौधे लगाने की घटनाओं को तुरंत रोका जाए। मनरेगा में हो रही लूट पर खुली जांच की मांग की। उन्होंने 600 रुपये प्रतिदिन मजदूरी और 200 दिन रोजगार देने की मांग उठाई। साथ ही पडरिया पंचायत में मजदूरी भुगतान न होने पर नाराजगी जताई। जिले में नल जल योजना अधूरी पड़ी है, जिससे हजारों लोग प्रभावित हैं। प्रदर्शनकारियों ने इसे जल्द पूरा करने और अब तक हुए घोटाले की जांच कराने की मांग की।

धान खरीदी का भुगतान अब तक न होने पर ब्याज सहित राशि देने की मांग। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि से वंचित किसानों को लाभ दिलाने की अपील। किसानों के कर्ज माफ करने की मांग। स्मार्ट मीटर योजना और बिजली निजीकरण को पूरी तरह रद्द करने की मांग। योजना से हटाई गई महिलाओं को दोबारा जोड़ा जाए और सभी पात्र महिलाओं को लाभ मिले। जंगली हाथियों और आवारा पशुओं से प्रभावित परिवारों को मुआवजा देने और इन घटनाओं पर रोक लगाने के उपाय किए जाएं। मोजर वेयर, जेएमएस, आडानी एसीसी, एसईसीएल जैसी कंपनियों द्वारा किए गए अवैध कब्जों को हटाया जाए। प्रभावित परिवारों को रोजगार, मुआवजा और पुनर्वास नीति के तहत लाभ दिया जाए। अस्थायी मजदूरों को स्थायी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए और 26000 रुपये मासिक वेतन निर्धारित किया जाए।

आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को स्थायी कर्मचारी का दर्जा मिले। आशा कार्यकर्ताओं के वेतन में बढ़ोतरी को लागू किया जाए। विद्यालयों की बाउंड्रीवाल निर्माण के लिए फंड जारी किया जाए। अमरकंटक विश्वविद्यालय में आदिवासी छात्रों को प्राथमिकता दी जाए और नियुक्तियों में पारदर्शिता लाई जाए। विश्वविद्यालय में छात्रावास के भोजन की गुणवत्ता सुधारी जाए और अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी किया जाए। स्थानीय स्तर पर सड़क निर्माण और खराब ट्रांसफार्मर बदलने की मांग। कई मजदूरों को ठेकेदारों द्वारा धमकाकर भुगतान न करने की घटनाओं की जांच की मांग। प्रदर्शनकारियों ने दी आंदोलन तेज करने की चेतावनी प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि अगर इन मांगों पर तुरंत कार्यवाही नहीं हुई, तो जनवादी तरीके से बड़े स्तर पर आंदोलन किया जाएगा। इसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इन मांगों को लेकर क्या कदम उठाता है, या फिर प्रदर्शनकारियों को उग्र आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ेगा?

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