एसईसीएल का मोबाइल मेडिकल यूनिट बना ‘कबाड़’, विभाग को लगा करोड़ों का चूना
*एसईसीएल ने 170 करोड़ की सीएसआर परियोजना को दी मंजूरी दूसरी ओर रिजल्ट शुन्य*
अनूपपुर
जिले के जमुना कोतमा कोल माइंस एरिया साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL) द्वारा जमुना कोतमा कोल माइंस एरिया में शुरू किया गया मोबाइल मेडिकल यूनिट (MMU) वर्तमान में धूल फांक रहा है सूत्रों की मानें तो इस यूनिट का उद्देश्य 25 किलोमीटर के दायरे में स्थित गांवों तक चिकित्सा सुविधा पहुंचाना था लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही है।
एसईसीएल ने इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत गांवों में रहने वाली आबादी को कई स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने का वादा किया था इन सेवाओं में ब्लड शुगर की जांच, गर्भावस्था परीक्षण, एल्ब्यूमिन और शर्करा की जांच, हीमोग्लोबिन (HB) की जांच, ऊंचाई और वजन मापना, दृष्टि परीक्षण, रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट और उच्च रक्तचाप की जांच शामिल थी इसके अतिरिक्त 35 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के लिए उच्च रक्तचाप, मधुमेह और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों की वार्षिक जांच का भी प्रावधान था योजना में यह भी शामिल था कि दवाओं की आवश्यकता वाले मरीजों को (विशेषकर उच्च रक्तचाप, मधुमेह और मिर्गी के रोगियों को) साप्ताहिक रूप से दवाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी।
लेकिन वर्तमान में मोबाइल मेडिकल यूनिट एक शोपीस बनकर रह गया है यह यूनिट धूल से अटा पड़ा है और बताया जा रहा है कि इसमें तैनात डॉक्टर और अन्य कर्मचारी बिना कोई काम किए ही वेतन ले रहे हैं इस स्थिति से न केवल इस ई सी एल के संसाधनों का दुरुपयोग हो रहा है बल्कि उन ग्रामीण आबादी को भी निराशा हाथ लगी है जिन्हें इस यूनिट से स्वास्थ्य सेवाओं की उम्मीद थी। नाम न छापने की शर्त पर एक सूत्र ने बताया कि मोबाइल मेडिकल यूनिट को भी ‘डेंटिंग पेंटिंग’ करके तैयार किया गया था सूत्र ने आगे आरोप लगाया कि किसी पुराने और बेकार कबाड़ को ही मरम्मत करके और रंग-रोगन करके मोबाइल मेडिकल यूनिट का रूप दे दिया गया जबकि कागजों पर इसे एक नई और आधुनिक इकाई दर्शाया गया इस प्रकार कथित तौर पर करोड़ों रुपये का चूना लगाया जा रहा है
इस पूरे मामले में भ्रष्टाचार की बू आ रही है एक तरफ जहां इस ई सी एल ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधा देने के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, वहीं दूसरी तरफ ज़मीनी स्तर पर स्थिति बिलकुल विपरीत है मोबाइल मेडिकल यूनिट का संचालन बंद होने से ग्रामीणों को स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित रहना पड़ रहा है और एसईसीएल के पैसे पानी में बह रहे हैं यह जांच का विषय है कि आखिर क्यों यह महत्वपूर्ण स्वास्थ्य पहल असफल हो गई और इसके लिए कौन जिम्मेदार है इस मामले की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए ताकि दोषियों पर कार्रवाई हो सके और मोबाइल मेडिकल यूनिट को वास्तव में ग्रामीणों के लिए उपयोगी बनाया जा सके। जहां एक तरफ एसईसीएल ने एक दिन पहले 170 करोड रुपए की सी एस आर परियोजना को मंजूरी देकर वाह वाही लूट रही है वहीं दूसरी ओर जमुना कोतमा क्षेत्र में सी एस आर के तहत संचालित चिकित्सा मोबाइल यूनिट सेवा महीनों से ठप पड़ी हुई है यहां पर वही कहावत चरितार्थ होती है कि अंधेर नगरी चौपट राजा।