पत्नी को कुल्हाड़ी मारकर हत्या व एक को घायल करने पर आरोपी को आजीवन कारावास की सजा

पत्नी को कुल्हाड़ी मारकर हत्या व एक को घायल करने पर आरोपी को आजीवन कारावास की सजा

*न्यायालय ने 5 हजार का लगाया जुर्माना*


 अनूपपुर

21 अप्रैल 2019 को आरोपी रामधनी साहू के द्वारा रात पचपेढ़ी नाका मुहार गाम गुलीडाड थाना बिजुरी में अपनी पत्नी कुसुम साहू को कुल्हाड़ी से मारकर हत्या व लवकेश कि कुल्हाड़ी से चोट पंहुचा कर घायल कर दिया, जिसकी सूचना थाना बिजुरी में प्राप्त होने पर उक्त अपराध कायम कर उप निरीक्षक सुमित कौशिक के द्वारा विवेचना के दौरान आरोपी की गिरफ्तारी पश्चात आरोपी रामधनी से हत्या में प्रयुक्त कुल्हाड़ी जब्त कर गिरफ्तार कर विवेचना पूर्ण करने पश्चात न्यायालय में अभियोग पत्र प्रस्तुत किया गया जिस पर आरोप विरचित कर विचरण किया गया और अभियोजन द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य व अपर अभियोजक राजगौरव तिवारी द्वारा प्रस्तुत तर्क पर दंड से दंडित किया गया।

मामला प्रथम अपर सत्र न्यायालय कोतमा के न्यायालय के सत्र प्रकरण शासन बनाम रामधनी साहू थाना बिजुरी के अपराध क्र 127/19 धारा 302,324 भादवि  से सम्बंधित है उक्त मामले में आरोपी रामधनी को धारा 302, भादवि  में दोषी पाते हुए, आजीवन कारावास और 5 हजार रुपए के अर्थ दंड धारा 324 एक वर्ष का कारावास और पांच सौ रु का अर्थदंड से दंडित किया है।

प्रकरण की विवेचना में उप निरीक्षक सुमित कौशिक द्वारा आरोपी से जब्त कुल्हाड़ी व घटना स्थल से जब्त खून आलूदा मिटटी में मानव रक्त को विधिवत जप्त कर साक्ष्य सुरक्षित कर एफ एस एल जांच कराई गई, जो कुल्हाड़ी के घटना में प्रयुक्त होने की ओर इशारा कर रहे थे, इसके अलावा आहत लवकेश व नीतू साहू के धारा 164 के कथन कराए गए थे । चिकित्सीय साक्षी से घटना में प्रयुक्त कुल्हाड़ी को भेजकर प्रश्न पूछने पर उक्त कुहाड़ी से मृतक को आई चोट संभव होना बताया था, चोटों को प्राणघातक बताया था, जो घटना को सिद्ध करने में महत्वपूर्ण रही। आरोपी ने कथन में विरोधाभास व साक्षियों के हितबद्ध होने का लिया था बचाव पर अभियोजन द्वारा तर्क दिया गया कि साक्षी जो स्वयं घायल रहा हो, वह असत्य नहीं बोलेगा, इस आधार पर साक्षियों कि साक्ष्य को विश्वसनीय पाया गया और बचाव पक्ष के तर्क को खारिज कर दिया गया।

न्यायालय ने आरोपी के कृत्य को गंभीर माना, साक्षी के बचाव को किया गया खारिज न्यायालय ने माना कि प्रथम अपराधी होने मात्र से अपराध की प्रकृति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता, समाज में पड़ने वाले प्रभाव व अपराध की गंभीरता और आरोपी की पृष्ठभूमि आदि पर गौर करने के बाद न्यायलय में आरोपी को आजीवन कारावास के दण्ड से दण्डित किया साथ ही 5 हजार रु का जुर्माना भी लगाया।

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