एसटीएफ ने किया टोल फ्रॉड का पर्दाफाश, 200 टोल प्लाजा पर नकली सॉफ्टवेयर से करोड़ों की वसूली
*तीन के ठेके तेंदूखेड़ा कांग्रेसी विधायक नेता संजय शर्मा की कंपनी वंशिका कंस्ट्रक्शन के पास*
शहडोल
उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने देशव्यापी टोल फ्रॉड का खुलासा किया है। एमपी के 6 टोल प्लाजा सहित देश भर में 200 टोल नाकों पर एक साॅफ्टवेयर अपलोड कर बिना फास्ट टैग वाले वाहनों से करोड़ों की वसूली कर बंदरबांट की जा रही थी। ये सॉफ्टवेयर राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) की तरह ही टोल पर्ची जनरेट करता था। एनएचएआई बिना फास्ट टैग वाले वाहनों से जुर्माना के तौर पर डबल टोल शुल्क वसूलता है।
यूपी एसटीएफ की सूचना पर मध्यप्रदेश में एनएचएआई ने सभी 6 टोल नाकों पर जाकर जांच शुरू कर दी है। हैरानी की बात ये है कि इन 6 टोल नाकों में से 3 का ठेका वंशिका कंस्ट्रक्शन के पास है। ये कंपनी मध्यप्रदेश के कांग्रेसी नेता तेंदूखेड़ा के पूर्व विधायक संजय शर्मा की बेटी के नाम पर संचालित है। गढ़ा टोल का ठेका बंसल पाथवे, जंगवानी का कोरल और मोहतरा टोल का ठेका यूपी के पाठक ब्रदर्स द्वारा संचालित ए.के. कंस्ट्रक्शन के नाम पर है।
एनएचएआई के अलावा दूसरा साॅफ्टवेयर अपलोड किया यूपी एसटीएफ की लखनऊ टीम ने मंगलवार को तड़के 4 बजे मिर्जापुर जिले के लालगंज थाना क्षेत्र अतरौला में शिवगुलाम टोल प्लाजा पर दबिश देकर इस गोरखधंधे का खुलासा किया। एसटीएफ ने इस टोल प्लाजा के मैनेजर प्रयागराज निवासी राजीव कुमार मिश्रा, टोल पर्ची काटने वाले कर्मी सीधी (मप्र) निवासी मनीष मिश्रा को गिरफ्तार किया है। ये दोनों गिरफ्तारी एसटीएफ ने एक दिन पहले वाराणसी स्थित बाबतपुर एयरपोर्ट के पास से पकड़े गए जौनपुर निवासी आलोक कुमार सिंह के खुलासे के बाद की हैं।
दरअसल, एसटीएफ को सूचना मिल रही थी कि देश भर में एक गिरोह टोल प्लाजा के बूथ कम्प्यूटर में एनएचएआई के अलावा दूसरा साॅफ्टवेयर अपलोड कर बिना फास्ट टैग वाले वाहनों से वसूली कर खुद की जेब भर रहा है। इस खेल में साॅफ्टवेयर अपलोड करने वालों के अलावा टोल प्लाजा का ठेका लेने वाले, वहां के कर्मचारी भी शामिल हैं।एनएचएआई बिना फास्ट टैग वाले वाहनों से जुर्माना के तौर पर डबल टोल शुल्क वसूलता है। इस गिरोह के सदस्य एनएचएआई की बजाय अपने इंस्टॉल किए गए साॅफ्टवेयर से उसकी पर्ची काटते थे।
*हरकत में आया एमपी का एनएचएआई*
कटनी एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर आनंद प्रसाद ने कहा- यूपी एसटीएफ से गुरुवार को जानकारी मिली है। शहडोल टोल प्लाजा मेरे कार्यक्षेत्र में आता है। इसकी जांच के लिए टीम भेजी गई है। जांच में साॅफ्टवेयर इंस्टॉल मिलने पर कार्रवाई की जाएगी। वहीं, जबलपुर के प्रोजेक्ट मैनेजर अमृत लाल साहू ने बताया कि जिले में संचालित मोहतरा, सालिवाड़ा, छिंदवाड़ा के चिखलीकला और जंगवानी टोल प्लाजा की जांच कराई है।
*टोल प्लाजा में मिलीभगत से इंस्टॉल किया साॅफ्टवेयर*
यूपी एसटीएफ के एएसपी विनोद कुमार सिंह के मुताबिक, आरोपी आलोक कुमार सिंह मूलत: जौनपुर जिले के फरीदाबाद सिद्दीकपुर का रहने वाला है। फिलहाल वह हरहुआ, काजीसराय, वाराणसी में रह रहा था। पूछताछ में आलोक कुमार सिंह ने बताया कि उसने एमसीए की पढ़ाई की है। उसे साॅफ्टवेयर बनाने की अच्छी जानकारी है।
पूर्व में वह भी टोल प्लाजा पर काम कर चुका है। तब वह रिद्धि-सिद्धि कंपनी में कार्यरत सावन्त और सुखान्तु नाम के दो कर्मियों के साथ काम करता था। वहीं से टोल प्लाजा का ठेका लेने वाले कंपनियों और फर्मों के संपर्क में आया। उसे पता है कि देश के सभी टोल प्लाजा पर फास्ट टैग अनिवार्य है। बिना फास्ट टैग के टोल प्लाजा से गुजरने वाले वाहनों से पेनाल्टी के रूप में दोगुना टोल टैक्स वसूला जाता है। इस दोगुने शुल्क वसूली का गबन करने के मकसद से उसने टोल प्लाजा मालिकों की मिलीभगत से एक ऐसा साॅफ्टवेयर तैयार किया, जो एनएचएआई के साॅफ्टवेयर की तरह ही काम करता है।
*आलोक ने निजी लैपटॉप पर लिया ऑनलाइन एक्सेस*
सभी टोल प्लाजा के किसी एक बूथ पर एनएचएआई का साॅफ्टवेयर अपलोड रहता है। इसी से सभी बूथ के टोल पर्ची काटने वाले कम्प्यूटर जुड़े होते हैं। आलोक टोल पर काम करने वाले आईटीकर्मियों के सहयोग से ऑनलाइन और ऑफलाइन खुद का तैयार साॅफ्टवेयर इंस्टॉल कर देता था। फिर इसका ऑनलाइन एक्सेस अपने निजी लैपटॉप पर ले लेता था।
टोल प्लाजा से गुजरने वाले फास्ट टैग रहित वाहनों से दोगुना शुल्क इसी साॅफ्टवेयर के माध्यम से वसूल जाता था। इसकी प्रिंट पर्ची एनएचएआई के साॅफ्टवेयर के जैसी थी। सभी टोल और उनके बूथ के ट्रान्जेक्शन का विवरण आलोक के लैपटॉप में दिखता था।
*देश भर के 200 टोल प्लाजा पर साॅफ्टवेयर इंस्टॉल*
आलोक सिंह ने एसटीएफ पूछताछ में खुलासा किया है कि उसके तैयार साॅफ्टवेयर को साथी सावंत और सुखांतु की देखरेख में देश के 200 से अधिक टोल प्लाजा पर इंस्टॉल किया गया है। आलोक ने इसके अलावा उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र राजस्थान, छत्तीसगढ़, असम, जम्मू-कश्मीर, गुजरात, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल में संचालित 42 टोल पर खुद ये साॅफ्टवेयर इंस्टॉल किया है।
इससे मिलने वाली राशि वह स्वयं, परिवार और ससुर के बैंक खातों में वॉलेट, ऑनलाइन या ऑफलाइन हासिल करता था। दो साल में उसने अकेले मिर्जापुर के अतरौला शिवगुलाम टोल प्लाजा से ही 45 हजार रुपए प्रतिदिन के औसत से गबन किए हैं। दो साल में ये रकम 3.24 करोड़ रुपए होती है।