अमरकंटक तक रेल विस्तार 15 साल पुराना दूरदर्शी विचार, अब बन रहा है हकीकत, क्षेत्रीय विकास को मिलेगी नई दिशा

अमरकंटक तक रेल विस्तार 15 साल पुराना दूरदर्शी विचार, अब बन रहा है हकीकत, क्षेत्रीय विकास को मिलेगी नई दिशा


अनूपपुर

मध्य प्रदेश के प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल अमरकंटक, जो अपनी आध्यात्मिक महत्ता के लिए प्रसिद्ध है, अब देश के प्रमुख शहरों से सीधा रेल संपर्क पाने की ओर अग्रसर है। वरिष्ठ वकील और समाजसेवी वासुदेव चटर्जी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इस ऐतिहासिक परियोजना की जानकारी साझा की।

*2009 में रखा गया था रेल विस्तार का दूरदर्शी विचार*

15 साल पहले, पत्रकार कैलाश पाण्डेय ने अपने एक लेख में सुझाव दिया था कि पेंड्रा से अमरकंटक तक रेलमार्ग का विस्तार किया जाए। उस समय, यह एक दूरदर्शी विचार था, क्योंकि अमरकंटक की कनेक्टिविटी बेहद सीमित थी। श्रद्धालु और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय (IGNTU) के छात्र केवल सड़क मार्ग से ही यहाँ पहुँच पाते थे। पाण्डेय ने सुझाव दिया था कि हिंडालको बॉक्साइट रेललाइन को चुकतीपानी और जलेश्वर तक विस्तारित किया जाए। उनका यह प्रस्ताव न केवल धार्मिक, बल्कि शैक्षिक और व्यावसायिक दृष्टिकोण से भी क्रांतिकारी था।

*स्थानीय मीडिया और नेताओं का समर्थन*

कैलाश पाण्डेय के लेख को स्थानीय मीडिया ने व्यापक रूप से प्रकाशित किया। दैनिक क्रांति के संपादक मनोज द्विवेदी और राजेश शुक्ला ने इसे प्रमुखता दी। साथ ही, पाण्डेय ने अपने चैनल के माध्यम से इस विचार को अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाया। इस विचार को तत्कालीन सांसद स्वर्गीय राजेश नंदनी सिंह ने गंभीरता से लिया। उन्होंने प्रधानमंत्री और रेल मंत्री को पत्र लिखकर अमरकंटक तक रेलमार्ग विस्तार की मांग की। उनके प्रयासों के बाद रेल मंत्रालय ने इस पर सर्वेक्षण शुरू किया। हालांकि, उनके निधन के बाद इस परियोजना की गति धीमी हो गई।

*फग्गन सिंह कुलस्ते ने दिया परियोजना को नया जीवन*

इस परियोजना को पुनर्जीवित करने का श्रेय मंडला के सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते को जाता है। उन्होंने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को पत्र लिखकर अमरकंटक से मंडला, डिंडोरी और नरसिंहपुर तक रेल विस्तार की मांग की। उनके प्रयासों से रेल मंत्रालय ने इस परियोजना के सर्वेक्षण और योजना निर्माण की प्रक्रिया दोबारा शुरू की।

*प्रस्तावित रेलमार्ग और इसके लाभ*

नई रेलमार्ग परियोजना लगभग 330 किलोमीटर लंबी होगी, जिसमें अमरकंटक से मंडला, डिंडोरी, लखनादौन होते हुए नरसिंहपुर तक रेललाइन बिछाने का प्रस्ताव है। इस परियोजना से अमरकंटक को पेंड्रा, बिलासपुर, रायपुर, झारखंड, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों से सीधा रेल संपर्क मिलेगा। यह परियोजना न केवल श्रद्धालुओं और IGNTU के छात्रों के लिए यात्रा को सुगम बनाएगी, बल्कि क्षेत्रीय व्यापार और पर्यटन को भी बढ़ावा देगी। रेलमार्ग बनने से यात्रा का समय कम होगा और परिवहन प्रणाली बेहतर होगी।

*आवश्यक कदम और आगे की राह*

इस परियोजना को धरातल पर उतारने के लिए भूमि अधिग्रहण और बजट आवंटन जैसे प्रारंभिक कार्य जरूरी हैं। शहडोल की सांसद हिमांदी सिंह का इस परियोजना में सक्रिय योगदान अपेक्षित है।

*वासुदेव चटर्जी ने किया कैलाश पाण्डेय की दूरदर्शिता का सम्मान*

जिले के वरिष्ठ वकील वासुदेव चटर्जी ने कहा, "2009 में कैलाश पाण्डेय ने जब यह लेख लिखा था, तब यह एक विचार मात्र था। आज यह सच हो रहा है और यह उनकी दूरदर्शिता का प्रमाण है।"अमरकंटक तक रेलमार्ग का विस्तार न केवल धार्मिक और शैक्षिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह क्षेत्रीय विकास और सामाजिक समृद्धि में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। कैलाश पाण्डेय द्वारा लिखा गया लेख आज क्षेत्र की कनेक्टिविटी और विकास की नई राह खोल रहा है।

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