कलेक्टर के प्रयास से लाइब्रेरी तो खुली मगर उद्देश्यों से भटकी, प्रबुद्ध जनों की अपेक्षा पर दिया जाए ध्यान

कलेक्टर के प्रयास से लाइब्रेरी तो खुली मगर उद्देश्यों से भटकी, प्रबुद्ध जनों की अपेक्षा पर दिया जाए ध्यान


अनूपपुर

नगर पालिका द्वारा 1994 से संचालित पंडित शंभूनाथ शुक्ल पब्लिक लाइब्रेरी जो कभी दूर-दूर तक अपनी खूबियों के लिए पहचानी जाती थी,आज अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही है।

विन्ध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री व शहडोल जिले के निर्माता पं.शंभूनाथ शुक्ला के नाम पर खोली गई लाइब्रेरी का उद्घाटन तत्कालीन प्रदेश के मुख्य सचिव शरतचन्द्र बेहार के कर कमलों हुआ था,परिषद के प्रथम अध्यक्ष भाई लाल पटेल,ओमप्रकाश द्विवेदी,प्रेम कुमार त्रिपाठी के द्वारा संरक्षित एवं प्रोत्साहित लाइब्रेरी के माध्यम से संपूर्ण जिले के हजारों छात्रों ने समाज में नाम कमाते हुए अच्छी नौकरी एवं प्रतिष्ठा प्राप्त की। उक्त लाइब्रेरी में जहां साहित्य का भंडार है,पुराने नए लेखकों की पुस्तक पर्याप्त संख्या में है,वही आने वाले प्रतियोगी,साहित्यिक,नारी उत्थान,बाल विकास,स्वास्थ्य से संबंधित पत्रिकाओं के माध्यम से बालक किशोर युवा एवं बुजुर्ग सभी की जिज्ञासा शांत होती है तथा ज्ञानवर्धन होता है। 

नगर के साहित्यकार रामनारायण पांडे लाइब्रेरी की अपनी 30 वर्ष की सेवा के उपरांत सेवानिवृत हो गए हैं।श्री पांडे के व्यक्तिगत रूचि लेने के कारण लाइब्रेरी का उत्तरोतर विकास हुआ।सैकड़ो नवयुवक,नवयुतियां लाइब्रेरी की सदस्यता ली।तथा अपना बौद्धिक विकास किया।इतना ही नहीं लाइब्रेरियन के द्वारा महापुरुषों की जयंतियां,आने वाले विद्वान के सम्मान में परिचर्चा, गोष्ठियां,पंडित शंभूनाथ शुक्ल की जयंती,साहित्यकारों की जयंती,विभिन्न गोष्टी तथा मासिक गोष्ठियां आयोजित कर नगर तथा जिले में साहित्यिक सांस्कृतिक प्रवाह बनाए रखा।गोष्ठियों के माध्यम से कई नई रचनाकारों का उदय हुआ।

कलेक्टर अनूपपुर के प्रयासों से वर्तमान में लाइब्रेरी में किसी कर्मचारी की नियुक्ति की गई है।जिसे वहां की कोई जानकारी नहीं है।लाइब्रेरी में ना तो कोई चपरासी है,ना वहां साफ-सफाई है और न हीं पीने की पानी की व्यवस्था है।इतना ही नहीं लाइब्रेरी में पर्याप्त प्रकाश की व्यवस्था नहीं है।ना ही इमरजेंसी लाइट की व्यवस्था है।इसी तरह ना तो वहां पर्याप्त समाचार पत्र आ रहे हैं और न हीं पत्रिकाएं आ रही हैं।जिससे पाठकों ने भी लाइब्रेरी से दूरी बना ली है।

अब अगर नगर पालिका वास्तव में लाइब्रेरी का संचालन करना चाहती है तो सर्वप्रथम लाइब्रेरी की समस्त सामग्री का भौतिक सत्यापन करते हुए जिम्मेदार व्यक्ति को लाइब्रेरी की जिम्मेदारी सौपे,जिससे सुचारू रूप से लाइब्रेरी संचालित हो सके।          विगत 30 वर्षों में लाइब्रेरी शाम 4 बजे से 10 बजे तक संचालित होती थी रविवार के साप्ताहिक अवकाश को छोड़कर पूरे साल सभी त्योहारों में भी लाइब्रेरी खुलती थी।शाम 4 बजे लाइब्रेरी खोलने के पीछे उद्देश्य था कि स्कूल से छुट्टी होने पर छात्र-छात्राएं जाकर पढ़ सके।प्रतियोगी परीक्षा देने वाले छात्र-छात्राएं भी यहां आकर अपनी पुस्तक लेकर शांत वातावरण में यहां पढ़ाई करते थे। 

नगर पालिका के जिम्मेदार अध्यक्ष,सीएमओ,प्रशासक से अनूपपुर की प्रबुद्ध जनता यह निवेदन करती है कि वह लाइब्रेरी में जाकर वहां का निरीक्षण करें तथा लाइब्रेरी को जनहित में जनता की आशाओं के अनुरूप नियमित संचालित करने का कष्ट करें।

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