सरपंच व सचिव पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप, फर्जी मस्टर रोल से सरकारी धन का गबन
*जनपद सीईओ से हुई शिकायत, ग्राम पंचायत छोहरी का मामला*
अनूपपुर
जिले की ग्राम पंचायत छोहरी में सरपंच केदार सिंह, सचिव राजेन्द्र वर्मन और रोजगार सहायक राजेश गुप्ता पर सरकारी धनराशि के गबन का गंभीर और शर्मनाक आरोप लगा है। हितग्राही मूलक निर्माण कार्यों के तहत खेत तालाब निर्माण (पूरन सिंह पिता स्व. रामप्रताप सिंह, बुधराम सिंह पिता स्व. मोलई सिंह) और वृक्षारोपण (राय सिंह पिता स्व. रामाधीन सिंह) जैसे कार्यों को केवल कागजों पर पूरा दिखाकर फर्जी मस्टर रोल तैयार किए गए और बिना काम कराए धन निकाल लिया गया।
*सरपंच और सचिव पर उठे सवाल*
जमुना कोतमा ग्राम पंचायत की जनता का कहना है कि सरपंच और सचिव ने योजनाओं का दुरुपयोग करते हुए अपनी जिम्मेदारियों का घोर उल्लंघन किया है। जनता के विकास के लिए आए धन को निजी स्वार्थ में इस्तेमाल कर वे न केवल पंचायत की छवि को धूमिल कर रहे हैं, बल्कि शासन की योजनाओं पर जनता के विश्वास को भी खत्म कर रहे हैं। ग्रामीणों ने इन अधिकारियों पर कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि ऐसे भ्रष्टाचार ने पंचायत की गरिमा और पारदर्शिता को पूरी तरह नष्ट कर दिया है
*उपसरपंच और वार्ड सदस्यों की मांग*
ग्राम पंचायत छोहरी के उपसरपंच और वार्ड सदस्यों कैलास प्रसाद जीवन दास (वार्ड 05), लल्लू सिंह (वार्ड 10), हीरालाल (वार्ड 11), रघुनाथ दास रैदास (वार्ड 13), उर्मिला सिंह (वार्ड 08), रामबाई (वार्ड 04), पूजा चौधरी (वार्ड 02), सहिता (वार्ड 12), और पार्वती (वार्ड 09) ने जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी से इस गंभीर मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। इन जनप्रतिनिधियों ने आरोप लगाया है कि सरपंच, सचिव और रोजगार सहायक ने पंचायत की योजनाओं में पारदर्शिता की पूरी तरह से अनदेखी की और जनहित के धन का दुरुपयोग कर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया।
ग्रामीणों का कहना है कि सरपंच और सचिव जैसे जिम्मेदार पदों पर बैठे व्यक्तियों का इस प्रकार का कृत्य बेहद निंदनीय है। ऐसे लोग न केवल सरकारी योजनाओं का गबन कर रहे हैं, बल्कि ग्रामीण जनता के विकास के अधिकारों को भी छीन रहे हैं। अगर इस भ्रष्टाचार को तुरंत नहीं रोका गया, तो यह पंचायत व्यवस्था के लिए एक बड़ा संकट बन सकता है।
जनप्रतिनिधियों ने मांग की है कि इस मामले की गहन जांच कर दोषियों को कठोरतम सजा दी जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों और पंचायत की पारदर्शिता और विश्वास बहाल हो सके।