खुले आम नौनिहालों के हक पर डाका, बच्चों को नियमानुसार स्कूल में नही मिल रहा भोजन
*विद्यालय प्रबंधन व समूह संचालक की मिलीभगत, सिर्फ खानापूर्ति*
अनूपपुर
बच्चों को शिक्षा से जोडऩे के लिए सरकार ने मध्यान्ह भोजन को शामिल किया है, लेकिन जिला अनूपपुर के कई प्राथमिक शालाओं में मध्यान भोजन की व्यवस्था पूरी तरह चौपट दिखाई दे रही है। ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यालयों में कई-कई दिनों तक बच्चो को मध्यान्ह भोजन नहीं मिलता, जिम्मेदार लोगों के ध्यान न देने के कारण स्व-सहायता समूह भोजन व्यवस्था अपनी मर्जी से नियम के खिलाफ चला रहे है, जिससे शासन की जनहितकारी योजनाओं पर पानी फिर रहा ह, सरकार का कहना हैं कि हमारे तरफ से मध्यान्ह भोजन की सामग्री भेजने में कोई भी लापरवाही नहीं बरती जा रही है, तो फिर गड़बड़ी कहां से हो रही है, इस मामले में सवालिया निशान लग रहा है, प्रदेश सरकार द्वारा सरकारी स्कूल में अध्ययनरत छात्रों को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराए जाने का दावा किया जा रहा है। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में स्थिति बिल्कुल उलटा है। क्योंकि इन स्कूलों में छात्रों को मीनू के अनुसार भोजन उपलब्ध कराना तो दूर, बल्कि समूह संचालक स्कूल प्रबंधन की सांठगांठ से खुले आम नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है।
स्कूल में बच्चों को मध्याह्न भोजन दिया जाता है, जिसमें बच्चों को हर दिन मीनू अनुसार भोजन देने की व्यवस्था स्व-सहायता समूहों के द्वारा की जाती है। लेकिन यहां स्कूलों में बच्चों को मीनू अनुसार भोजन तो दूर पेटभर खाना भी नहीं दिया जा रहा है। यहां गायत्री स्व सहायता समूह के द्वारा बच्चों को मध्यान्ह भोजन दिया जा रहा है।
यह मामला अनूपपुर जिले के शासकीय प्राथमिक विद्यालय सडडी का है, जहां मध्यान्ह भोजन के दौरान देखने में आया कि बच्चों की संख्या के अनुसार समूह संचालक के द्वारा सामग्री प्रदान नहीं की जाती, जिसके चलते रसोईया बच्चों को भरपेट भोजन नहीं दे पाती हैं, रसोइयों का कहना है कि समूह द्वारा कभी मीनू के अनुसार सामग्री नहीं दी जाती, और जो सामग्री भी मिलती है, तो उसकी क्वालिटी सही नहीं रहती, बताना जरूरी है कि सप्ताह में कुछ दिन बच्चों को सभी सरकारी स्कूलों में विशेष भोजन दिया जाता है। लेकिन यहां केवल बच्चों को सूखा चावल और आलू की सब्जी भी नसीब नहीं होता, जबकि शासन के नियम के अनुसार प्राइमरी स्तर के बच्चे को पांच पूड़ी, खीर, सब्जी का आहार दिया जाना चाहिए।
बच्चों को मध्यान भोजन नहीं मिलने पर, हेडमास्टर ने बताया कि समूह संचालक हर बार ऐसे ही मनमानी करता है। कभी चावल देता है तो कभी दाल, खीर तो उसने आज तक बच्चों को नहीं दी गई। इन बच्चों को गायत्री स्व-सहायता समूह द्वारा बच्चों को मध्याह्न भोजन दिया जा रहा है। जो की दिखावा के नाम पर मध्यान भोजन दिया जा रहा है इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि समूह संचालकों के द्वारा बच्चों के निवाला में डाका डाला जा रहा है और जिले में बैठे आल्हा अधिकारीसिर्फ कुर्सी तोड़ रहे हैं, जब भी मध्यान भोजन की बात करते हैं तो कहा जाता है कि जांच करवा लेते हैं जांच सिर्फ खानापूर्ति रह जाती है ना तो कार्यवाही होती है और ना मीनू के अनुसार किसी विद्यालय में भोजन बनाया जाता है
*इनका कहना है*
आपसे मुझे जानकारी प्राप्त हुई है कि, मीनू के अनुसार भोजन नहीं बन रहा है। बीआरसी कार्यालय को बोल दूंगी वह जाकर जांच कर लेंगे
*पूनम सिंह मध्यान भोजन प्रभारी जिला पंचायत अनूपपुर*