भगवद् गीता अर्जुन को युद्धभूमि में दी गई शिक्षा बस नहीं युवाओं को मिलती है शिक्षा- प्रशांत पाण्डेय
अनूपपुर
शिक्षक प्रशांत पाण्डेय ने बताया कि भगवद् गीता केवल अर्जुन को युद्धभूमि में दी गई शिक्षा नहीं है, युद्धभूमि में यह ज्ञान प्रदान करने का तात्पर्य है कि यह हर युग और हर व्यक्ति के लिए प्रासंगिक है। इसे शंखनाद के बाद कहा गया है, जो हर समय के लिए उपयुक्त है एवं मानव जीवन को नई दिशा देने का सामर्थ्य रखता है। विशेषकर आज की युवा पीढ़ी, जो कई मानसिक, सामाजिक और आध्यात्मिक समस्याओं से जूझ रही है, उनके लिए भगवद्गीता अनेक लाभदायक समाधान प्रस्तुत करती है।
1. स्वधर्म पालन: गीता सिखाती है कि हर व्यक्ति को अपने कर्तव्यों को समझकर उसे पूर्ण निष्ठा से निभाना चाहिए।
2. समत्व भाव: सफलता और असफलता दोनों में समान दृष्टि रखना जीवन को संतुलित बनाता है।
3. स्वयं को पहचानें: आत्मा की पहचान और आत्म-साक्षात्कार जीवन के वास्तविक उद्देश्य को समझने में मदद करता है।
4. कर्मयोग: गीता सिखाती है कि फल की चिंता किए बिना अपना श्रेष्ठ कर्म करना चाहिए।
5. आध्यात्मिकता का महत्व: जीवन में भौतिक उपलब्धियों से परे आत्मिक शांति और संतोष आवश्यक हैं।
6. साहस और धैर्य: कठिन परिस्थितियों में साहस और धैर्य बनाए रखना सफलता की कुंजी है।
7. निर्णय लेने की क्षमता: गीता से युवाओं को जीवन में सही निर्णय लेने की प्रेरणा मिलती है।
8. संदेह से बचें: संदेह करने वाले व्यक्ति का जीवन अस्थिर रहता है; इसलिए विश्वास और श्रम से आगे बढ़ें।
9. कृष्ण भक्ति: श्रीकृष्ण की भक्ति युवाओं को आत्मिक शांति, आनंद और सच्चे प्रेम का अनुभव कराती है। यह भक्ति जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण और समर्पण की भावना लाती है।
10. आदर्श नेतृत्व: गीता से नेतृत्व के गुण सीखकर युवा समाज के प्रेरणास्रोत बन सकते हैं।
गीता केवल एक पुस्तक नहीं, बल्कि जीवन जीने की संपूर्ण कला है।