भिक्षा देना अपराध क्यों? अधिवक्ता अमरीश श्रीवास्तव ने कलेक्टर के आदेश पर लगाया प्रश्न चिन्ह

भिक्षा देना अपराध क्यों? अधिवक्ता अमरीश श्रीवास्तव ने कलेक्टर के आदेश पर लगाया प्रश्न चिन्ह 

*मुख्यमंत्री मध्य प्रदेश एवं इंदौर कलेक्टर को ईमेल कर बताई इसके दुष्प्रभाव की व्याख्या*


शहडोल

हाल ही में सोशल मीडिया के माध्यम से यह जानकारी प्राप्त हुई की इंदौर जिला दंडाधिकारी  के द्वारा 1 जनवरी 2025 से भिक्षा देना अपराध घोषित किया गया है यद्यपि अभी तक इस संबंध में कोई आदेश की प्रति प्राप्त नहीं हो सकी है  किंतु अधिसंख्य प्रतिष्ठित इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा इसे  प्रमुखता से प्रकाशित किया गया है। यद्यपि भिक्षा मांगना पूर्व से ही भारतीय दंड संहिता की धारा 252, 253 के तहत अपराध घोषित किया गया था साथ ही मध्य प्रदेश भिक्षा वृत्ति अधिनियम 1960 के  तहत  भिक्षा मांगना अपराध है। भारत सहित विश्व के लगभग 20 देशों में भिक्षा मांगने को अपराध घोषित किया गया है ।

किंतु विश्व के किसी भी देश में भिक्षा देना अपराध नहीं माना गया है बल्कि  अधिकांश देशों में  इसे धर्म से जोड़कर देखा गया है । इंदौर जिला प्रशासन के द्वारा पूर्व में भी कुछ माह तक के लिए  तत्संबंधी लिखित आदेश 18/7/24 को पारित किया गया था जिसमें भिखारी को भिक्षा देने वाले या कोई भी चीज देने वाले के ऊपर एफ आई आर करने का आदेश दिया गया था और इस आदेश को आगे बढ़ाते हुए 1 जनवरी 2025  से  समूचे इंदौर के लिए प्रभावी करना बताया गया है ।

इस आदेश से व्यापक दृष्टि में उदभुत होने वाली विसंगतियों के कारण शहडोल स्थित वरिष्ठ अधिवक्ता अमरीश श्रीवास्तव के द्वारा एक ईमेल जिला दंडाधिकारी  इंदौर एवं मुख्यमंत्री मध्य प्रदेश को भेजा गया है जिसमें  इस आदेश के विस्तृत प्रभावों की व्याख्या की गई जिसमें यह बताया गया कि  किसी भी जरूरतमंद व्यक्ति की मदद करना ,वृद्ध असहाय निराश्रितों का सहयोग के लिए कुछ राशि देना, ठंड में  गरीबों को कंबल बांटना, भूखे व्यक्ति को भोजन देना... क्या यह भी अपराध की श्रेणी में आ जाएगा ?और यदि ऐसा है तो हम एक निष्ठुर समाज की स्थापना करने जा रहे हैं जबकि वास्तव में राज्य का प्रमुख दायित्व लोक कल्याणकारी व्यवस्था बनाना है ,जबकि इस आदेश के प्रभावी होने से संवेदनाहीन और अस्वस्थ समाज ही बन सकेगा ।

यद्यपि भिक्षा वृत्ति की आड़ में बहुत से असामाजिक और अपराधिक कार्य नशीली वस्तुओं के व्यापार होते हैं ,इंदौर में यह बड़े पैमाने पर होता है । इस पर भिक्षा मांगने वालों को पकड़कर निराश्रित संस्थानों में पहुंचाना और उन पर कड़ाई करना तो उचित है किंतु इस आदेश से हर संवेदनशील व्यक्ति जरुरतमंदो की मदद करने में भयभीत होगा और इस प्रकार निष्ठुर समाज की स्थापना होने लगेगी।

इंदौर के इस आदेश के बाद अब राजधानी भोपाल में भी ऐसा ही आदेश  लागू होने की खबरें आ रही हैं। अधिवक्ता के ई मेल पर मुख्यमंत्री ने त्वरित संज्ञान लेते हुए इसे समुचित दिशा निर्देश के साथ आवश्यक कार्यवाही हेतु  इंदौर कलेक्टर को उक्त मेल फॉरवर्ड कर दिया गया। आशा है मुख्यमंत्री की पहल के बाद अब उक्त  आदेश का पुनर्विलोकन करके भिक्षा वृत्ति की आड़ में अपराधियों पर कड़ाई से अंकुश लगाने के साथ-साथ एक संवेदनशील समाज बनाने की दिशा में उचित आदेश पारित किया जाएगा।

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