स्टे लगा तो चंद दिन में जारी हुआ आदेश, स्टे हटा तो 20 दिन बाद भी आदेश नहीं हुआ जारी- भार्गव
*न्यूनतम वेतन बढ़ौत्तरी मामला*
म.प्र. में श्रम विभाग की स्थापना लाखों श्रमिकों के हित में की गई है, पर श्रम विभाग का झुकाव श्रमिकों के प्रति कम और ठेकेदार व औद्योगिक संगठनों के प्रति अधिक होना बेहद निराशाजनक बात है । इस आशय की लिखित शिकायत ऑल डिपार्टमेंट आउटसोर्स संयुक्त संघर्ष मोर्चे के प्रांतीय संयोजक मनोज भार्गव एवं महामंत्री दिनेश सिसोदिया ने मुख्यमंत्री, श्रम मंत्री व प्रमुख सचिव श्रम विभाग को की है ।
मनोज भार्गव का कहना है कि जब अप्रैल 2024 से म.प्र. में श्रमिकों का न्यूनतम वेतन बढ़ा, तो इस पर ठेकेदारों व औद्योगिक संगठनों ने 21 मई 2024 को हाईकोर्ट बेंच इंदौर से स्टे ले लिया, तो म.प्र. श्रमायुक्त इंदौर ने तत्परता दिखाकर चंद दिनों में आनन-फानन में ऑर्डर जारी कर 68 वर्ष के इतिहास में पहली बार श्रमिकों का वेतन बढ़ाने के बाद उसे 1625 रू. से 2434 रू. तक कम कर बढ़े हुए वेतन की रिकवरी भी करवा दी । पर जब इस माह दिसम्बर 2024 के शुरू में हाईकोर्ट बेंच इंदौर ने उसी स्टे को हटाने के फरमान सुनाया, तो 20 दिन बीतने पर भी म.प्र. श्रमायुक्त इंदौर ने इस पर अमल कर इसका क्रियान्वयन अब तक नहीं किया है और उनके द्वारा गोल-मोल उत्तर दिया जा रहा है, जो बेहद आपत्तिजनक है।
मनोज भार्गव ने मुख्यमंत्री, श्रम मंत्री व प्रमुख सचिव श्रम विभाग से अपील की है कि वह हाईकोर्ट बेंच इंदौर द्वारा स्टे हटाये जाने संबंधी ऑर्डर पर तत्काल अमल करवाकर म.प्र. के लाखों मिल मजदूरों, दैनिक वेतन भोगियों व विभिन्न विभागों, उपक्रमों व बिजली कंपनी में कार्यरत आउटसोर्स श्रमिकों को बढ़े हुए वेतन को दिलवाने एवं माह अप्रैल, 2024 से दिसंबर 2024 तक की बकाया एरियर राशि जनवरी 2025 में भुगतान करवाया जाना सुनिश्चित करें ।