लापरवाही के चलते घायल तेंदुआ 14 घंटे बिना इलाज के तड़फता रहा

रेलवे लाइन पार करते समय ट्रेन की ठोकर से घायल हुए तेंदुए का 14 घंटे बाद हुआ रेस्क्यू

*लापरवाही के चलते घायल तेंदुआ बिना इलाज के तड़फता रहा*


उमरिया

वन मण्डल अंतर्गत आने वाले पाली रेंज के मुदरिया रेलवे स्टेशन के पास अप लाइन के पोल क्रमांक 938/5 मिडवे हाइवे ट्रीट के पास सुबह 6 से 7 बजे के बीच ट्रेन की ठोकर लगने से गम्भीर घायल तेंदुए का रेस्क्यू 14 घंटे बाद बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की रेस्क्यू टीम ने किया। डीएफओ उमरिया विवेक सिंह की घोर लापरवाही के चलते घायल तेंदुआ 14 घंटे बिना इलाज के तड़फता रहा तो वहीं डीएफओ विवेक सिंह के पास घटना स्थल तक जाने की फुरसत नही रही। रेस्क्यू टीम के वहां पहुंचने के बाद रात में 8 बजे डीएफओ औपचारिकता निभाने के लिए पहुंच गए, जबकि तेंदुआ वर्ग 1 का प्राणी है जिसके नाते उनको तत्काल मौके पर पहुंचना चाहिए था लेकिन अफसरशाही की उनके पास जाने का समय नही था।

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के रेस्क्यू दल प्रभारी अर्पित मैराल ने बताया कि हम लोग शासन के निर्देश पर सुबह से मगधी रेंज में स्थित इनक्लोजर से बाघ का रेस्क्यू करने में लगे थे और उसको ट्रेंकुलाइज करवा कर उसके गले मे रेडियो कॉलर लगवाने और फिर उसको उमरिया तक पहुंचवाने की कार्रवाई में लगे थे उसके बाद सारी कागजी औपचारिकता पूरी करने के बाद फ्री होकर सूचना मिलने पर शाम साढ़े सात बजे घटना स्थल पहुंचे हमारी पूरी टीम तक कर चूर हो चुकी थी कोई सुबह से भोजन तक नही किया था उसके बाद पशु चिकित्सक सहित हम 5 लोग वहां पहुंचे और पाली रेंज के 8 से 10 लोगों को साथ लेकर गंभीर घायल तेंदुए का रेस्क्यू कर पिंजरे में डाल कर जैसे ही रवाना हुए तो डीएफओ साहब ने कहा कि अब तुमने रेस्क्यू किया है तो तुम लोग ही इसको मुकुंदपुर इलाज के लिए पहुंचाओ, जबकि घायल तेंदुए को इलाज के लिए भेजने की सारी जबाबदारी वनमंडलाधिकारी उमरिया की है।

एक वयस्क नर बाघ का रेस्क्यू करना और उसको सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के लिए भेजना और उसके बाद बिना रुके लगातार 75 किलोमीटर दूर जाकर दूसरे गम्भीर वयस्क तेंदुए का रेस्क्यू करना काबिले तारीफ है, तो वहीं दूसरी तरफ डीएफओ उमरिया विवेक सिंह का वन्य प्राणियों के प्रति वह भी वर्ग 1 के प्राणी के साथ नकारात्मक रवैया कहीं न कहीं उनको संदिग्ध बनाता है, ऐसे में उच्च अधिकारियों और वन मंत्री को सख्त कदम उठाना चाहिए ताकि वनों और वन्य प्राणियों की ठीक तरह से रक्षा हो सके।

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