उत्कृष्ट विद्यालय 104 वर्ष पुराने कुएं को प्राचार्य ने बन्द करवाकर बनवा दिया मंच

उत्कृष्ट विद्यालय 104 वर्ष पुराने कुएं को प्राचार्य ने बन्द करवाकर बनवा दिया मंच


उमरिया 

जिले के उत्कृष्ट विद्यालय में वर्ष 1920 में बने पुराने कुएं को प्राचार्य के द्वारा उसे बन्द करवा दिया गया है, प्राचार्य के द्वारा एक समिति का भी निर्माण किया गया जो इस समिति ने यह निर्णय लिया कि इस कुएं को पैक करके यहां पर एक मंच बना दिया जाए और मंच बना दिया गया, अब इसी समिति के सदस्य व अध्यक्ष इस बात को कहते नहीं थकते की न तो हमें इस बात की जानकारी है और न ही इस संबंध में विभागीय पत्राचार हुए हैं।

उत्कृष्ट विद्यालय के प्रभारी प्राचार्य यू बी सिंह से बताया कि 25 जुलाई 2024 को एस एम डी सी अर्थात स्कूल मैनेजमेंट डेवलोपमेन्ट कमेटी की बैठक में प्रस्ताव पारित किया गया था कि पुराने कुंए के जगत को मरम्मत करवा कर मंच के रूप में परिवर्तित किया जाय, इस संबंध में कलेक्टर साहब से मौखिक निर्देशन के बाद कुएं को बन्द नही करवाया गया है, बल्कि उसका मरम्मत करवा कर पानी को रोका गया है, आगे चल कर हम कुंए के पानी का गार्डनिंग में उपयोग करेंगे, उसमें एक छेद रखा गया है, उस छेद के माध्यम से हम जेट पम्प बैठा करके गार्डनिंग के लिए उसके पानी का उपयोग करेंगे, जब उनसे पूंछा गया कि किसी कुंए को बंद किया जाता है तो उससे गैस निकलने के लिए एक छेद छोड़ा जाता है तब उनका जबाब रहा कि हमारा कोई ऐसा उद्देश्य नही है हमने एस एम डी सी से प्रस्ताव में पारित करवाया है, सभी के संज्ञान में है, एस एम डी सी के जो सदस्य होते हैं वो सभी लोग हैं, विधायक प्रतिनिधि भी हैं, धनुषधारी सिंह भी हैं और सभी सदस्य हैं इसमें 19 सदस्य हैं।

कुएं के मुद्दे को लेकर कांग्रेस के पूर्व विधायक एवं जिला अध्यक्ष अजय सिंह का मानना है कि जब स्कूल बना स्टेट टाइम में तभी का यह कुआं बना हुआ है और जब पानी का संकट आया उमरिया नगर में उसे समय उत्कृष्ट विद्यालय का यह कुआं नहीं सूखा बाकी सब कुएं सूख गए थे यह कुआं बहुत उपयोगी है

हमारा यह मानना है कि यदि कुएं का पानी न निकले तो वह बदबूदार हो जाता है गंदा हो जाता है यह क्यों बंद किया गया यह हमारी समझ से बाहर है यदि सुरक्षा की दृष्टि से बंद किया गया तो उसको जाली लगाकर घेरना चाहिए पहले तो वहां से वाटर सप्लाई भी होती थी और इसको बीच-बीच में साफ करवाते रहना चाहिए उसको जिंदा रखने की जरूरत है ताकि नई पीढ़ी के बच्चे भी देखें कि किस तरह से जल को जल स्रोतों को संरक्षित किया जाता था बच्चे भी इस चीज को जाने और यदि कुआं बंद किया गया है तो किसलिए बंद किया गया है इसकी जांच कर दोषी के ऊपर सख्त कार्यवाही होनी चाहिए।

प्राचार्य ने अपनी मनमानी कर ली और कुएं के ऊपर मंच बनाकर सरकारी पैसे का बंदर बांट तो कर लिया,  जहां सरकार एक और जल संरक्षण एवं संवर्धन के लिए करोड़ों रुपए खर्च करती है मगर यहां तो सरकारी पैसा खर्च करके जल स्रोत को बंद करने का कार्य किया गया है साथ ही कभी यदि किसी कार्यक्रम के दौरान मंच टूटा तो बहुत बड़ी दुर्घटना होगी, ऐसे में अब इन प्राचार्य महोदय पर क्या कार्यवाही होगी यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। प्राचार्य के द्वारा शासन के नियम विरुद्ध बच्चों से शाला विकास शुल्क के नाम पर भी 700 रुपये वसूले जा रहे हैं जबकि सरकार ने किसी भी तरह का अतिरिक्त शुल्क लेने पर प्रतिबंध लगाया हुआ है उसके बाद भी मनमानी तरीके से पैसे वसूल कर दुरुपयोग किया जा रहा है और एस एम डी सी प्राचार्य के हाथ की कठपुतली बनी हुई है जबकि कलेक्टर इसके चेयरमैन होते हैं उसके बाद भी उनके नाक के नीचे उतना बड़ा भ्रष्टाचार और बच्चों का शोषण हो रहा है। जबकि पूर्व कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव के संज्ञान में यह मामला आने के बाद उन्होंने शाला विकास शुल्क के नाम पर लिये जाने वाली रकम को तत्काल बन्द करवा दिया था, ऐसे में तत्काल इस पर संज्ञान लेकर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

वहीं इस मामले में प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी आर एस मरावी कह रहे हैं कि हमको कोई जानकारी नही है, हम जांच करवा लेंगे।

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