कमलेश मंजू ने जुआ फड़ की संभाली कमान, जाकिर ब्याज में रुपए कराता है उपलब्ध
*केशवाही- सड्डी के बीच संभाग के सबसे बड़े जुआ फड़ का संचालन*
*नामचीन जुआडिय़ों की लग रही जमघट, रोजाना लाखों का लगा रहे दांव*
अनूपपुर
जिले का सड्डी -केशवाही की सीमा पर नामचीन जुआडिय़ों के अवैध गतिविधियों का मुख्य अड्डा बन गया है, जहां संभाग स्तर से जुआ खेलने पहुंचने वाले जुआडिय़ों की भीड़ में रोजाना 25-30 लाख के दांव लगाए जा रहे हैं। बावजूद जानकारी के बाद भी स्थानीय पुलिस कार्रवाई से कन्नी काटती नजर आ रही है। माना जाता है कि पुलिस कार्रवाई के बाद बंद होने वाले फड व बंद होती आय के स्त्रोत से पुलिस किसी प्रकार की कार्रवाई से परहेज करना चाहती है, लेकिन दूसरी ओर पुलिस कप्तान के अवैध गतिविधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के दिए निर्देशों को स्वयं पुलिस ही अनदेखी भी कर रही है। यानी स्थानीय पुलिस के लिए सांप और छुछुंदर जैसे हालात बन रहे हैं। लोगों का कहना है कि जब स्थानीय पुलिस हत्यारे व बलात्कार जैसे जघन्य अपराध में आरोपियों को धरती के किसी कोने से ढूंढ लाती है तो सड्डी में संचालित जुआ के फड का सुराग क्यों नहीं तलाश पा रही है।
उल्लेखनीय है कि केशवाही चौकी व कोतमा थाना की सीमावर्ती गांव सड्डी अनूपपुर और शहडोल जिले के जुआडिय़ों के साथ मारवाही, पेंड्रा, गौरेला, मनेन्दगढ़, राजनगर, बिजुरी, अमलाई, कोतमा भालूमाड़ा, फुनगा, चचाई, बुढ़ार, शहडोल के साथ उमरिया व कटनी के जुआडिय़ों की भीड़ में शहडोल संभाग का सबसे बड़ा जुआ फड की सुरक्षित स्थली बन गया है। जहां पुलिस सरंक्षण में दोपहर 12 बजे से आरंभ होकर रात 12 बजे तक जुआ का खेल संचालित किया जाता है।
*वषो से चल रही अवैध गतिविधयां*
केशवाही चौकी व कोतमा थाना की सीमावर्ती गांव सड्डी में जुआ का अवैध खेल आज से नहीं वर्षो से जारी है, बावजूद पुलिस कभी इस गांव की ओर सूचना मिलने के उपरांत भी कार्रवाई नहीं करती। इस गांव की ओर उनके कदम नहीं उठते। जबकि अनूपपुर जिले के कोयलांचल क्षेत्र का नामचीन जुआड़ी अपनी कार में अन्य जुआरियों को साथ लेकर यहां पहुंचता है। और मैनेजमेंट कमलेश, मंजू नामक व्यक्ति के हाथों में होता है। जो पुलिस की मुखबिरी के लिए चौराहों तक लोगों को फैला देता है। जबकि आपातकालीन सूचनाओं में थाने में तैनात वर्दी की आड़ में मुखबिरी शामिल होते हैं जो बड़े स्तर की कार्रवाई जुआडिय़ों तक भेज उन्हें पहले से सतर्क कर देते हैं। हालांकि जुआड़ी भी अपने स्तर पर दैनिक दर पर गांव के लोगों को मोटी रकम की आड़ में चौराहे पर मुखबिरी के रूप में तैनात कर देते हैं। ये मुखबिर इतने शातिर होते हैं कि किस प्वाइंट से क्लाइंट को उठाना है कहां भेजा है सब पता होता होता है। सबसे आश्चर्य की बात यह है कि लोगों को यह शक न हो और पहचान बचा रहे बाहर से आने वाले जुआडिय़ों को बकायदा गाड़ी में बैठाकर ठीहे तक पहुंचाते हैं और हार जाए तो बकायदा उसे वापस घर भी पहुंचा देते हैं।
बताया गया कि जुआ फड़ में बाकायदा ब्याज से पैसा उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी जाकिर को दी गई है । जाकिर 10% में जुआरियों को राशि उपलब्ध कराता है । उसके एवज में कुछ भी मिल जाए गहन भी रख लेता है । हालांकि पुलिस को टीम बनाकर जुआ फड़ में दबिश देने की आवश्यकता है जिससे जुआ का संचालन न होने पाए।