जनजातियों के साथ छल-धोखा, फर्जी कार्य परिषद, पीएम, राष्ट्रपति व एससी-एसटी थाना में शिकायत

जनजातियों के साथ छल-धोखा, फर्जी कार्य परिषद, पीएम, राष्ट्रपति व एससी-एसटी थाना में शिकायत


अनूपपुर

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो श्रीप्रकाशमणि त्रिपाठी द्वारा कुलपति पद के पावर से दुर्भावनापूर्वक धमकी, कुलपति पद के पावर से फर्जी नियुक्ति, फर्जी रोस्टर, बिल्डिंग घोटाला, भारी भ्रष्टाचार सहित पद के पावर का बेहद दुरुपयोग किया गया है। कुलपति पद के पावर का दुरुपयोग जनजातीय समाज के लोगों को क्षति पहुंचाने, नुकसान करने के लिए किया गया है। कुलपति ने भारत के जनजातियों के साथ बड़े स्तर का छल, धोखा तथा उन्हें अपमानित करने का कार्य किया है जनजातीय गौरव को मिटाने का कुचक्र किया है। प्रो श्रीप्रकाशमणि त्रिपाठी द्वारा किया गया अपराध गंभीर प्रकृति का संज्ञेय अपराध तथा अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत दंडनीय है। भाजपा के अनूपपुर जिला मीडिया प्रभारी राजेश सिंह ने महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, जनजातीय कार्य मंत्री जुएल ओराम, राज्यमंत्री दुर्गादास उइके, मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते, सांसद हिमाद्री सिंह, मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, अनूपपुर जिले के प्रभारी मंत्री दिलीप अहिरवार, राज्यमत्री दिलीप जायसवाल, पुलिस महानिदेशक, पुलिस महानिरीक्षक शहडोल, पुलिस अधीक्षक, जिलाधीश अनूपपुर तथा थाना प्रभारी अनुसूचित जाति जनजाति कल्याण थाना अनूपपुर को लिखित में शिकायत दर्ज किया है।

*24 घंटे के भीतर कार्यपरिषद भंग करना जरुरी*

राजेश सिंह ने बताया कि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजाति विश्वविद्यालय अधिनियम की धारा 24(1) तथा 24(2) में कार्य परिषद के गठन और इनकी संख्या के बारे में बताया गया है, धारा 24(2) में यह स्पष्ट रूप से निर्धारित किया गया है कि ‘बशर्ते कि कार्यपरिषद में अनुसूचित जनजातियों में से पर्याप्त संख्या में सदस्य होंगे, तथा इसके अलावा, परिनियमों द्वारा निर्धारित सदस्यों की संख्या विश्वविद्यालय कोर्ट के निर्वाचित सदस्यों में से होगी। एक्ट के अनुसार विश्वविद्यालय के कार्य परिषद में जनजातियों की संख्या पर्याप्त मात्रा में अर्थात कम से कम चार से पांच जनजाति सदस्य होने चाहिए, लेकिन एक्ट के विपरीत जाकर श्रीप्रकाशमणि ने अपने राजनीतिक विज्ञान विषय के पुराने परिचित, अपने रिश्तेदार, अपने क्षेत्र तथा जाती के ऐसे फर्जी व्यक्ति को कार्यपरिषद् का सदस्य बनाया जो इनके प्रत्येक अपराध के सहभागी हैं। विश्वविद्यालय अधिनियम के तहत कार्य परिषद का गठन न होकर एक्ट के विपरीत जनजातीय सदस्यों को नुकसान कारित करने के षड्यंत्र के तहत फर्जी कार्यपरिषद का गठन किया तथा इस फर्जी कार्यपरिषद से अनेक अपराधों जैसे फर्जी नियुक्तियां, फर्जी टेंडर तथा अधिनियम के विरुद्ध अनेक गैरकानूनी कार्य करने का सामूहिक अपराध किया गया है और यह सभी संज्ञेय प्रकृति के सफेदपोज अपराध है और इस मामले में फर्जी कार्यपरिषद को तत्काल भंग कर दिया जाना चाहिए तथा प्रो श्रीप्रकाशमणि त्रिपाठी पर धोखाधड़ी, छल, शासकीय पद का दुरूपयोग, कूटरचना करने का अपराध भी दर्ज किया जाना चाहिए। स्पष्ट है की विश्वविद्यालय एक्ट के अनुसार वर्तमान कार्यपरिषद फर्जी है जिसे तत्काल भंग कर दिया जाना उचित है तभी सही मायने में जनजातीय समाज के प्रति सच्ची श्रद्धा और समर्पण प्रकट होगी।

*बिना हस्ताक्षर से बनाया गया फर्जी मिनटस*

राजेश सिंह ने बताया कि प्रो श्रीप्रकाशमणि त्रिपाठी के आसपास कुछ फर्जी प्रोफेसर अवैध कार्य करते हैं, सभी ने सांठ-गाँठ करके एक्ट के विरुद्ध गैरकानूनी कार्य, घोटाला करने हेतु फर्जी तरीके से कार्यपरिषद का संचालन किया तथा कार्यपरिषद की बैठक के मिनट्स में किसी सदस्य का हस्ताक्षर नहीं कराया अर्थात कुलपति और कुलसचिव केवल दो इसमें हस्ताक्षर किये जबकि कुलसचिव कार्यपरिषद् के सदस्य नहीं होते है। केवल कुलसचिव और कुलपति के हस्ताक्षर से बनाए जा रहे इस फर्जी मिनिट्स का अवैध फायदा यह है कि मनमाने तरीके से जब चाहे मिनट्स बदल दिया जाता है, कूटरचना कर किसी के अवैध लाभ देने या किसी को अपूर्णणीय क्षति पहुंचाने का गैर कानूनी निर्णय अपने हिसाब से कर लेते है। इसकारण से बनाए गए फर्जी मिनिट्स को विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर नहीं डाला गया है बल्कि प्रो सी डी सिंह के समय का मिनट्स हटा दिया गया है। 17 वर्ष बाद भी विश्वविद्यालय के एक भी कार्यपरिषद का मिनिट्स ऑनलाइन नहीं है, आज भी वेबसाइट पर अंडर कंस्ट्रक्शन लिखकर आ रहा है जब भ्रष्टाचार का स्पष्ट प्रमाण है भारत सरकार या राज्य सरकार द्वारा पारदर्शी गवर्नेंस की बात करना इस विश्वविद्यालय ने इसे गलत साबित करने में लगा है कुलपति आते में नमक नहीं बल्कि नमक में आता जैसा भ्रष्टाचार कर रहे हैं।

Labels:

Post a Comment

MKRdezign

,

संपर्क फ़ॉर्म

Name

Email *

Message *

Powered by Blogger.
Javascript DisablePlease Enable Javascript To See All Widget