रोस्टर, नियुक्ति में भ्रष्टाचार को लेकर जनजातीय विश्वविद्यालय शिक्षकों के दो गुटों में जबरदस्त भिड़ंत
*रचा गया षड्यंत्र नाकाम हुआ, राष्ट्रपति, शिक्षा मंत्रालय, यूजीसी को भेजी गोपनीय पत्र*
अनूपपुर
कुलपति प्रो श्रीप्रकाशमणि त्रिपाठी का कार्यकाल 5 दिसंबर 2024 को समाप्त हो जायेगा, आखिरी समय में जबरदस्त भ्रष्टाचार, टीचिंग तथा नॉन-टीचिंग के पदों पर फर्जी भर्ती प्रक्रिया में तेजी ला दिया है और इसी भ्रष्टाचार रोकने का एक गुट और भ्रष्टाचार करवाने वाले दुसरे गुट में जबरदस्त भिड़ंत से विश्वविद्यालय में अराजकता व्याप्त हो गई है। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजाति विश्वविद्यालय के विज्ञान संकाय के सामने दिनाँक 18 नवम्बर 2024 को सुबह 11:30 बजे विश्वविद्यालय में व्याप्त कई विसंगतियों तथा भ्रष्टाचार के मामले में शिक्षक संघ ने पारदर्शी प्रथाओं को बनाए रखने, भारत सरकार के मानदंडों का पालन करने और विश्वविद्यालय में शैक्षणिक सुधार, नियुक्ति/पदोन्नति में विसंगतियों ठीक करने के मुद्दा के लिए एकत्रित हुए थे। तभी कुलपति समर्थक शिक्षकों का एक समूह (जो शिक्षक संघ के वास्तविक सदस्य भी नहीं हैं) ने सामूहिक रूप से और जानबूझकर शिक्षक संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ दुर्व्यवहार, हाथापाई, और मारपीट करके परिसर की शांति को बाधित करने का प्रयास किया है।
*राष्ट्रपति, शिक्षा मंत्रालय, यूजीसी को गोपनीय पत्र*
टीचर एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रो भूमि नाथ त्रिपाठी, उपाध्यक्ष प्रो. तरूण ठाकुर, डॉ. नारायण पी. भोसले, महासचिव डॉ. वीरेंद्र प्रताप, संयुक्त सचिव डॉ. चार्ल्स वर्गीस, डॉ. रोहित रवीन्द्र बोर्लिकर तथा कोषाध्यक्ष डॉ. आनंद सुगंधे ने संघ की ओर से घटना की शिकायत राष्ट्रपति भवन, शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार एवं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग में किया गया है। रिक्रूटमेंट सेल में भारी भ्रष्टाचार को लेकर शिक्षक संघ ने 23 अगस्त 2023, 10 अगस्त 2024, 19 सितंबर 2024, 15 नवंबर 2024 सहित अनेक पत्र सेंट्रल विजिलेंस कमिशन, राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री शिक्षा मंत्रालय एवं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को भेजा है, कई मामले सेंट्रल विजलेंस कमीशन में पंजीबद्ध होकर जांच किए जा रहे हैं तथा कुछ मामले सीबीआई के पास भी पेंडिंग है जिसमें बड़ी गिरफ्तारी होने की संभावना जताई जा रही है।
*रचा गया षड्यंत्र नाकाम हुआ*
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार घटना की पूर्व रात्रि साजिश रची गई जिसमें शामिल पूर्वांचल से आए हुए समाजवादी गुंडा शिक्षकों द्वारा शिक्षक संघ के पदाधिकारी के साथ दुर्व्यवहार, जबरदस्त पिटाई करने तथा तत्काल इसकी एफआईआर दर्ज कराकर सस्पेंड करने की योजना थी, लेकिन शिक्षक संघ के पदाधिकारी ने अपनी सहनशीलता, धैर्य दिखाते हुए किसी भी प्रकार का रिएक्शन नहीं दिया उन्होंने चुपचाप अपने साथ होते हुए घटनाक्रम को सहन कर लिया, जिसके कारण शिक्षक संघ के पदाधिकारी पीटने, जेल जाने और सस्पेंड होने के बड़े षड्यंत्र से बच गए।
*बदनाम कर रहा है विश्वविद्यालय*
प्राप्त सूत्रों के जानकारी के अनुसार रजिस्ट्रार प्रो. एन.एस. हरि नारायण मूर्ति तथा उपकुलसचिव डॉ संजीव सिंह 18 नवम्बर 2024 को एसडीओपी तथा एसडीएम पुष्पराजगढ़ के साथ काफी समय तक बैठे थे तथा कुछ प्रोफ़ेसर अमरकंटक थाने के बाहर खड़े थे, अंत में काफी बड़े स्तर पर मामला को सेटल बताया गया है। एक सहायक कुलसचिव ने एसडीएम को रीवा कनेक्शन बताते हुए बात करके उनका फोन टेप कर लिया है, कुछ अधिकारियों को सेट करने लिफाफा देकर छात्रों के आंदोलन तथा शिक्षक संघ के जायज मांग को दबाने के लिए धनबल का जबरदस्त इस्तेमाल चर्चा का विषय बना हैं।
*भ्रष्टाचार छुपाने के लिए दी खतरनाक धमकी*
घटनास्थल पर विश्वविद्यालय के कार्य परिषद के तीन सदस्यों ने जमकर तबाही मचाया। कार्यपरिषद के सदस्य धमकाया की कुलपति जाते-जाते कई लोगों को तबाह कर देंगे कोई भी झूठा आरोप लगाकर निलंबित कर देंगे। हम लोग कार्यपरिषद के सदस्य हैं जो चाहे वह कर सकते हैं, निलंबित कराकर जान से मरवा देंगे, आत्महत्या करने मजबूर कर देंगे। गलत जांच में फंसा कर पूरे परिवार को तबाह कर देंगे। एक सदस्य ने यह भी कहा की हम तो पॉवर का फायदा उठा रहे है, नाममात्र की औपचारिकता करके उच्चतम ग्रेड पे पर प्रमोशन करा लिया है, प्रमोशन की लिफाफा जिस कार्य परिषद में खुली उसमें वे सभी लाभार्थी उपस्थित रहे हैं। शिक्षक संघ के खिलाफ 90 शिक्षकों द्वारा एक ही पत्र पर हस्ताक्षर करके दिया गया है, इसमें कार्यपरिषद् के सदस्य भी शामिल थे जिन्होंने हस्ताक्षर भी किया है, इसका मतलब कार्यपरिषद् सदस्य अपने शक्ति का षड्यंत्रपूरक बेहद गलत इस्तेमाल कर रहे है, जो संवैधानिक रूप से पूर्णतः वर्जित है कार्यपरिषद के सदस्यों की जाँच के लिए उच्च स्तरीय पत्र लिखा जा चुका है, जिसमें कार्यपरिषद के सदस्यों की गिरफ्तारी की संभावना जताई जा रही है।
*दो दर्जन गिरफ्तारियां संभावित*
एससी-एसटी-ओबीसी के उम्मीदवारों को नुकसान करने के लिए रोस्टर रजिस्टर में छेड़छाड़, फर्जीवाडा एवं कुटरचित दस्तावेज का इस्तेमाल करके नियुक्ति करने का कार्य किया है, कार्यपरिषद के किसी भी मिनिट्स में किसी भी सदस्यों का हस्ताक्षर न कराकर जबरदस्त अपराध को अंजाम दिया है जिसमें कम से कम दो दर्जन गिरफ्तारियां संभावित बताई जा रही है।