किसानों पर कुदरत की मार, तेज बारिश व आंधी से खड़ी धान की फसल गिरी
अनूपपुर
जिले के पुष्पराजगढ़ जनपद अंतर्गत करनपठार एक तरफ जहां सरकारों द्वारा किसान वर्ग पर तरह-तरह के दबाव बनाए जाते हैं, वहीं दूसरी तरफ किसान वर्ग पर कुदरत की मार भी पड़ती है। जैसे कि पिछली रात पके हुए धान पर तेज आंधी और बारिश से किसानों के चेहरों पर एक बार फिर चिंता की लकीरें खींच गई हैं क्योंकि आने वाले कुछ दिनों में धान की कटाई का काम जोर-शोर से शुरू हो जाना था लेकिन इस बारिश और तेज हवाओं के कारण धान की फसल को काफी नुकसान हुआ है। रात को तेज बारिश के साथ चली आंधी से खेत में खड़ी धान की फसल औंधे मुंह गिर गई। अगले 15 से 20 दिनों में धान की कटाई शुरू होनी थी। लेकिन, फसल के गिर जाने से किसानों की चिंता बढ़ गई है। किसानों का कहना है कि धान की फसल खेतों में लेट जाने से पैदावार पर असर पड़ता है। जो फसल जमीन से लग जाती है, उसमें दाने नहीं बनते। किसानों के अनुसार बारिश और आंधी से पैदावार में करीब 30% तक गिरावट आएगी। आने वाले दिनों में अगर एक बारिश और हो जाती है, तो नुकसान और बड़ा होगा। वहीं दूसरी ओर बासमती की खड़ी फसल पूरी जमीन पर नीचे बिछ जाने के कारण पैदावार में बड़ा अंतर देखने को मिल सकता है। इस मौके पर किसानों ने कहा कि इस प्राकृतिक मार के कारण किसानों को अधिक आर्थिक बोझ उठाने लिए मजबूर होना पड़ सकता है क्योंकि आने वाले दिनों में जब धान की कटाई का काम शुरू होगा तो जमीन पर गिरे धान की कटाई के लिए किसान को कंबाइन का रेट दोगुना देना होगा जिससे किसानों कर ऊपर अधिक बोझ बढ़ेगा।