दुकान मे घुसकर की तोड़फोड़ व गाली गलौच, सरपंच व सहायक सचिव के खिलाफ हुई शिकायत
*15 हजार का हुआ नुकसान, पीड़ित ने न्याय की लगाई गुहार*
अनूपपुर
थाना क्षेत्रांतर्गत ग्राम पंचायत रेउला के सरपंच एवं सहायक सचिव द्वारा शराब के नशे में धुत्त होकर एक दुकान में घुसकर गाली-गलौज करते हुए समानों को तोड़-फोड़ कर, दुकानदार को आर्थिक क्षति पहुंचाई गयी। जिससे आहत होकर दुकान संचालक द्वारा कोतमा थाना में पहुंचकर सरपंच एवं सहायक सचिव के विरुद्ध लिखित शिकायत करते हुए मामले पर न्यायोचित कार्यवाही की मांग की गयी है।
शिकायत में उल्लेख किया गया है कि ननका ढीमर पिता मानिकबाल ढीमर ग्राम रेउला थाना कोतमा द्वारा गांव में ही क्योंटा बांधा सड़क पुल समीप बिरयानी होटल का दुकान संचालित कर, अपना व परिवार का भरण पोषण करता है। जहां 13 अक्टूबर कि रात्रि लगभग 01 बजे ग्राम-रेउला का सरपंच शुकुल सिंह, एवं सहायक सचिव ओमप्रकाश गोड़ द्वारा शराब के नशे में धुत्त होकर कोतमा से रेउला आते समय मेरे दुकान में रुककर मुझे मां बहन की भद्दी-भद्दी गाली देते हुए दुकान के अंदर घुसकर मेरा काॅलर पकड़कर, दोनों व्यक्तियों द्वारा मेरे साथ लात-घूंसों से मारपीट भी किया गया। साथ ही दुकान का काऊंटर जिसमें किराना व बिरयानी का समान था उन सभी को भी फेंकते हुए, अंदर आलमारी में तोड़फोड़ किया गया। जिससे लगभग 15 हजार रुपए का मुझे आर्थिक नुकसान हुआ है। घटना से मैं व मेरा परिवार आहत हैं। वहीं सरपंच एवं सहायक सचिव द्वारा मुझे जान से मारने कि योजना भी बनाया जा रहा है।
*थाना क्षेत्र में बढ़ रहा अपराधों का ग्राफ*
गौरतलब है कि कोतमा थाना क्षेत्र में अपराधों का ग्राफ दिन-प्रतिदिन तीव्र गति से बढ़ता जा रहा है, एक तरफ जहां पुलिस प्रशासन द्वारा क्षेत्र में अपराधों पर नकेल कसने कि बात करते हुए खुद कि पीठ खुद ही थपथपाया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ ध्यानाकर्षित करने पर मालुमात होता है कि कोतमा पुलिस कि अपराधों पर नियंत्रण व्यवस्था महज खोखली ही साबित होता जा रहा है। क्षेत्र कि वास्तविक यथास्थिति तो कुछ और ही कहानी बयां करती हैं जहां भिन्न-भिन्न तरह के पनपते अवैध कारोबारों के साथ ही दिन-प्रतिदिन अपराधों के ग्राफ में भी वृध्दी दर्ज हो रही है। जो चिंतनीय है। एवं उच्च प्रशासनिक स्तर पर क्षेत्र कि कानून-व्यवस्था पर ध्यानाकर्षित कर, संज्ञानता दिखाने कि आवश्यक्ता है। जिससे कोतमा पुलिस अपनी खोखली दावों से बाहर निकलकर अपेक्षाकृत वास्तविक यथास्थिति से अवगत हो सके।