अपर नर्मदा बांध परियोजना निरस्त करने किसान महा पंचायत के संयुक्त ग्राम सभा में पारित हुआ प्रस्ताव

अपर नर्मदा बांध परियोजना निरस्त करने किसान महा पंचायत के संयुक्त ग्राम सभा में पारित हुआ प्रस्ताव

कांग्रेस ने दिया समर्थन, विधायक जिलाध्यक्ष व जनप्रतिनिधियों ने संभाला मोर्चा


अनूपपुर

शासन स्तर से स्वीकृत अपर नर्मदा बांध परियोजना शोभापुर/खेतगाँव को निरस्त किये जाने के सम्बन्ध में किसान संघर्ष मोर्चा पुष्पराजगढ़ ने (अपर नर्मदा परियोजना शोभापुर/खेतगाँव किसान संघर्ष मोर्चा मंच) ने दमेहड़ी मे संयुक्त रूप से ग्राम सभा में प्रस्ताव पारित करते हुये ज्ञापन सौंपकर उक्त परियोजना को निरस्त किये जाने की मांग की। अनूपपुर जिले के पुष्पराजगढ़ तहसील अंतर्गत प्रस्तावित अपर नर्मदा बांध शोभापुर/खेतगाँव शासन द्वारा पुनः प्रस्तावित करते हुए, नये बजट के साथ उक्त परियोजना लागू किया जा रहा है, जबकि पूर्व में इस योजना के संबंध में किसानो द्वरा लम्बा संघर्ष किया गया था, कानूनी लड़ाई भी लड़ी गई थी, जिसके फलस्वरूप मध्यप्रदेश कैबिनेट एवं नर्मदा घाटी प्राधिकरण ने उक्त परियोजना को वापस ले लिया था। प्रभावित किसान संघर्ष मोर्चा ने कहा कि अपर नर्मदा बांध परियोजना शोभापुर खेतगाँव शुरू करने से पूर्णतः कृषि पर ही आधारित यहाँ के मूल निवासियों का जीवन पूर्ण रूप नह हो जायेगा वही आदिवासी समाज की सांस्कृतिक ऐतिहासिक प्रथा, पारंपरिक जीवन शैली, रीति रिवाज, जैव विविधता प्रकृति का आश्रय सब कुछ पूर्ण रूप से नष्ट होगा।

*तपस्थली, कल्प वृक्ष का अस्तित्व हो जाएगा खत्म*

खत्म उक्त बांध बनने से भारतवर्ष की सबसे बड़ी जनजाति गोंडी धर्म के धर्मगुरु परिकुपार लिंगो जी महाराज की तपस्थली लिंगो पहाड़ जो पुष्पराजगढ़ के बिलासपुर पंचायत के अंतर्गत नर्मदा नदी के तट पर स्थित है, जहाँ पर मध्यप्रदेश सहित देश के 10 राज्यों के आदिवासियों का आस्था का केंद्र धर्मस्थल है, बांध बंधने के बाद चारो ओर जल ही जल होगा जहाँ जाना संभव नही हो पायेगा, उल्लेखनीय है की भारत के करोड़ों आदिवासी जनजाति के लोग यहाँ पर पूजा दर्शन मन्नत के लिए आते है, जिसके रखरखाव व सामुदायिक भवन हेतु शासन द्वारा लाखो रूपए व्यय किये जा रहे है, वही बांध स्थल के समीप ही शोभापुर ग्राम स्थित करमश्री दाई का प्राचीन स्थल कुक्करा मट्टा नर्मदा तट पर विराजमान है जो आदिवासी मूल निवासी समुदाय के समस्त देवी देवताओं का प्राचीन काल से मुख्यालय माना गया है, जहाँ पर मध्यप्रदेश सहित भारत के 10 राज्यों के आदिवासी मूल निवासी अपनी आस्था लेकर आते है, मन्नत दर्शन पूजा करते है, उनकी मनोकामना पूर्ण होती है, आदिवासी आस्था पर बहुत बड़ा आघात होगा जो आदिवासी समाज के आस्था के साथ अत्यंत कुठाराघात होगा। ग्राम सिवनी संगम में नर्मदा तट पर स्थित नर्मदा उदगम से 40 किलोमीटर के दायरे में वैज्ञानिकों का मत है कि प्राकृतिक जल श्रोत बंद हो जाते है, यहाँ व्यापक रूप से वन औषधियां समूल नष्ट होंगी। मध्यप्रदेश में एक मात्र अमरकंटक की पहाड़ी क्षेत्र में पाई जानेवाली गुलबाकावली भी हमेशा के लिए नष्ट हो जायगी। दूसरी ओर वर्ष 1997 में आए भूकंप का केंद्र बिंदु बरगी बांध के नीचे कोशम घाट था, उसके बाद से अनेक भूकंप आए जिनका केंद्र बिंदु नर्मदा नदी के समीप ही रहा है तो भूअर्जन पुनर्वास और पुनार्व व्यवस्थापन में उचित प्रीतिकर और पारदर्शिता अधिनियम 2013 की धारा 41 में कहा गया है कि अनुसूचित क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति नहीं हटाया जायेगा, अगर जनहित में कोई परियोजना निर्माण आवश्यक है तो विस्थापन विहीन निर्माण किया जाये। यह क्षेत्र पांचवी अनुसूची के तहत अधिसूचित क्षेत्र में एवं मध्यप्रदेश का एक मात्र कल्पवृक्ष स्थित है जिसके संरक्षण व रखरखाव के लिए शासन द्वारा लाखो रुपए व्यय करते हुए संरक्षित किया जा रहा है जो जल मग्न होकर नष्ट हो जायेगा।

*महा पंचायत में पारित पेसा एक्ट का पालन हो*

पेसा एक्ट अधिनियम 2022 पुर्णतः लागू है पेसा एक्ट कानून के तहत गठित ग्राम सभा से पारित प्रस्ताव का पालन करना अनिवार्य है, ऐसा नहीं करने पर संविधान एवं उच्चतम न्ययालय की अवमानना है अधिनियम को ही चुनौती दे रही परियोजना सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना उच्चतम न्यायालय द्वारा 2013 में दिए गये फैसले अर्थात विशेष रूप से उच्चतम न्यायायले का कहना है कि किसी भी प्राधिकारी के पास इतनी शक्ति नहीं है, कि वह ग्राम सभा के किसी फैसले को ना मंजूर कर सके, उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गये इस फैसले के तहत किसी भी प्राधिकारियों को ग्राम सभाओं द्वारा दिए गय सुसंगत निर्णयों के विरुद्ध कार्यवाही करना, ग्राम सभाओं का उल्लंघन एवं उच्चतम न्यायालय का अवमानाना माना जावे। कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी अनूपपुर द्वारा अनूपपुर व डिंडौरी जिले हेतु प्रस्तावित अपर नर्मदा बांध परियोजना से संबंधित अनूपपुर जिले के ग्रामों के प्रभावित कृषकों को परियोजना की जानकारी देने तथा उनकी समस्याओं को सूचीबद्ध करने एवं समुचित निराकरण हेतु राजस्व विभाग पंचायत विभाग जल संसाधन विभाग एवं कृषि विभाग का संयुक्त कैम्प सम्बंधित प्रभावित ग्रामों में किये जाने का आदेश प्रसारित किया गया है। उक्त आदेश के विरोध में किसान महापंचायत के संयुक्त ग्राम सभा द्वारा प्रस्ताव पारित किया गया कि किसी तरह के कैम्प का आयोजन प्रभावित कृषकों के बीच में नहीं होगा।

*हजारो की भीड़ ने एक साथ भरी हुँकार*

उक्त महापंचायत व ज्ञापन में कांग्रेस जिलाध्यक्ष रमेश सिंह, जिला पंचायत अध्यक्ष प्रीति रमेश सिंह, पुष्पराजगढ़ विधायक फुंदेलाल सिंह, समेत कांग्रेस के बड़े नेता व दमेहड़ी, रौसरखार, कोयलारी, ठाढपाधर, घुईदादर, सिवनी संगम समेत दर्जनों गांव के सरपंच, उपसरपंच, पंच व आसपास के समस्त ग्रामीण उपस्थित होकर एक साथ हुँकार भरे रहे वही जनपद सदस्यों ने भी सभा में शामिल होकर अपनी सहमति दी। जिन्होने संयुक्त रूप से आवाज बुलंद करते हुये किसी भी हाल मे परियोजना को वापस लेने का संकल्प दोहराया साथ ही यदि शासन प्रशासन स्तर से उक्त परियोजना को बंद नहीं करने पर उग्र आंदोलन समेत अन्य प्रदर्शन की बात कही।

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