महिला की अस्मत लूटने का प्रयास, आरोपी पर कर दिया शांति भंग का मामला कायम
*थाना गोहपारू की अजब गजब कार्यवाही, पीड़िता ने की एसपी से शिकायत*
शहड़ोल
जिले का गोहपारू थाना हमेशा सुर्खियों में बना रहता है लेकिन इस बार कुछ अजब-गजब कहानी सामने आ रही हैं। अस्मत लूटने के प्रयासरत आरोपी के खिलाफ थाना गोहपारू में शांति भंग का मामला कायम कर एक नया कीर्तिमान रचने का काम कर दिया है।
*यह हैं मामला*
गोहपारु थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम धोनहा निवासी पीड़िता ने अपनी लिखित शिकायत दर्ज कराते हुए पुलिस अधीक्षक शहडोल को यह बताया है कि 1 अक्टूबर 2024 को मैं अपने घर में अपने चार साल के बेटे के साथ थी और मेरे पति मजदूरी का कार्य करने बगल के गांव गोहपारू गए हुए थे, उसी समय मोहल्ले का ही रहने वाला कमलेश पनिका मेरे घर पहुंचा और मेरी इज्जत लूटने का प्रयास करने लगा, जिसका मैंने जोरदार विरोध किया और अपने पति को फोन लगाने का प्रयास किया, जिस पर आरोपी कमलेश पनिका ने पीड़िता का मोबाइल तोड़ते हुए उसके साथ तब तक मारपीट की जब तक महिला गंभीर रूप से जख्मी नहीं हो गई। वारदात को अंजाम देकर आरोपी वहां से फरार हो गया जख्मी महिला जब उसका पति मजदूरी कर वापस अपने घर आया तब महिला ने अपने ऊपर हुई, वारदात को अपने पति को बताया तब उसने स्थानीय सरपंच और ग्रामीणों की मदद से रात्रि को थाना गोहपारू पहुंचे, जहां उसका एमएलसी भी कराया गया और यह कहकर वापस रात को भेज दिया गया की कल सुबह आना और आरोपी के विरुद्ध शांति भंग करने का मामला पंजीबद्ध कायम कर मामला को रफ़ा दफा करने का प्रयास किया गया। पीड़िता व उसका पति इस बात से अनजान थे कि उसके साथ हुए वारदात में कौन सी धारा के साथ अपराध पंजीबद्ध किया गया है, वह दूसरे दिन थाना गोहपारु पहुंचती है तो विवेचक ए एस आई द्वारा उसे गाली गलौज कर थाने से भगा दिया जाता है और यह कहा जाता है हम तुम्हारे नौकर लगे हैं कि तुम्हारा इंतजार करें, हमने आरोपी को उसके घर वापस भेज दिया गया है तुम भी यहां से चले जाओ जब पीड़िता को कहीं से न्याय मिलता दिखाई नहीं दिया तब वह पुलिस अधीक्षक कार्यालय व महिला थाना शहडोल में जाकर अपनी शिकायत दर्ज कराई। सोचने वाली बात यह है कि इतने बड़े वारदात को पुलिस ने आखिरकार शांति भंग करने जैसे मामले में परिवर्तित कर मामला कायम क्यों किया। महिलाएं अपने को सुरक्षित महसूस नहीं कर पा रही और अपराधियों के हौसले बुलंद नजर आ रहे हैं। अब देखने वाली बात यह होगी कि पुलिस अधीक्षक इस विषय को संज्ञान में लेकर कब पीड़िता को न्याय दिला पाते हैं। और जिम्मेदारों पर क्या कार्यवाही करते हैं।