गर्भवती महिला को जिला चिकित्सालय से डॉक्टर ने लौटा दिया कि यह व्यवस्था नहीं है

गर्भवती महिला को जिला चिकित्सालय से डॉक्टर ने लौटा दिया कि यह व्यवस्था नहीं है

*संभाग के सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल स्वयं बीमार स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलता वीडियो👇👇👇*


शहडोल 

जिले की लचर और स्वयं बीमार स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलता यह वीडियो आपको सोचने पर मजबूर कर देगा की इस जिले की चिकित्सा व्यवस्था के नाम से आप कितने सुरक्षित हैं..?

&वायरल वीडियो*👇👇👇


जिले का 400 बिस्तरों का जिला चिकित्सालय तथा संभाग का लगभग 500 करोड़ से नव निर्मित आधुनिक चिकित्सा महाविद्यालय होने के बावजूद मरीज की जान को कितना खतरा है इस बात का अंदाजा आप स्वयं ही लगा सकते हैं दरअसल बीते दिन अमलाई निवासी सीमा सिंह को काफी तेज लेबर पेन हुआ जिसके बाद उनके पति निक्की सिंह रात 11:30 बजे लेकर उन्हें शहडोल जिले के जिला चिकित्सालय पहुंचे जहां के जिम्मेदार ड्यूटी डॉक्टर स्टाफ ने उन्हें यह कहकर लौटा दिया कि हमारे पास व्यवस्था नहीं है मेडिकल कॉलेज ले जाओ (जैसा कि जिला चिकित्सालय में अक्सर होता है) इसके बाद महिला को लेकर परिजन संभाग के नवनिर्मित अत्यधिक मेडिकल कॉलेज लेकर पहुंचे जहां के स्टाफ ने उन्हें भर्ती तो कर लिया पर सुबह तक इंतजार करने को कहा सुबह होने के बाद ड्यूटी डॉक्टर ने कहा कि मरीज की सोनोग्राफी करना अनिवार्य है और आश्चर्य और मजे की बात की यह है कि 500 करोड़ की लागत से बने चिकित्सा महाविद्यालय में सोनोग्राफी की कोई व्यवस्था नहीं है जिसके बाद मरीज के परिजन वहां से लेकर उन्हें प्राइवेट सोनोग्राफी सेंटर गए जहां पर सोनोग्राफी कर कर महिला को दोबारा एडमिट किया गया सवाल यह उठता है कि अपनी करगुजारियों से लगातार अखबार की सुर्खियां बने रहने वाले जिला चिकित्सालय मैं आरोप प्रत्यारोप के सिवा और भी कुछ होता है आखिर उसे महिला को वहां पर इलाज क्यों नहीं दिया गया अगर इस बीच कोई दुर्घटना घट जाती है तो उसका जिम्मेदार कौन होता अस्पताल प्रबंधन या ...? जबकि इसी जिला चिकित्सालय में एक 2 दिन पहले शहडोल जिले के नवागत कलेक्टर लगभग 4:30 घंटे निरीक्षण करके वापस लौटे थे। उसके बाद भी एक गर्भवती महिला के साथ ऐसा बर्ताव क्यों..?

दूसरी बात संभाग के नवनिर्मित बिरसा मुंडा चिकित्सा महाविद्यालय में इतना पैसा लगाने के बावजूद भी सोनोग्राफी  जैसी छोटी मशीनों की सुविधा अभी तक क्यों नहीं है..? क्या इसलिए कि जिले के कई डॉक्टरों ने स्वयं का अपना सोनोग्राफी सेंटर डाल रखा है उसका क्या होगा...? यह वह महत्वपूर्ण सवाल है जिनका जवाब तो फिलहाल भविष्य के गर्त में छुपा हुआ है परंतु अनुशासन के मामले में सख्त कहलाए जाने वाले नवागत कमिश्नर एवं जिले के संवेदनशील कलेक्टर से अनुरोध है कि क्या वह इस लचर और स्वयं में बीमार स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार करने का प्रयास करेंगे ताकि जिले की गरीब और मजबूर जरूरतमंद जनता स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में अपनी जान ना गवाएं।

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