अभाविप ने इंजीनियरिंग कॉलेज में अनियमिताओं के विरोध में शिक्षा मंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन
*अशासकीय महाविद्यालय के अधिकारी को प्रतिनियुक्ति पर भेज कर बनाया प्राचार्य*
शहड़ोल
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद शहडोल के कार्यकर्ताओं द्वारा इंजीनियरिंग कॉलेज यूआईटी में हो रही व्याप्त अनियमिताओं के विरोध में तकनीकी शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार के नाम अनुविभागीय अधिकारी अरविंद शाह को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन देते हुए नगर मंत्री अमन त्रिपाठी ने बताया कि छात्र हितों में निम्नलिखित मांग कि गई कि 10 वर्षों से लगातार इंजीनियरिंग कॉलेज संचालित हो रहा है, पर अभी तक सिर्फ दो ब्रांच ही संचालित हैं ब्रांचों में वृद्धि की जाए, कैंटीन तत्काल चालू कराई जाए, डीजी सेट जनरेटर चार नग उपलब्ध है, परंतु आज तक शुरू नही किया गया
शहडोल यूआईटी के मैकेनिकल ब्रांच में प्राचार्य पीएल वर्मा द्वारा साक्षताकर करवाकर नियुक्ति की गई, इस प्रकार शासकीय आदेश का खुलेआम उल्लंघन किया गया। महाविद्यालय में संचालित मैकेनिकल एवं मीनिंग ब्रांच के कोई भी प्रयोगिक उपकरण छात्रों के लिए उपलब्ध नहीं है जिससे छात्रों को प्रैक्टिकल करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है ना ही कभी इंजीनियरिंग कॉलेज द्वारा इंडस्ट्रियल विजिट कराई जाती है और ना ही कभी इंडस्ट्रियल एक्सपर्ट द्वारा कभी छात्रों को कोई भी लेक्चर उपलब्ध नहीं कराए जाते। शासन द्वारा सभी महाविद्यालयों में खेल गतिविधि हेतु हर वर्ष बजट जारी किया जाता है परंतु अभी तक इंजीनियरिंग कॉलेज शहडोल में ना ही कोई खेल प्रतियोगिताएं होती हैं ना ही खेल भत्ता छात्रों को दिया जाता है। महाविद्यालय की शहर से दूरी अधिक होने के कारण छात्राओं को यातायात की सुविधा न होने से कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। राजीव गांधी प्रौद्योगिकीय विश्वविद्यालय भोपाल द्वारा मुसाईटी संस्थानों में शासन के नियमों का खुलेआम उल्लंघन करते हुए ट्रस्ट के अशासकीय महाविद्यालयों से निरतर प्रति नियुक्ति की जाती रही है एयम इन प्रतिनियुक्तिओ पर आए अशासकीय कर्मचारियों को डीडीओ पावर एवम सभी प्रकार की शासकीय सुविधाओं का लाभ दिया जाता है यह प्रतिनियुक्तिया पूर्व कुलपति डॉ. सुनील गुप्ता द्वारा गई जो की कई करोड़ों के घोटाले में दोषी पाए गए एवं जेल गए। इसी क्रम एसएटीआई अशासकीय महाविद्यालय विदिशा से यूआईटी शहडोल में डॉ. पी. एल. वर्मा को शासन के नियमों को ताक पर रखकर प्रतिनियुक्ति कर प्राचार्य बनाकर भेजा गया। जिसे तत्काल रूप से प्राचार्य पद से हटाकर उच्चस्तरीय जांच कराई जाए।
शासन के नियमनुसार किसी अधिकारी के विरुद्ध उच्च न्यायालय में उनके मूल दस्तावेजो से संबंधित प्रकरण लंबित हैं तब उस स्थिति में न्यायालय के अन्तिम निर्णय आने तक संबंधित अधिकारियों को उस पद से पृथक कर दिया जाता है। अतः रेट प्रिटीसन क्रमांक 22185 वर्ष 2022 के अन्तिम निर्णय आने तक यूआईटी शहडोल के प्रभारी प्राचार्य के डीडीओ पावर को विथेल्ड किया जाए जिससे यूआईटी शहडोल में आगे कोई भी वित्तीय अनमिताए न हो सके।
आरजीपीव्ही भोपाल द्वारा अशासकीय महाविद्यालय एसएटीआई के अधिकारी डॉ. पी एल वर्मा को दिनांक 3 नवंबर 2020 से 2 नवंबर 2021 तक एक वर्ष के लिए यूआईटी शहडोल महाविद्यालय में भेजा गया था परन्तु अगले एक वर्ष के लिए इनका कार्यकाल बढ़ाया गया तो इनकी पुनः नियुक्ति 3 जनवरी 2022 को की गई जिससे यह लगभग दो माह का बैक पीरियड होने के बाद भी वेतन लिया गया इसकी जांच कराई जाए। अतः इन सभी विषयों पर 7 दिवस के अंदर कोई कार्यवाही नहीं होती है तो विद्यार्थी परिषद् उग्र आंदोलन करने हेतु बाध्य होगी जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी।