40 साल के बाद आया निर्णय, श्रमिकों को मिला न्याय आगे भी संघर्ष करेंगे- नाथूलाल

सुप्रीम कोर्ट ने याचिका की खारिज, निकाले श्रमिकों को एसईसीएल कर्मी माना गया था

*40 साल के बाद आया निर्णय, श्रमिकों को मिला न्याय आगे भी संघर्ष करेंगे- नाथूलाल


अनूपपुर

सुप्रीम कोर्ट ने एसईसीएल की विशेष अनुमति याचिकाओं का खारिज कर दिया है इसमें हाईकोर्ट की अनुमति से बनी मेहता अवार्ड के फैसले को चुनौती दी थी मेहता अवार्ड में कंपनी से निकाले गए 160 से अधिक कर्मचारियों को एसईसीएल कर्मचारी बताया था 40 साल बाद आए फैसले से श्रमिकों को खुशी का माहौल है सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय लेते हुए कहा है कि हाईकोर्ट के फैसले में कोई त्रुटि नहीं है जिससे हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं है।

केन्द्र सरकार ने पूर्व सैनिकों को एसईसीएल में काम देने की योजना लायी थी इसके तहत पूर्व श्रमिकों ने आरएपी, केएनपी, ईएनई कंपनी बनाकर काम करना शुरू किया एसईसीएल कंपनी में काम करने वाले श्रमिकों को सभी सुविधाएं देती थी, लेकिन 5-6 साल बाद यह कहकर काम से निकाल दिया कि कंपनी के पास लाइसेंस नहीं है ईएनई में काम करने वाले मदन राजपूत ने बताया कि इस मामले को लेकर लेबर कोर्ट जबलपुर में याचिका लगाई थी इसमें हमारे पक्ष में फैसला आया था इसके बाद एसईसीएल ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में फैसले को चुनौती दी थी, लेकिन क्षेत्रीय श्रम आयुक्त केन्द्रीय के निर्णय कोहाईकोर्ट ने भी सही ठहराया इसे फिर से एसईसीएल ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की, जिसे तीन सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने भी खारिज कर दिया। यह न्यायमूर्ति पमिडिघंटम नरसिम्हा व न्यायमूर्ति संदीप मेहता की दो सदस्यीय पीठ में चल रहा था एसईसीएल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अजीत कुमार सिन्हा ने दलीलें पेश की।

*श्रमिकों को मिला न्याय*

हिंद कोयला मजदूर सभा एचएमएस के केन्द्रीय महामंत्री नाथूलाल पांडेय का कहना है कि 40 साल संघर्ष के बाद श्रमिकों को जीत मिली है अपने हित के लिए श्रमिक लड़ाई लड़ रहे थे अब जाकर न्याय मिला है एसईसीएल प्रबंधन ने श्रमिकों को वर्षों तक अदालत में उलझाए रखा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अंततः श्रमिकों की पीड़ा को समाप्त कर दिया है आगे उनके हक के लिए संघर्ष करते रहेंगे।

श्रमिकों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एसके गंगेले, पृथ्वीराज चौहान ने पैरवी की सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एसईसीएल इस मामले से संबंधित किसी अन्य दावे को ठेकेदार के खिलाफ अदालत में लाने स्वतंत्र है यह फैसला उस अधिकार को प्रभावित नहीं करेगा श्रमिक रहे मदन राजपूत ने बताया कि काम से जब निकाला गया, उस समय 160 एसईसीएल के कर्मचारी थे,एल अब 120 लोग ही जीवित हैं।

Labels:

Post a Comment

MKRdezign

,

संपर्क फ़ॉर्म

Name

Email *

Message *

Powered by Blogger.
Javascript DisablePlease Enable Javascript To See All Widget