राजनेता, समाजिक कार्यकर्ता को निजी भावनाओं को त्याग कर सामूहिक भावनाओं का रखे ख्याल- जिवेंद्र सिंह

राजनेता, समाजिक कार्यकर्ता को निजी भावनाओं को त्याग कर सामूहिक भावनाओं का रखे ख्याल- जिवेंद्र सिंह

*आखिर बाजार बंद का फैसला क्यो लेना पड़ा, ब्लाक बचाओं संघर्ष समिति बनाने के बाद ब्लाक अनूपपुर का नामों निशान जमीदोंज हो गया*


अनूपपुर

अनूपपुर के इतिहास में सबसे बड़ा सुखद क्षण था 15 अगस्त 2003 को जिला बनना। ग्राम पंचायत से जिला मुख्यालय बनना किसी अजूबे से कम नहीं रहा। नगर के निवासियों और जनप्रतिनिधियों ने राजनीतिक सूझबूझ से अनूपपुर को जिला बनवाया। जिला बनाने के लिए न तो अनशन हुआ और न ही धरना प्रदर्शन और बाजार बंद। उचित माध्यम से उचित मंच पर समय- समय पर बात रखा गया, और शहर व क्षेत्र  की भौगोलिक संरचनाओं से राजनेताओं और राज्य सरकार को अवगत कराया गया। ग्राम पंचायत से नगरपालिका, तहसील, अनुविभागीय अधिकारी कार्यालय राजस्व & पुलिस का सफर तय करते हुए जिला मुख्यालय अनूपपुर बना। आवश्यकता होती है धैर्यपूर्वक ,सहजता / सरलता और आग्रहपूर्वक संजीदगी से तथ्यात्मक पहल करने की। उत्तेजित क्रियाकलाप शहर के विकास को बाधित करते हैं, असहनशीलता और युवा जोश के कारण ही  मामूली विवाद की वजहों से अनूपपुर मे गोली कांड जैसी घटना हुई थी और बेवजह एक युवा की जान गई।

सैकड़ों युवा और उनके अभिभावक सालों तक परेशान रहे, जेल में गए,पुलिस की दमन और यातनाएं झेली। शांति, सहजता और सरलता ने शहर को महाविद्यालय, कन्या महाविद्यालय, ITI ,पालिटेक्निक कालेज, नर्सिंग महाविद्यालय, दूरसंचार कार्यालय का भवन, तमाम बैंक, स्टेट बैंक आफ इंडिया का भवन,  जिला न्यायालय भवन , केन्द्रीय विद्यालय ,एकलव्य स्कूल, माडल स्कूल, कन्या परिसर, RTO आफिस का कार्यालय भवन ,कलेक्ट्रेट परिसर, जिला जेल जैसे अनगिनत उपलब्धियों  को सफलतापूर्वक हासिल किया। यहां तक कि अनूपपुर जिले में इंदिरा गांधी जनजातीय विश्वविद्यालय जैसे सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी खुली । तुलसी महाविद्यालय की भूमि न्यायालय के नाम पर नामातंरण हुआ जिसका NOC उच्च शिक्षा विभाग और राज्य शासन ने दिया ,जो कि असाधारण कार्य की श्रेणी में आता है। लेकिन उक्त किसी भी सफलता के  लिए बाजार बंद नहीं करना पडा, राजनैतिक चेतना,पत्राचार और परस्पर वार्तालाप से सीढी दर सीढी छोटा सा कस्बा जिला मुख्यालय अनूपपुर बना। जरा गौर से याद कीजिए, ब्लाक बचाओं संघर्ष समिति बनाई गई थी, महीनों क्रमिक अनशन चलाया गया था, आज अनूपपुर ब्लाक कहाँ है.......?ब्लाक कालोनी कहाँ खो गई.......? ब्लाक अनूपपुर का नामों निशान जमीदोंज हो गया है।अभी भी समय है सीख लेकर निर्णय लेने की।

राजनेताओं, समाजिक कार्यकर्ताओं को निजी भावनाओं को त्याग कर हमेशा सामूहिक भावनाओं का ख्याल रखना चाहिए ।एकतरफा निर्णय लेने का भाव शहर के लिए फायदेमंद साबित नहीं होता है। जिला प्रशासन के अधिकारियों द्वारा हर प्रकार का सहयोग निरंतर किया जा रहा है जिले के सभी जनप्रतिनिधियों का बेहद सहयोग मिल रहा है , विधायक,  सासंद , मंत्री का भरपूर सहयोग प्राप्त है । राज्य सरकार और केंद्र सरकार से बजट का एलाटमेंट हो चुका है। कार्य प्रगति पर है। जबकि  नवगठित फ्लाईओवर संघर्ष समिति द्वारा आज  जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ सार्थक बैठक का दावा किया गया है।

हमारे पूर्व राजनेताओं ,वरिष्ठ नागरिकों की सहजता /सरलता और विनम्रता से सीख लेते हुए जल्दबाजी और उत्तेजित निर्णय पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। शहर के निवासियों और जिला प्रशासन के बीच मधुर और सौहार्दपूर्ण वातावरण निर्मित करना प्रत्येक शहरवासियों का नैतिक जिम्मेदारी है।ओवरब्रिज तय समयसीमा मे बनेगा जैसा आश्वासन जिला प्रशासन/सेतु निगम/रेलवे प्रशासन से पाने के बाद बालहठ का भाव त्याग देना चाहिए।सेतु निगम और रेलवे के अधिकारियों के हौसला अफजाई करने का समय है।

*मेहनत इतनी खामोशी से करो कि सफलता शोर मचा दे।*

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