पशु चिकित्सा अधिकारी को नही जिमेदारी का एहसास बजती रही फ़ोन की घंटी रहे बेखबर

पशु चिकित्सा अधिकारी को नही जिमेदारी का एहसास बजती रही फ़ोन की घंटी रहे बेखबर


अनूपपुर

इंट्रो= कहने के लिए तो डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया गया है चाहे वह किसी भी विभाग के डॉक्टर ही क्यों ना हो लेकिन जब वही डॉक्टर अपनी जिम्मेदारियो का निर्वहन न करते हुए सिर्फ पैसे कमाने की होड़ में लग जाए तो कहा जा सकता है कि इनके लिए सिर्फ और सिर्फ पैसा ही सब कुछ हो चुका है।

अनूपपुर

रात में नगर परिषद डोला क्षेत्र अंतर्गत नेशनल हाईवे एनएच 43 कुल्हड़ ढाबा के समीप किसी अज्ञात वाहन ने पशु को चोटिल कर चलता बना। जिसे मनेंद्रगढ़ से चलकर बिजुरी की ओर जा रहे कुछ युवा लड़कों द्वारा देखने पर मदद के लिए कुछ गाड़ियों वालों को रोकाया गया साथ ही उनकी की मदद के साथ पशु को सड़क से किनारे करते हुए पशु चिकित्सा अधिकारियों को भी लगातार फोन लगाते रहे लेकिन पशु चिकित्सा अधिकारी फोन रिसीव करना मुनासिब नहीं समझे।वही जब घटना की जानकारी स्थानी लोगों को पता चली तो उनके द्वारा राजनगर बिटनरी हॉस्पिटल में पदस्थ पशु चिकित्सा अधिकारी बी एस करौलिया को लगातार फोन लगाया गया लेकिन उनके द्वारा फोन रिसीव नहीं किया गया इससे साफ नजर आता है कि वह अपने जिम्मेदारी से बेखबर हो चुके हैं। 

*सड़कों पर पसरे रहते हैं आवारा पशु*

सड़कों पर चल रहे वाहनों से कई बार पशु घायल होते हैं व उनकी मौत भी हो जाती है लेकिन वहीं कई बार ऐसा भी होता है कि पशुओं से राहगीरों को भी चोट आती हैं नेशनल हाईवे एनएच 43 कुल्हड़ ढाबा से लेकर झिरियाटोला तिराहे तक शाम होते ही आवारा पशुओं का जमावड़ा जगह-जगह लगा रहता है यह पशु बरसात के दिनों में सुखी जगह की तलाश में सड़कों पर पसरी रहती हैं जिससे कि कई बार खुद भी चोटिल होते हैं व इनसे टकरा कर राहगीरों को भी चोटिल होना पड़ता है ऐसा ही एक मामला 18 अगस्त की शाम कल कुल्हड़ के समीप देखा गया जहां पर ग्रामीणों की मदद से पशु को सड़क से किनारे करते हुए पशु के उपचार के लिए लगातार पशु चिकित्सा अधिकारी बी एस करौलिया को संपर्क किया जा रहा था लेकिन उनके द्वारा फोन उठाना मुनासिब नहीं समझ गया।यह कोई पहला मामला नहीं है कई बार ऐसा देखा गया है कि बस करौलिया को फोन लगाने पर उनके द्वारा ना ही फोन रिसीव किया जाता है और ना ही रिटर्न कॉल किया जाता है। अभी हाल ही में इंदौर में उपचार के आभाव में सड़कों पर घायल हुई पशु अपना दम तोड़ दी जिससे डाक्टर को निलाबित कर दिया गया था।

*पालकों पर भी होनी चाहिए कार्यवाही*

अक्सर देखा जाता है कि दुर्घटना के बाद मृत व घायल गायों के मालिक सामने नही आते हैं, गौवंश मालिक भी बेपरवाह तरीके से बेजुबान गौवंश को सड़कों पर लावारिस खुला छोड़ देते है जिससे बढ़ी संख्या में गौवंश सड़कों पर दिन- रात भटकते व बैठे रहते हैं. इस कारण कई बार आवागमन अवरुद्ध हो जाता है, गौवंश के कारण वाहन चालकों का मार्ग से निकलना मुश्किल हो जाता है. इसको लेकर कई बार लोगों ने शिकायत की, लेकिन जिम्मेदार इस पर जरा भी ध्यान देने को तैयार नहीं है, इसके चलते नागरिक परेशानी उठाने को मजबूर हैं।

*इनका कहना है।

हम लोगों द्वारा सड़क पर तड़प रहे बेजुबान पशु को सड़क से किनारे करने के उपरांत लगातार पशु चिकित्सक को फोन लगाते रहे लेकिन उनके द्वारा फोन रिसीव न करना या कोई रिप्लाई ना देना उनकी लापरवाही दर्शाती है ऐसे चिकित्सकों पर शासन प्रशासन को कार्यवाही करना चाहिए।

*यूवा टीम मनेंद्रगढ़*

लोगों के माध्यम से हमे भी जानकारी प्राप्त हुई थीं पर जिम्मेदार पशु चिकित्सा अधिकारियों का फोन ना उठाना उनकी घोर लापरवाही दर्शाता है ऐसे चिकित्सकों पर कार्यवाही जरूर होना चाहिए।

*रीनू सुरेश कोल अध्यक्ष नपा डोला*

Labels:

Post a Comment

MKRdezign

,

संपर्क फ़ॉर्म

Name

Email *

Message *

Powered by Blogger.
Javascript DisablePlease Enable Javascript To See All Widget