आरटीई के तहत प्राइवेट विद्यालयों में सैकड़ो सीट खाली, हजारों बच्चों का भविष्य लगा दाव पर

आरटीई के तहत प्राइवेट विद्यालयों में सैकड़ो सीट खाली, हजारों बच्चों का भविष्य लगा दाव पर

 *मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव से  पत्रकार विकास परिषद प्रदेश संगठन सचिव जुनैद खान ने की मांग* 

 *आरटीई के दूसरा चरण का नए प्रवेश आवेदन करने बच्चे अभिभावक कर रहे इंतजार* 


शहडोल

पत्रकार विकास परिषद प्रदेश संगठन सचिव जुनैद खान ने प्रदेश के मुखिया डॉक्टर मोहन यादव से की मांग प्रदेश संगठन सचिव जुनैद खान ने अपने ट्विटर हैंडल पर ट्वीट कर प्रदेश के मुखिया डॉक्टर मोहन यादव से मांग करते हुए लिखा कि जिला सहित प्रदेश के गरीब बच्चे RTE के तहत होने वाले प्रवेश की द्वितीय चरण अभी तक कोई भी डेट नहीं आई है। जिन विद्यालयों में सीट खाली हैं, या गरीब बच्चे जो छुट गए हैं, उनके भविष्य को देखते हुए आरटीई के दूसरा चरण का प्रवेश आवेदन करने की तिथि शीघ्र से शीघ्र घोषित करने का कष्ट करें। मध्य प्रदेश के मुखिया डां. मोहन यादव जी से निवेदन करता हूं की जल्द से जल्द दूसरा चरण प्रवेश प्रक्रिया चालू करें और पोर्टल पर आवेदन करवाएं जिससे प्राइवेट स्कूलों में बच्चों का प्रवेश आरटीई के तहत हो सके। पत्रकार विकास परिषद संगठन मध्य प्रदेश संगठन सचिव जुनैद खान ने बताया कि शिक्षा विभाग ने एक आदेश पुर्व में जारी किया था जिसमें आरटीई योजना के अंतर्गत दूसरे चरण के आवेदन 2 अप्रैल 2024 से लेकर 4 अप्रैल 2024 तक लिये जाएंगे। इसमें जिन बच्चों ने आरटीई 2024 के लिए पहले से आवेदन किया था उन्हें स्कूल चॉइस फिर से भरने का अवसर दिया जा रहा हैं।आरटीई 2024 के दूसरे चरण के लिए केवल वही विद्यार्थी आवेदन कर सकते हैं जिनका आवेदन पहले से हो रखा हैं। दूसरे चरण में केवल विद्यालय सूची में बदलाव किया जा सकता हैं। इसमें नये आवेदन नहीं लिये जाएंगे। आज शहडोल सहित प्रदेश में हजारों बच्चे एवं उनके अभिभावक इस इंतजार में बैठे हैं कि आरटीई के तहत दूसरे चरण का आवेदन की तिथि आ सकती है वही शहडोल जिला सहित प्रदेश के कई प्राइवेट विद्यालयों में सैकड़ो सीट अभी भी खाली है।

 *शिक्षा का अधिकार* 

संविधान (छियासीवां संशोधन) अधिनियम, 2002 ने भारत के संविधान में अंत: स्‍थापित अनुच्‍छेद 21-क, ऐसे ढंग से जैसाकि राज्‍य कानून द्वारा निर्धारित करता है, मौलिक अधिकार के रूप में छह से चौदह वर्ष के आयु समूह में सभी बच्‍चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान करता है। नि:शुल्‍क और अनिवार्य बाल शिक्षा (आरटीई) अधिनियम, 2009 में बच्‍चों का अधिकार, जो अनुच्‍छेद 21क के तहत परिणामी विधान का प्रतिनिधित्‍व करता है, का अर्थ है कि औपचारिक स्‍कूल, जो कतिपय अनिवार्य मानदण्‍डों और मानकों को पूरा करता है, में संतोषजनक और एकसमान गुणवत्‍ता वाली पूर्णकालिक प्रांरभिक शिक्षा के लिए प्रत्‍येक बच्‍चे का अधिकार है।

अनुच्‍छेद 21-क और आरटीई अधिनियम 1 अप्रैल, 2010 को लागू हुआ। आरटीई अधिनियम के शीर्षक में ''नि:शुल्‍क और अनिवार्य'' शब्‍द सम्मिलित हैं। 'नि:शुल्‍क शिक्षा' का तात्‍पर्य यह है कि किसी बच्‍चे जिसको उसके माता-पिता द्वारा स्‍कूल में दाखिल किया गया है, को छोड़कर कोई बच्‍चा, जो उचित सरकार द्वारा समर्थित नहीं है, किसी किस्‍म की फीस या प्रभार या व्‍यय जो प्रारंभिक शिक्षा जारी रखने और पूरा करने से उसको रोके अदा करने के लिए उत्‍तरदायी नहीं होगा। 'अनिवार्य शिक्षा' उचित सरकार और स्‍थानीय प्राधिकारियों पर 6-14 आयु समूह के सभी बच्‍चों को प्रवेश, उपस्थिति और प्रारंभिक शिक्षा को पूरा करने का प्रावधान करने और सुनिश्चित करने की बाध्‍यता रखती है। इससे भारत अधिकार आधारित ढांचे के लिए आगे बढ़ा है जो आरटीई अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार संविधान के अनुच्‍छेद 21-क में यथा प्रतिष्‍ठापित बच्‍चे के इस मौलिक अधिकार को क्रियान्वित करने के लिए केन्‍द्र और राज्‍य सरकारों पर कानूनी बाध्‍यता रखता है।

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