गुणवत्ता विहीन मध्यान्ह भोजन, कैसे होगा बच्चों का विकास शासकीय योजनाओं पर लग रहा है पलीता
शहडोल
जिले के जनपद शिक्षा केंद्र से महज कुछ ही दुरी पर प्री प्राइमरी स्कूल बुढार, प्राइमरी स्कूल बुढार, माध्यमिक स्कूल बुढार के बच्चों को इन दिनों खाने की मात्रा और खाने की गुणवत्ता विहीन मिलने से बच्चों में तनावपूर्ण की स्थिति देखने को मिलती है भूखे प्यासे रहकर बच्चे शिक्षा ग्रहण करने को बेखबर गुणवत्ता विहीन खाना मिलने से कैसे होगा बच्चों में उन्नति आखिरकार शिक्षा को ग्रहण करने के लिए नई सोच तब मिलती है जब बच्चों के पेट भरे हो बच्चों के हक को ढाका डाल रहे स्व सहायता समूह के संचालक बच्चों का हक छीन रहे तो सहायता समूह के संचालक गुणवत्ता विहीन खाना परोसने से और खिलाने से बच्चों का विकास रुक रहा है आखिरकार कुछ ही दूरी पर विकासखंड शिक्षा कार्यालय हैं कुछ ही दूरी पर जनपद शिक्षा केंद्र के कार्यालय हैं महज कुछ ही दुरी पर तहसीलदार और एसडीएम के अधिकारी बैठे हुए हैं सभी अधिकारियों की नजर इस पर क्यों नहीं जाती है कि किस प्रकार का संचालन स्व सहायता समूह कर रहे हैं आए दिन अपने समूह के पैसे बढ़ाने और समय को नियमित रूप से लेने के लिए समय-समय पर ज्ञापन देते रहते हैं केवल अपने हक के लिए लेकिन बच्चों की हक के लिए कौन लड़ेगा। यह एक सोचने का विषय है बच्चों के हक को कौन दिलाएगा ऐसे स्व सहायता समूह का लाइसेंस कैंसिल करके दंडनीय कार्रवाई क्यों नहीं की जाती है जिससे बच्चों के हक को षड्यंत्र के तहत डकार लिया जाता है। स्व सहायता समूह शहरी क्षेत्र में बड़ी धांधली भरोसा जा रहा गुणवत्ता विहीन खाना दिया जा रहा है बच्चों को चावल, कढ़ी संचालित करने वाले स्व सहायता समूह शासन को अपनी चालाकी से प्रशासनिक के अधिकारीयों के आंखों में धूल झोंकते दिखाते नजर आते हैं और अपने आप को साफ सुथरा बता कर बच्चों के हक पर डाका मार रहे हैं। कढ़ी को भी केमिकल युक्त चीजों से बनाई जाती है जिससे बच्चों के हारमोंस को प्रभावित करती हैं जो कि बच्चों के ब्रेन को डेवलपमेंट करने में रोकती है आखिरकार प्रशासनिक अमला बेखबर कैसे।